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Jaggi murder case: जग्गी हत्याकांड के 2 आरोपी शूटर चिमन सिंह और विनोद राठौड़ ने जिला कोर्ट में किया सरेंडर, बाकी आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट से मिली 3 सप्ताह की मोहलत

रायपुर। Jaggi murder case: छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित एनसीपी नेता रामअवतार जग्गी हत्याकांड के दोषियों को सुप्रीम कोर्ट ने सरेंडर करने के लिए 3 सप्ताह का अतिरिक्त समय दिया है। सभी आरोपियों को आज ही रायपुर की जिला एवं सत्र न्यायालय में आत्मसमर्पण करना था। इनमें से 2 दोषियों ने सोमवार को रायपुर में विशेष न्यायाधीश पंकज कुमार सिन्हा की कोर्ट में सरेंडर कर दिया है। इनमें शूटर चिमन सिंह और विनोद राठौड़ शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट से जिन आरोपियों को राहत मिली है, उनमें आरसी त्रिवेदी, वीके पाण्डेय, अमरीक सिंह गिल, याहया ढेबर और सूर्यकांत तिवारी शामिल हैं।

 

 

Jaggi murder case: जबकि इस मामले के अन्य आरोपियों को 15 अप्रैल ही कोर्ट में सरेंडर करना होगा। बता दें कि एनसीपी नेता रामावतार जग्गी की 4 जून साल 2003 को रायपुर में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। प्रदेश के पहले राजनीतिक हत्याकांड में पुलिस ने पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के बेटे अमित जोगी, 3 पुलिस अधिकारी सहित 31 लोगों को आरोपी बनाया था। इस मामले में दो आरोपी सरकारी गवाह बन गए थे। सुनवाई के बाद कोर्ट ने अमित जोगी को बरी कर दिया था। शेष 27 आरोपियों को न्यायालय ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।

 

 

Jaggi murder case: पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल के करीबी थे जग्गी

 

 

छत्तीसगढ़ अलग प्रदेश बना, तब विधानसभा में कांग्रेस बहुमत में थी। कांग्रेस की ओर से सीएम पद की रेस में विद्याचरण शुक्ल का नाम सबसे आगे चल रहा था, लेकिन आलाकमान ने अचानक अजीत जोगी को मुख्यमंत्री बना दिया। इस वजह से पहले से नाराज चल रहे विद्याचरण शुक्ल पार्टी में अपनी अनदेखी से और ज्यादा नाराज हो गए। नवंबर 2003 में विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले ही उन्होंने कांग्रेस छोड़कर NCP जॉइन कर ली। विद्याचरण शुक्ल ने रामअवतार जग्गी को NCP कोषाध्यक्ष बना दिया था।

 

 

Jaggi murder case: 21 साल पहले गोली मारकर हुई थी हत्या

 

जिसके बाद 4 जून 2003 को एनसीपी नेता रामावतार जग्गी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में 31 अभियुक्त बनाए गए थे। जिनमें से दो बुलटू पाठक और सुरेंद्र सिंह सरकारी गवाह बन गए थे। पूर्व सीएम अजीत जोगी के बेटे अमित जोगी को छोड़कर बाकी 28 को सजा मिली थी। बाद में अमित जोगी बरी हो गए थे। इसके खिलाफ रामवतार जग्गी के बेटे सतीश जम्गी ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। इस पर अमित जोगी के पक्ष में स्टे है।

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