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मनरेगा घोटाले में मंत्री बच्चूभाई खाबड़ के दूसरे बेटे को भी गिरफ्तार किया गया, कुल 11 लोग पकड़े गए

अहमदाबाद। दाहोद में 71 करोड़ के मनरेगा घोटाले में राज्य मंत्री बच्चूभाई खाबड़ के दोनों बेटे और भतीजा गिरफ्तार हुए हैं। इस घोटाले में फर्जी फर्मों को बिना टेंडर करोड़ों का भुगतान किया गया, वहीं सड़कों का काम सिर्फ कागजों पर हुआ।

 

 

देवगढ़बरिया निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले बच्चूभाई खाबड़ पंचायत और कृषि राज्य मंत्री हैं। इस घोटाले में 35 एजेंसियों के मालिकों ने सरकारी अधिकारियों के साथ मिलीभगत करके मनरेगा योजना के तहत भुगतान प्राप्त करने के लिए फर्जी कार्य पूर्णता प्रमाण पत्र और अन्य सबूत पेश किए। इन लोगों ने 2021 और 2024 के बीच 71 करोड़ रुपये की हेराफेरी की।

एक के बाद एक हुई गिरफ़्तारी

पंचायत राज राज्य मंत्री बच्चूभाई खाबड़ के छोटे बेटे किरण खाबड़ को पुलिस ने गिरफ्तार कर किया। उन पर दाहोद ज़िले में हुए 71 करोड़ रुपये के मनरेगा घोटाले में शामिल होने का आरोप है। किरण के साथ तीन और लोगों को भी पकड़ा गया है, जिनमें मंत्री का भतीजा दिलीप चौहान भी शामिल है। इससे पहले शनिवार को किरण के बड़े भाई बलवंत खाबड़ को भी पुलिस ने इसी मामले में गिरफ्तार किया था। अब तक गिरफ्तार किए गए लोगों की संख्या सात हो गई है।

 

फर्जी कंपनियों के जरिये हुआ सप्लाई का खेल

पुलिस की जांच में यह सामने आया कि किरण खाबड़ का संबंध ‘श्री राज ट्रेडर्स’ नाम की एक सप्लाई फर्म से है, जिसे बिना किसी टेंडर के मनरेगा कार्यों के लिए 30.04 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। वहीं, बलवंत खाबड़ ‘श्री राज कंस्ट्रक्शन कंपनी’ से जुड़े हैं, जिसे 82 लाख रुपये मिले। इन दोनों भाइयों को कुल घोटाले की रकम का 40 फीसदी हिस्सा मिला। इन फर्मों ने कई बार ऐसी सामग्री सप्लाई करने का दावा किया, जो जमीनी तौर पर कभी पहुंची ही नहीं।

बिना टेंडर के मिला करोड़ों का काम

पुलिस ने इस मामले में जिन अन्य लोगों को गिरफ्तार किया है, उनमें ‘एन जे एंटरप्राइज’ नाम की कंपनी के मालिक पार्थ बारिया और दाहोद के डिप्टी डिस्ट्रिक्ट डवलपमेंट ऑफिसर रासिक राठवा शामिल हैं। ‘एन जे एंटरप्राइज’ को बिना किसी अनुबंध के 5.19 करोड़ रुपये का भुगतान हुआ, जो इस घोटाले के सबसे बड़े हिस्सेदारों में एक है।

 

32 फर्जी फर्मों के नाम हुए उजागर

जिला ग्रामीण विकास एजेंसी (DRDA) ने इस मामले की गहराई से जांच की, जिसमें पता चला कि कुल 32 फर्जी फर्में बिना बोली प्रक्रिया के मनरेगा सामग्री की सप्लाई में शामिल थीं। ये फर्में देवगढ़ बारिया और धनपुर तालुका में हुए कार्यों में शामिल रहीं। कई मामलों में सड़कें केवल कागज़ों पर बनीं, जमीन पर कोई काम नहीं हुआ।

 

मनरेगा के अफसरों ने की मिलीभगत

दिलीप चौहान, जो कि देवगढ़ बारिया में मनरेगा के सहायक कार्यक्रम अधिकारी (APO) थे, इस पूरे घोटाले के मुख्य साजिशकर्ता माने जा रहे हैं। वहीं, रासिक राठवा उस समय धनपुर तालुका के विकास अधिकारी थे। दोनों ने खाबड़ भाइयों की फर्जी कंपनियों को सप्लाई के काम दिलवाए और नियमों को ताक पर रखकर भुगतान भी करवाया।

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