
कोरबा। राजनीति हो या भ्रष्ट्राचार छत्तीसगढ़ में कोरबा का कोई मुकाबला नहीं है..कोयला परिवहन घोटाला हो या डीएमएफ फंड घोटाला सभी में कई बड़े अफसर जेल की हवा खा रहे हैं, जबकि इसी शहर में भ्रष्ट्राचार की बाउंड्रीवाल बनाने वाले निगम इंजीनियर मलाई काट रहे हैं। शहर में इस बात की चर्चा है कि डीएमएफ फंड से निगम में लाखों के काम हुए जिनकी क्वालिटी साल भर नहीं टिकी मगर इसकी जांच नहीं हो पा रही है। निगम के इंजीनियर का यह कमाल एक बार फिर चर्चा में आ गया है। शहर के लोग समझ नहीं पा रहे हैं ये निगम इंजीनियर का कमाल है या भ्रष्ट्राचार का..। कुल मिला पीसा की मीनार के तरह झुका यह बाउंड्रीवाल लाल बुझक्कड़ की पहेली बना हुआ है।
नगर निगम कार्यालय से महज 700 मीटर की दूरी पर हो रहे निर्माण कार्य में निगम के इंजीनियर राहुल मिश्रा की कारीगरी इस वक्त चर्चा में है। दरअसल पुराने कोर्ट के समीप बने सभागृह की बाउंड्रीवाल टेढ़ी हो गई और तो और जिस पर वो खड़ा है वह वॉल भी टेढ़ा हो गया है। शिकायत हुई तो इंजीनियर साहब टेढ़े हुए एरिया को तोड़वाकर फिर से जोड़ने में लगे है। नगर निगम के इंजीनियर का कहना है कि वॉल मिट्टी के दबाव की वजह से टेढ़ा हो गया था। जिसे फिर से तोड़कर जोड़ने का काम किया जा रहा है।
ऐसे में सवाल उठता है कि इस निर्माण कार्य का मेजरमेंट भी निगम के इंजीनियर ने ही किया होगा..तब उसकी गुणवत्ता क्यों नहीं परखी गई। क्या सिर्फ ठेकेदार को फायदा दिलाने के लिए बिना गुणवत्ता का काम कराया जा रहा है। बता दें कि नगर निगम कार्यालय से लेकर कोसाबाड़ी, घण्टाघर, बुधवारी, सीएसईबी चौक, आईटीआई से बुधवारी वीआईपी रोड, सीएसईबी चौक से सीतामणी तक मुख्यमार्ग की पूरी सडक़ उखड़ गई। इसकी भी जांच जरूरी है।
हालांकि नगर निगम आयुक्त आशुतोष पांडेय ने कहा कि पुराने कोर्ट के पास निर्मित सभागृह के निर्माणधीन बाउंड्रीवाल टेढ़ा होने की जानकारी पर ठेकेदार को नोटिस जारी किया गया है। बाउंड्रीवाल को तोड़कर फिर से बनाने का निर्देश दिया गया है। लेकिन घटिया निर्माण के लिए केवल ठेकेदार को नोटिस दिया जाना पर्याप्त नहीं उसे ब्लैक लिस्ट किया जा सकता है। और निर्माण कार्य की देखरेख करने वाले निगम के इंजीनियर को क्लीन चिट देना समझ देना समझ से परे है।