
रायगढ़। छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के ग्राम बजरमुड़ा में 415 करोड़ रुपए से अधिक के मुआवजा घोटाले के मामले में राज्य शासन के निर्देश पर कलेक्टर रायगढ़ ने घरघोड़ा के तत्कालीन एसडीएम, तहसीलदार सहित सात अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ पुलिस में प्रकरण दर्ज करने का आदेश दिया है। इस मामले में शिकायतकर्ता अधिवक्ता दुर्गेश शर्मा ने इसे अपर्याप्त बताते हुए तत्कालीन कलेक्टर और छत्तीसगढ़ स्टेट पावर जनरेशन कंपनी लिमिटेड (सीएसपीजीसीएल) के अधिकारियों की भूमिका की जांच EOW और सीबीआई से कराए जाने की मांग की है।
जांच में 250 करोड़ के आर्थिक अपराध की पुष्टि
अधिवक्ता दुर्गेश शर्मा ने प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि प्रवर्तन निदेशालय, राजस्व मंडल और राज्य शासन को शिकायत के बाद 6 दिसंबर 2023 को एक आईएएस और दो राज्य प्रशासनिक सेवा अधिकारियों के नेतृत्व में 70 से अधिक अधिकारी-कर्मचारियों और 200 से अधिक पुलिस बल के साथ बजरमुड़ा में जांच की गई। जनवरी 2024 में पुनः सैकड़ों अधिकारियों ने जांच की। जांच दल ने अपने प्रतिवेदन में पुष्टि की कि 250 करोड़ रुपए से अधिक का आर्थिक अपराध हुआ है। इसके आधार पर सात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए गए। शर्मा ने इसे स्वागत योग्य कदम बताया, जो जिले में भू-अर्जन से जुड़े हजारों करोड़ के घोटालों पर अंकुश लगा सकता है।
सीएसपीजीसीएल की अपील की कलेक्टर ने की अनदेखी ?
प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि छग स्टेट पॉवर जनरेशन कम्पनी लिमि. ने एसडीएम घरघोड़ा के अवार्ड आदेश के विरूद्ध कलेक्टर रायगढ़ के समक्ष 28 जून 2021 को अपील प्रस्तुत कर अवार्ड आदेश में परिसम्पत्तियों की गणना, पौधों को वृक्ष बताकर अधिक मुआवजा बनाने पर एवं बत्तीस माह का व्याज जोड़ने पर आपत्ति दर्ज की। इस पर कलेक्टर रायगढ़ ने 32 माह के व्याज को बताकर छह माह का ब्याज देने का आदेश दिया लेकिन, आदेश में छग स्टेट पॉवर जनरेशन कम्पनी लिमि द्वारा उठाए गए परिसम्पत्तियों की गणना एवं वृक्षों के मुआवजा सहित अन्य विषयों को अनदेखा कर दिया।
अधिवक्ता दुर्गेश शर्मा ने कहा, एक गाँव में कई सौ करोड़ से अधिक राशि का प्रमाणित हो चुके भ्रष्टाचार की जाँच कराकर तत्कालीन कलेक्टर रायगढ़ द्वारा इस आर्थिक अपराध को रोका जा सकता था। आश्चर्यजनक तथ्य इसमें यह है कि छग स्टेट पॉवर जनरेशन कम्पनी लिमि, के अपीलकर्ता अधिकारी कलेक्टर द्वारा दिए गए फैसले के विरूद्ध अपील में न जाकर मुआवजा राशि को शासन के पक्ष में जमा कराया जाना एक सुनियोजित आर्थिक षड़यंत्र प्रतीत होता है।
EOW और सीबीआई जांच की मांग
दुर्गेश शर्मा ने अपने विज्ञप्ति में कहा है कि राज्य शासन के जाँच प्रतिवेदन एवं अन्य प्रमाणित दस्तावेजों सहित पुलिस महानिरीक्षक, राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो को गत 08 नंवबर 2024 को एवं स्मरण-पत्र प्रेषित कर बजरमुड़ा के प्रमाणित भ्रष्टाचार में संलिप्त अधिकारी/कर्मचारी के अलावा तत्कालीन कलेक्टर एवं छग स्टेट पॉवर जनरेशन कम्पनी लिमि के अधिकारी सहित अन्य पर अपराध पंजीबद्ध करने का आग्रह किया गया था। लेकिन, इसे संज्ञान में नहीं लिया गया।
अधिवक्ता दुर्गेश शर्मा ने कहा, राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो द्वारा जाँच एवं कार्यवाही नहीं किए जाने की स्थिति में प्रमाणित भ्रष्टाचार के मामले में सीबीआई जाँच के लिए उच्च न्यायालय की शरण में जाकर मामले की समुचित जाँच के लिए याचिका दायर किया जाएगा, जिससे वास्तविक मुआवजा से कई गुना अधिक मुआवजा प्राप्तकर्ता कृषकों से किन-किन अधिकारियों द्वारा अवैध राशि उगाही की गई है, इसका खुलासा हो सकेगा।