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Holashtak…red light and red :थाने में टेबल टॉक.. साहब कब जाएंगे,भगत लिख रहे भाग्य, विभाग का दुर्भाग्य..न खाता न बही जो “साहब” लिख दें वही सही ?तो हुई सस्ती बहुत ही शराब… की जमकर पिया करो

थाने में टेबल टॉक.. साहब कब जाएंगे…

 

साल 2010 में फिल्म रिलीज हुई थी अतिथि तुम कब जाओगे की समीक्षा करते हुए थानेदार टेबल टॉक करते पूछ रहे साहब कब जाएंगे..!

असल में प्रदेश स्तर पर होने वाले आईपीएस आईएएस के तबादले में हो रही विलंब से थानेदारो के सब्र का बांध टूटने लगा है। टीआई टेबल टॉक करते हुए आपस मे एक दूसरे को पूछ रहे हैं साहब कब जाएंगे.. तो कुछ कौन आ रहा , कब तक होगा …।

कहा तो यह भी जा रहा कि स्थानांतरण सूची की प्रतीक्षा बड़े अफसरों के साथ जिले के जांबाज थानेदारों को भी है क्योंकि ऊर्जाधानी में कोयला और डीजल से ऊर्जा के साथ रेत से तेल और सट्टा जुआ के खेल से थानेदारी चमकाने वाले थानेदार कप्तान की कप्तानी पारी से हताश हैं।

उनका हताश होना भी जायज भी है क्योंकि थानेदार कोरबा पोस्टिंग ही कुछ पाने और गीत गुनगुनाने के लिए कराते हैं। सो जब तक कुछ बड़ा न हो थानेदारी का मजा कैसा..! पुलिस के पंडितों की माने तो जिले में अवैध कामों को सिर्फ हवा देने टीआई जोर आजमाइश कर चुके हैं लेकिन, साहब के सिद्धांत के आगे उनकी एक न चल सकी।

सो अब ऐसे थानेदारों को मात्र स्थानांतरण के संबल में अपना बल नजर आ रहा है। हालांकि उनकी मनोकामना पूरी होगी या नहीं यह तो बाद की बात है..। चर्चा तो इस बात की भी जोरों पर है कि कुछ अवैध कारोबारी भी थानेदारों के साथ उठक बैठक कर साथ में गीत “हम होंगे कामयाब एक दिन” गुनगुना रहे हैं।

 

भगत लिख रहे भाग्य, विभाग का दुर्भाग्य

 

वैसे तो भाग्य लिखने का काम भगवान का होता है लेकिन कलयुग में अफसर अपने अधीनस्थ महिला कर्मचारी और ठेकेदारों का भाग्य लिखने लगे हैं।

वाक्या ट्राइबल डिपार्टमेंट के एक भगत जी का है जो ठेकेदारों का भाग्य लिखते हुए डिपार्टमेंट को गर्त में धकेल रहे है।

दरअसल पूर्वर्तीय सरकार में कोरबा आदिवासी विभाग में हुए भ्रष्टाचार को लोग भूल भी नही पाएं हैं। अब विभाग के एक भगत ने ठेकेदारों का भाग्य इस कदर लिख डाला कि वे चर्चा में आ गए है। सूत्रधार की माने तो सहायक आयुक्त ने विभाग के करोड़ो रूपये चहेते ठेकेदारों को बांटकर अंधा बांटे रेवड़ी अपने अपने को देय..की कहावत को सच कर दिया। कहा तो यह भी जा रहा कि साहेब ने छात्रावासों की मरम्मत कराने के नाम पर बिना मापदंड के काम बांट दिए। मात्र काम बांट  देते तो भी प्रश्न नही होता, भगत जी ने तो मरम्मत कार्य के लिए भी अग्रिम राशि जारी कर दिया। वैसे चर्चा तो गरियाबंद में इस बात की भी जमकर है कि रकम किसी और फर्म में ट्रांसफर होता है और दाम कोई और वसूल रहा है। विभाग में चल रही कानाफूसी से तो यही बात सामने आ रही है कि तो साहब ठेकेदारों के भाग्य चमकाते- चमकाते विभाग की दुर्दशा कर चुके हैं। ट्राइबल डिपार्टमेंट के जानकारों की माने तो जांच होने पर कोरबा कांड से बड़ा तहलका मच सकता है या कहें सुनामी आ सकती है। वैसे जिन ठेकेदारो के भाग्य भगत जी ने लिखे हैं उनका भाग्योदय हो गया है।

न खाता न बही जो “साहब” लिख दें वही सही ?

 

प्रशासनिक अफसरो में इन दिनों “न खाता न बही जो “साहब” लिख दे वही सही की कहावत चरितार्थ होने लगी है।

बात शिक्षा के मंदिर को कारोबार में परिणित करने वाले बुद्धजीवियों के वर्ग को लेकर है।

शहर में ऐसे कई स्कूल संचालित है जो झूठ की बुनियाद पर खड़े हुए हैं। हो भी क्यों न आखिर दस्तावेज पर दस्तखत करने वाले नोट के आगे नतमस्तक जो है। तभी तो सालों से तुलसीनगर में स्कूल संचालित होता रहा और शिक्षा विभाग के अफसरों ने आंख बंदकर या यूं कहे नजराना लेकर मान्यता को रिन्यूअल करते रहे। जब शिकायत और एक के बाद एक आरटीआई लगे तो स्कूल की बुनियाद हिलने लगी।

बात जब शिक्षा विभाग अफसरों पर बन आई तो स्कूल बंद करने का नोटिस जारी किया गया। कहा तो यह भी जा रहा है कि जिस स्कूल को वैधानिक मान्यता नही वे भी आरटीई यानी राइट टू एजुकेशन की राशि का अवैध रूप से आहरण कर वसूल रहे हैं। अब यक्ष प्रश्न यह उठता है.. क्या शिक्षा विभाग के अफसर यूं ही बिना किसी जांच पड़ताल के स्कूल खोलने की मंजूरी दे देते है। या फिर कहानी कुछ और है…! वैसे भी शिक्षा विभाग में फ़िल्म काला बाजार का

” धन-धन की सुनों झंकार, ये दुनियां है काला बाजार… ये पैसा बोलता है ” की धुन गुंजायमान है।

 

होलाष्टक​…लालबत्ती और लाल बुझक्कड़

 

छत्तीसगढ़ में चुनाव निपट गए और आज सरकार अपना बजट पेश करेगी। इसी के साथ लालबत्ती चाहने वालों की धड़कन बढ़ गई है। करीब डेढ़ साल से लालबत्ती लाल बुझक्कड़ की पहेली हो गई है। पहले खबर आई थी लोकसभा चुनाव के बाद लालबत्ती बांटेंगी फिर आया निकाय चुनाव..वो गुजर गया मगर लालबत्ती वाली गाड़ी ट्रेफिक सिग्नल से आगे नहीं बढ़ पाई।

मंत्री बनने और निकाय चुनाव में पार्टी को जीताने के लिए पार्टी के नेताओं ने पूरा जोर लगा दिया और अब लालबत्ती वाली गाड़ी मिलने का इंतजार हो रहा है। मगर कैबिनेट विस्तार और निगम मंडलों की नियुक्ति में होलाष्टक की वजह से ये इंतजार फिर लंबा हो गया है। असल में 7 मार्च से होलाष्ट लग रहा है और भगवा पार्टी में होलाष्टक में कैबिनेट विस्तार और निगम मंडलों की नियुक्ति करने से रही,इसलिए अब इस पर होली के बाद ही फैसला होना है।

खबरी लाल की मानें तो कैबिनेट विस्तार और निगम मंडलों की नियुक्ति होली के बाद होगी। लेकिन बीजेपी के गलियारों में कुछ नामों की चर्चा चल पड़ी है। कईयों ने थोक भाव में रंग गुलाल खरीद लिया है। अब रंग गुलाल खेलने का मौका कब मिलेगा ये होली के बाद ही पता चलेगा। तब तक इंतजार करना होगा।

 

 

तो हुई सस्ती बहुत ही शराब… की जमकर पिया करो !!

 

आज पेश होने वाले बजट में होली पर एक अच्छी खबर आ रही है। प्रदेश सरकार सबके साथ सब का ख्याल रखने जा रही है। असल में सरकार सरकारी ठेकों पर मिलने वाली शराब के दाम घटाने जा रही है..अब आपका का क्या ख्याल है..यानि इस बार जमकर होली मनेगी।

असल में सरकार गोवा से लेकर ब्लू लेबल ब्रांड की शराब के छत्तीसगढ़िया प्रेमियों को ख्याल में रखकर ये फैसला ले रही है। अभी तक ये शराब पड़ोसी राज्यों से तस्करी करके छत्तीसगढ़ में पहुंचाई जा रही थी, चुनाव में करोड़ों रुपए की गोवा से लेकर ब्लू लेबल की शराब जब्त हुई थी। इससे सरकार के खजाने को नुकसान उठाना पड़ा था।

वैसे भी शराब पीने के मामले में देशभर में छत्तीसगढ़ 5वें नंबर पर है। राज्य की जनसंख्या में लगभग 40 प्रतिशत लोग शराब के उपभोक्ता हैं। तो ऐसे में गोवा ब्रांड की शराब सरकारी ठेकों में मिलने लगेगी तो इससे सरकार का खजाना तो भर ही जाएगा साथ तस्करी भी रुकेगी। और सबका ख्याल रखने वाली सरकार की छबि में बनी रहेगी। जो भी हो अभी तो होली के लिए स्टाक जमा करने मौका है तो चूके नहीं…तो हुई महंगी बहुत ही शराब की थोड़ी – थोड़ी पिया करो !! को भूल जाएं और होली की तैयारी में लग जाएं।

 

✍️ अनिल द्विवेदी, ईश्वर चन्द्रा

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