प्रतीकात्मक तस्वीर
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में ध्वनि प्रदूषण से जुड़ी जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने ध्वनि प्रदूषण पर गंभीर नाराजगी जताते हुए कहा कि, “आम जनता की शिकायतें लगातार मिल रही हैं, लेकिन नियमों का पालन नहीं हो रहा है। ऐसा लगता है कि कानून व्यवस्था नाम की चीज नहीं बची है।”
शोर के कारण बच्चे की मौत को लिया संज्ञान में
नागरिक संघर्ष समिति रायपुर और अन्य नागरिकों ने शादी समारोह और त्योहारों में तेज आवाज से बजने वाले डीजे के खिलाफ याचिका दायर की थी। कानफोड़ू शोर के कारण एक बच्चे की मृत्यु की घटना पर भी कोर्ट ने संज्ञान लिया है। हाईकोर्ट ने ध्वनि प्रदूषण से जुड़ी जनहित याचिका पर राज्य सरकार से प्रदेशव्यापी कार्रवाई का खाका पेश करने को कहा है।
DGP ने पेश किया शपथ पत्र
इस सुनवाई में पुलिस महानिदेशक (DGP) ने ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण के संबंध में शपथ पत्र पेश करते हुए बताया कि सभी जिलों में पुलिस अधीक्षकों को कार्रवाई की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
सुनवाई में डीजीपी ने ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए बनाई गई कार्ययोजना की जानकारी देते हुए बताया कि इसे लागू करना शुरू कर दिया गया है और हर जिले में पुलिस अधीक्षकों को इस संबंध में जवाबदेह बनाया गया है।
कार्रवाई नहीं होने पर भुगतेंगे जिम्मेदार
कोर्ट ने राज्यभर के कलेक्टरों को सख्त निर्देश दिए कि वे कोर्ट के आदेशों और ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण नियमों का पालन सुनिश्चित करें, अन्यथा उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। ध्वनि प्रदूषण पर गंभीर नाराजगी जताते हुए कहा कि, “आम जनता की शिकायतें लगातार मिल रही हैं, लेकिन नियमों का पालन नहीं हो रहा है। ऐसा लगता है कि कानून व्यवस्था नाम की चीज नहीं बची है।”
महाधिवक्ता प्रफुल्ल एन भारत ने कोर्ट को बताया कि बिलासपुर के सिटी कोतवाली थाना क्षेत्र में हाल ही में तेज ध्वनि प्रदूषण के 6 मामले दर्ज किए गए हैं। इसके अलावा, सिविल लाइन इलाके में भी एक मामला सामने आया है। बिलासपुर एसपी ने त्योहारों से पहले डीजे संचालकों के साथ बैठक कर स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि तेज आवाज में डीजे बजाने पर सख्त कार्रवाई होगी, डीजे जब्त किए जाएंगे, और रात 10 बजे के बाद डीजे बजाने की अनुमति नहीं दी जाएगी।