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Intelligence failure or: ASI रात में निलंबित और सुबह बहाल,राख में मिलाकर दे रहे हैं भाव..थाने की तरह बंटा रेत तस्करों का घाट,एयरस्ट्रिप पर हिचकोले या पर्दे के पीछे शोले

🔷ASI रात में निलंबित और सुबह बहाल, कैसे हुआ कमाल..

कवि गिरिधर की ये पंक्ति  ” बिना विचारे जो करे सो पाछे पछताय”  जिले के कप्तान पर सटीक बैठती है, क्योंकि साहब ने आदेश पर यूटर्न मारकर साबित कर दिया कि जल्दबाजी में गलती तो हुई थी…!

दरअसल हुआ यूं कि कोयलांचल के दो एएसआई  के कृत्यों से आमजनों में विभाग की छवि धूमिल होने का हवाला देते हुए कप्तान ने सस्पेंड कर दिया, लेकिन उनका आदेश ज्यादा देर तक स्टैंड नहीं रहा और सुबह दोनों एएसआई को ऑफिस बुलाकर बहाली का आदेश थमा दिया दिया।

कप्तान के रात में निलंबन और सुबह हुई बहाली का आदेश महकमे के सोशल मीडिया पर सर्च करने लगा। साहब के यूटर्न आदेश पर  खाकी के खिलाड़ियों ने अभिनेता गोविंदा का “पल में तोला पल मे माशा कितने रंग बदलती हो” की गीत गुनगुना कर साहब के आदेश का मजाक उड़ाने लगे।

सस्पेंशन से बहाली की बात को लोग भूलने ही वाले थे वैसे ही कोयलांचल के उसी थाने में एक और एएसआई का रकम मांगते वीडियो सीसीटीवी में कैद हुआ तो साहब के कानों तक खबर लगते ही आरक्षक और एएसआई को सस्पेंड कर दिया ,लेकिन थाना प्रमुख पर थाने के भीतर हुए लापरवाही पर एक्शन नहीं हुआ..!

थाने के चार सहकर्मी सस्पेंड हुए पर थाना प्रमुख के वर्दी की क्रीज की धार बराबर है। हालांकि पुलिस के चाणक्य कहने लगे कि अब तक जब भी थाने में लेन- देन का पुख्ता प्रमाण मिला तब – तब थाना प्रमुख पर कार्रवाई की आंच पहुंचती रही, कोयलांचल के थाने की बात कुछ और रही होगी। पुलिस विभाग में हो रहे एक के बाद एक घटनाक्रम पर जनमानस में चर्चा है…”रात में सस्पेंड दिन में बहाल, साहब ये कैसे कर लेते हो कमाल..!”

🔷राख में मिलाकर दे रहे हैं भाव…

इस शहर में हर शख़्स परेशान सा क्यों है…? साल 1978 में आई फिल्म ‘गमन’ का ये गाना आज की ऊर्जाधानी के धनरास में रहने वाले किसानों की स्थिति को बड़ी सहजता से उकेरता है। यहां की हवा में जहर घुला हुआ है, हर सांस धनरास वालों पर भारी है। अंतर सिर्फ इतना है कि एनटीपीसी प्रबंधन दर्द देकर दवा भी बांट रहे हैं।

बात एनटीपीसी राखड़ डेम धनरास की है। 16 सौ की आबादी वाले इस गांव में गुजर बसर करने वाले लोग राख खाते, पीते और राख में जीते हैं..!  देश को ऊर्जा देने वाले थर्मल पॉवर प्लांट से निकलने वाले कोयले की राख से प्रबंधन ग्रामीणों को घाव देता है और भाव (₹) देकर मरहम भी लगाने से नहीं चूकता।

असल में प्रबन्धन के नुमाइंदों ने हर चीज  की कीमत तय कर रखा है .. कोयले की राख खाने के लिए एक परिवार के लोगों को औसतन 10 दिन का मुआवजा देता है। सामाजिक कार्यक्रम वाले दिन राख उड़ने पर 15 हजार कंपनसेशन राशि अलग से।

ये अलग बात है कि कोयले की राख से होने वाली बीमारी के लिए मिल रहा भाव भी कभी कभी अभाव पैदा कर जाता है। राखड़ डेम के बीच बसे इस गांव के बारे में शत्रुघन सिन्हा का संवाद ” जली को आग, बुझी को राख और जिस राख से भाव मिले उसे धनरास कहते है” सटीक बैठता है।

🔷थाने की तरह बंटा रेत तस्करों का घाट..

अब तक आपने थाना चौकियों का एरिया (सीमा) सुना और देखा होगा। लेकिन, ऊर्जानगर के ऊर्जावान रेत तस्करों भी अपना अपना एरिया बनाकर लकीर खींच रहे हैं। बात बांकी मोगरा एरिया के एक दबंग रेत तस्कर की है जो 25 तीस गुर्गे के साथ कट्टा लहराते हुते रेत निकालने का धौंस देने लगा। बात जब गांव के गणमान्य लोगों के बीच पहुंची तो विवाद को टालने के लूटे घाट का बंटवारा कर दिया।

अब एरिया वाइज सिंडिकेट तस्कर दूसरे के एरिया से यानी नदी से रेत उत्खनन नहीं कर सकते। उनके काम करने के तरीके से अजय देवगन के मूवी का संवाद याद आता है ” चौकियां चाहे पुलिस की हो…पर यहां के कमिश्नर तो हम ही है। ” वैसे कहा गया है अवैध काम करने वालों के वचन का मोल अनमोल होता है। सो मौखिक रूप से बंटे क्षेत्र में रहकर काम करते हुए वे एक दूसरे के इलाके में दखल नहीं देते। हां यह भी है कि सिंडिकेट के किसी गाड़ी ट्रैक्टर पर कार्रवाई होती है तो उसे छुड़ाने गिरोह के सभी सदस्य आपस मे रकम कॉन्ट्रिब्यूट कर जुर्माना भरते हैं।

सूत्रधार की माने तो डउकामुडा में गिर और वर से दीप अक कर रहा, राताखार रेत घाट से रेत निकालने दीप..सो.. और उनके साथियों का साथ मिल रहा है। अब अगर सीतामणी रेत घाट की करें तो यहां भी एक से बढ़कर एक शेरसिंग सिंडिकेट बनाकर रेत से तेल निकाल रहे हैं और इलाके बांटकर आपस में माल कमा रहे हैं।

🔷एयरस्ट्रिप पर हिचकोले या पर्दे के पीछे शोले

दो दिन पहले छत्तीसगढ़ शासन का स्टेट प्लेन कोरबा के रुमगरा एयरस्ट्रिप पर लड़खड़ाते- हिचकोले खाते हुए उतरता,प्लेन में सरकार के मंत्री और बीजेपी नेता सवार थे जो एक निजी कार्यक्रम में शामिल होने कोरबा पहुंचे थे। बाद में खबर आई कि पायलट ने सूझबूझ से काम नहीं लिया होता तो बड़ा हादसा हो सकता था।

इस घटना के बाद रुमगरा एयरस्ट्रिप के रखरखाव के लिए जिम्मेदार बालको प्रबंधन मंत्री और अफसरों के निशाने पर आ गया। हालांकि इसी एयरस्ट्रिप पर उसी दिन सुबह शासन का स्टेट प्लेन लैंडिंग और टेक ऑफ के लिए ओेके रिपोर्ट लेकर लौटा था और दोपहर जब वो लैंडिंग कर रहा था तब वो हिचकोले खाने लगा। कुछ घंटे बाद इसी एयरस्ट्रिप से वही विमान रायपुर के लिए सुरक्षित उड़ गया। इस पूरी घटना में पायलेट की भूमि​का पर कोई सवाल नहीं उठाए गए उल्टे बालको प्रबंधन को नोटिस जारी कर जवाब मांग लिया गया है।

शहर में इस बात की चर्चा है ​कि जब रुमगरा एयरस्ट्रिप में लैंडिंग और टेक ऑफ के तकनीकी कमियां थी तो उसी दिन सुबह एयरस्ट्रिप की ट्रायल जांच के लिए विमान के पायलेट ने इसकी जानकारी क्यों नहीं दी।

बताया जा रहा है ​कि स्थानीय भाजपा नेता बालको प्रबंधन से खासे नाराज चल रहे हैं। अलग.अलग गुटों में बंटे नेताओं की बात बालको प्रबंधन में सुनी नहीं जा रही हैं। बालको प्रबंधन कुछ खास लोगों को ही भाव दे रहा है। ऐसे में बालको प्रबंधन से अपनी खीज मिटाने के लिए यहां के नेताओं ने सरकार के मंत्रियों से प्रबंधन की जमकर शिकायत की और बालको पर लापरवाही के आरोप लगा दिए।

होना वहीं था जो हुआ…। बालको प्रबंधन मंत्रियों और अफसरों के निशाने पर आ गया..। एयरस्ट्रिप पर प्लेन हिचकोले क्या खाया.. पर्दे के पीछे शोले का डायलॉग शुरु हो गया…तेरा क्या होगा….। जो भी हो स्थानीय नेताओं के झगड़े में प्रबंधन ही हालत शोले के कालिया की तरह हो गई जिसे कहना पड़ रहा है….सरकार मैंने आपका नमक खाया है…अब ..खा। अब सबकी नजर स्थानीय मंत्री पर है देखना होगा वो इसका हल कैसे निकालते हैं।

🔷इंटेलिजेंस फेल या प्रशासनिक चूक

छत्तीसगढ़ में नई सरकार आने के बाद हाल के महीनों में दो बड़ी घटनाएं सामने आई हैं जो देश और प्रदेश में सुर्खियों में रही। पहली घटना बलौदाबाजार कलेक्ट्रेट में हुई आगजनी की है दूसरा हाल ही कवर्धा में तीन लोगों की मौत से जुड़ा है। दोनों ही मामले में प्रशासन ला एंड आर्डर बनाएं रखने से चूका हुआ दिखा।

गिरौदपुरी में जैतखंभ से छेड़खानी और कवर्धा के लोहारीडीह में आपसी विवाद में तीन लोगों की मौत और 100 से अधिक लोगों की गिरफ्तार के पीछे अफसरशाही की चूक दिखी अन्यथा समय पर एक्शन लेने से इन घटनाओं को होने से रोका जा सकता था।

इन दोनों घटनाओं के बाद सरकार ने इन जगहों के कलेक्टर और एसपी का हटा दिया…थाना स्टाफ भी बदल दिए। तो क्या इससे समस्या का हल हो गया..। जरूरत अफसरों को हटाने से ज्यादा इस बात की है ​कि ऐसे संवेदनशील मामलों में हर बार सरकार का इंटेलिजेंस फेल क्यों हो रहा है..। सरकार को इस पर गौर करना होगा तभी इस तरह की घटनाओं पर रोक जा सकेगा।

    ✍️अनिल द्विवेदी, ईश्वर चन्द्रा

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