बिलासपुर, 04 अगस्त। Interracial Marriage : सतगढ़ तंवर समाज और उनके ही समाज के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के बीच विवाद ने तूल पकड़ लिया है। दरअसल, समाज के पदाधिकारियों ने अपने ही समाज से ताल्लुक रखने वाले DSP डॉ. मेखलेंद्र प्रताप सिंह के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए आरोप लगाया है कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग कर समाज के अध्यक्ष सहित कई पदाधिकारियों पर झूठा मुकदमा दर्ज कराया है।
क्या है मामला?
ग्राम नुनेरा निवासी डॉ. मेखलेंद्र प्रताप सिंह वर्तमान में सरगुजा संभाग में DSP के पद पर पदस्थ हैं। उन्होंने सरगुजा जिले की एक युवती से अंतरजातीय विवाह किया है। इस विवाह के बाद उनके समाज, सतगढ़ तंवर समाज ने इस विषय पर बैठक बुलाई। बैठक में यह निर्णय लिया गया कि DSP सिंह ने समाज के नियमों का उल्लंघन किया है और समाज से अलग माने जाएंगे।
समाज की दंड विधान पुस्तिका के अनुसार, इंटरकास्ट मैरिज को सामाजिक अपराध की श्रेणी में रखा गया है। इसी आधार पर समाज की केन्द्रीय और शाखा कार्यकारिणी की उपस्थिति में प्रस्ताव पारित कर डॉ. सिंह और उनके परिवार को भविष्य में किसी भी सामाजिक कार्यक्रम से अलग रखने का निर्णय लिया गया।
DSP की शिकायत और FIR
DSP मेखलेंद्र सिंह ने आरोप लगाया कि समाज के लोगों ने उनके और उनके परिवार के सदस्यों को बहिष्कृत किया, गाली-गलौज की और धमकी दी। इस आरोप के आधार पर कोटा थाने में FIR दर्ज की गई, जिसमें समाज के अध्यक्ष और अन्य पदाधिकारियों को नामजद किया गया।
समाज पदाधिकारियों का पलटवार
एफआईआर के बाद समाज के पदाधिकारियों ने सफाई दी कि किसी प्रकार का बहिष्कार नहीं किया गया है। उनका कहना है कि कोरबा में हुई समाज की बैठक में केवल सामाजिक चर्चा हुई थी और DSP को केवल नोटिस जारी किया गया था। उन्होंने आरोप लगाया कि DSP ने अपने प्रभाव का गलत इस्तेमाल कर समाज के बुजुर्ग अध्यक्ष और अन्य पदाधिकारियों को फंसाया है।
पुलिस कार्यप्रणाली पर सवाल
समाज के लोगों ने एफआईआर की स्थानीयता और समय को लेकर भी सवाल उठाए। उनका कहना है कि बैठक कोरबा में हुई थी, जबकि केस बिलासपुर में दर्ज किया गया। साथ ही बैठक के दो माह बाद केस दर्ज होने को भी संदिग्ध बताया गया है।
निष्पक्ष जांच की मांग
समाज के लोगों ने एसपी और आईजी से मिलकर पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है। उनका कहना है कि यह एक सामाजिक मामला है, जिसे कानून के जरिए दबाने की कोशिश की जा रही है।