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Good governance: ऊपर भगवान नीचे कप्तान और,थानेदार और “मुंगेरीलाल” ..दो नावों पर शान की सवारी, 4 जून के बाद…

ऊपर भगवान नीचे कप्तान और…

 

कहते हैं जब ऊपर वाला आंखें तरेर ले तो ऊंट में चढ़े आदमी को भी कुत्ता काट लेता है। ठीक ऐसा ही होता है जब पुलिस कप्तान आंखे तरेर ले तो सात समंदर पार से अपराधियों को गिरफ्तार होने से कोई नही बचा सकता। तभी तो कोरबा पुलिस कप्तान के आंखें तरेरने के बाद कोरबा की स्पेशल टीम ने अरब सागर में गोता लगाकर चार बुकियों को बुक कर लिया है।

 

दरअसल सक्ती पुलिस की कड़ाई ने कप्तान को  गुस्सा दिला दिया, फिर क्या था कप्तान ने अपने तोतों को आंखें तरेर रटा दिया ये मंत्र “हर हाल में सटोरियों को पकड़ना है।”… कप्तान के मंत्र के बाद सायबर और मुखबिर दोनों तंत्र एक साथ एक्टिव हुए और राताखार से एक बुकी को धर दबोचा। पकड़े गए बुकी की निशानदेही पर एक टीम गोवा निकल पड़ी। टीम ने गोवा के मनोरम वादियों में थोड़ी मस्ती और गश्ती करते हुए अरब सागर में गोता लगाकर समुद्र से शिप की तरह चार सटोरियों को धर दबोचा। पुलिस के अचानक एक्टिव हुए तंत्र को लेकर जनमानस में चर्चा है “ऊपर भगवान और नीचे कप्तान की नजर से कोई नही बच सकता।”

थानेदार और “मुंगेरीलाल”

जिले के थानेदार दिन में मुंगेरीलाल के हसीन सपने देखना शुरू कर दिए हैं। उन्हें लग रहा है कि अचार संहिता हटते ही थानों में फेरबदल होगा और मलाई वाले थाने में पोस्टिंग मिलेगी। बड़े थाना का सपना संजोने वाले थ्री स्टार सुपरकॉप को यह उम्मीद है कि हमें बड़े थाने मिलने वाला है। उम्मीद करना अच्छी बात है क्योंकि उम्मीद में ही दुनिया कायम है। अगर कहीं थानेदारों का सपना सच साबित हुआ तो तीन ऐसे भी थाना है जिसका नाम सुनकर ही जबांज अफसरों को भी पसीना छूट जाता है। ये थाना है लेमरू श्यांग और पसान..! शहरी क्षेत्र में पदस्थ थानेदार को कहीं जंगल भेजा गया तो उनका सपना उल्टा पड़ जाएगा।

सो बैठे बैठाये अच्छे और मलाईदार थाने को छोड़ना पड़ेगा और जंगल में बैठकर गम में जाम छलकाना पड़ेगा। अगर बात ओवरस्मार्ट और ठग विद्या में माहिर थानेदारों की जाए तो उनकी किस्मत इतनी बुलंद है उन्हें फिर एल्युमिनियम नगरी का थाना मिल सकता है। कहा तो यह भी जा रहा है जल्द एक जिला स्तरीय लिस्ट जारी होने वाली है। जिसमें कुछ थानेदारों की लाटरी लग सकती है। हालांकि अभी अचार संहिता हटने में देरी है ऐसे में उन थानेदारों को एक गोल्डन चांस और मिल सकता जो चुनावी पिच पर फिरकी गेंद फेंककर अपना थाना भी बचा लें और दूसरे को प्रभावित भी कर सके।

बहरहाल मुंगेरीलाल के हसीन सपना देखने वाले इन टीआई का सपना पूरा होगा या रह जाएगा अधूरा इसके लिए थोड़ा इंतजार और करना होगा। तो थोड़ा इंतजार का मजा लीजिए का गाना गुनगुनाते रहिए..!

 

दो नावों पर शान की सवारी, DTO के मान पर भारी…?

 

हमें बचपन से सिखाया जाता है कि दो नावों की सवारी करने वाला अक्सर डूब जाता है। लेकिन, परिवहन विभाग के अफसर दो नावों की सवारी को शान की सवारी समझ रहे हैं। हां ये बात अलग है उनकी सवारी शहर के कॉमनमैन पर भारी पड़ रही है। तभी तो राख और कोयला लोड गाड़ियां ओवर लोड बेखौफ सड़क पर दौड़ रही है।

कहा तो यह भी जा है कि साहेब का पोस्टिंग वाले जिले पर फोकस ज्यादा रहता है और उधारी यानी प्रभारी जिले पर कभी कभार एहसान कर देते हैं। बिना अफसर के चल रहे दफ्तर में काम कराने वाले एजेंटों का दबदबा बढ़ता जा रहा है और अव्यवस्था होगी तो स्वाभाविक रूप से साहेब के मान पर बात आएगी।

स्वतंत्र प्रभार वाले डीटीओ की पोस्टिंग न होने से उड़नदस्ता टीम की चांदी हो गई है। सूत्रों की माने तो जिले के ट्रांसपोर्टरों से बाकायदा विभागीय कर्मी मंथली प्रोटक्शन मनी वसूलते हैं जो 20 पेटी के आसपास है। आद्योगिक नगरी कोरबा की एक्स्ट्रा कमाई ने साहेब को एक टिकट पर दो पिक्चर देखने पर मजबूर कर रखा है।

4 जून के बाद…

 

लोकसभा चुनाव के नतीजे 4 जून को आ जाएंगे, इसी के साथ आचार संहिता शिथिल हो जाएगी। इस बार चुनाव सबसे से लंबा चला। करीब 4 महीने से आचार संहिता प्रभावी होने से सरकारें कई फैसले लेने से चूकती रही। इसमें प्रशासनिक और नीतिगत दोनों तरह के मामले शामिल हैं।

 

 

छत्तीसगढ़ में भी कुछ ऐसे ही हालात है। खबरीलाल की माने तो 4 जून के बाद कभी प्रशासनिक स्तर पर आईएएस और आईपीएस लेबल पर फेरबदल की फाइल तैयार है, जो कभी भी जारी हो सकती है। चर्चा है कि मुख्य सचिव अमिताभ जैन के छुट्टी से लौटने के बाद प्रशासन, और पुलिस में छोटा सा बदलाव हो सकता है। वैसे भी एसीएस रिचा शर्मा केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति से लौटकर मंत्रालय में जॉइनिंग दे चुकी हैं। उन्हें विभाग मिलना बाकी है।

 

 

पुलिस में भी 2005 बैच के आईजी स्तर के अफसर ध्रुव गुप्ता भी केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति से लौट आए हैं। उन्हीं के बैच के अफसर आईजी बीएस ध्रुव भी रिटायर हो गए हैं। इन सबको देखते हुए जल्द ही पुलिस और प्रशासन में फेरबदल हो सकता है। इस फेरबदल में पुलिस मुख्यालय के कुछ अफसर भी प्रभावति होंगे। वैसे तो छत्तीसगढ़ में चुनाव ठीक ठीक गुजरा मगर कुछ अफसरों की शिकयतें भी पहुंची हैं, वो भी इस लिस्ट में आ सकते हैं।

सरकारी खर्चे पर सुशासन का ब्रेक

छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय सरकार सरकारी खजाने से होने वाली फिजूल खर्चे को लेकर पूरी तरह गंभीर हो गई है। मंत्री अफसर और मैदानी अमले के वाहन भत्ते और जरूरी खर्चे के लिए कड़े निर्देश दिए जा रहे हैं। इससे पहले वित्त मंत्री ने बंद योजनाओं की बचत राशि ट्रेजरी में जमा करने को कह चुकी है। अब वित्त विभाग ने केंद्रीय माल और सेवा कर अधिनियम के प्रावधानों को कड़ाई से लागू करने की बात कही है।

 

अफसरों को कहा गया है कि शासकीय विभागों द्वारा की जाने वाले सामग्री खरीदी एवं सेवा प्राप्ति पर प्रदायकर्ताओं को तथा ठेकेदारों को किये जाने वाले भुगतान पर स्रोत पर कर की कटौती (GST-TDS) के प्रावधानों का कड़ाई से पालन करें। ताकि प्रदेश में बीजेपी सरकार की गारंटी योजना के लिए राशि की कमी न हो पाए।

 

ऐसे में विभागों द्वारा खरीदी जाने वाली सामग्री, मशीन-उपकरण, फर्नीचर, स्टेशनरी अथवा अन्य खरीदी में मोटी कमाई करने वाले अफसरों को तकलीफ बढ़ गई है। खबरीलाल की माने तो इस मार्च का महीना चुनाव आचार संहिता के बीच गुजरा है। अफसरों पर आयोग की टेढ़ी नजर की वजह से कई विभागों में खरीदी की फाइल 4 जून के बाद बैक डेट में चलाने की तैयारी थी। मगर अब वित्त विभाग के निर्देश के बाद ऐसे अफसरों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है।

 

मार्च में सरकारी खरीदी में कमीशन से होने वाली मोटी कमाई अब उनके खजाने में नहीं सरकारी खजाने में आने वाली है। लिहाजा अफसर जुगाड जंतर में लगे हैं। कैसे फाइल आगे बढ़े। और सुशासन वाली सरकार भी बनी रहे।

✍️ ईश्वर चन्द्रा

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