Featuredकोरबाराजनीतिसामाजिक

SECL विस्तार परियोजनाओं से प्रभावितों का मुद्दा गरमाया, पूर्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने CMD को लिखा पत्र

कोरबा। एसईसीएल प्रबंधन द्वारा जिले में संचालित कोरबा, कुसमुण्डा, गेवरा, दीपका सहित अन्य कोयला खदानों की विस्तार परियोजनाओं से प्रभावित ग्रामीणों के पुनर्वास को लेकर एक बार फिर विवाद गहराने लगा है। प्रभावितों का कहना है कि उन्हें विस्थापित करने से पहले मुआवजा, बसाहट और बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने का वादा किया गया था, लेकिन अब तक ये पूरी तरह नहीं हो सका है।

पूर्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने इस संबंध में एसईसीएल सीएमडी को पत्र लिखा है। उन्होंने पत्र में स्पष्ट कहा है कि प्रभावितों को रोजगार, मुआवजा और बसाहट क्षेत्र में सड़क, पानी, बिजली, स्कूल, स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक भवन जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराए बिना मूल स्थान से विस्थापित करना नियमों के खिलाफ है।

अग्रवाल ने उठाए सवाल

अग्रवाल ने 30 मई 2025 को इस विषय पर पहला पत्र भेजा था, जिसके जवाब में एसईसीएल मुख्यालय बिलासपुर से 2 अगस्त को पत्र जारी कर जानकारी दी गई थी। प्रबंधन ने दावा किया था कि कुसमुण्डा परियोजना विस्तार के तहत ग्राम जटराज (चंद्रनगर) का अधिग्रहण हो चुका है और सभी प्रभावित परिवारों को मुआवजा तथा पात्रता अनुसार रोजगार दिया गया है। साथ ही वैकल्पिक रोजगार की व्यवस्था भी एसडीएम कटघोरा की देखरेख में की जा रही है।

भ्रामक जानकारी का आरोप

हालांकि अग्रवाल का कहना है कि एसईसीएल का यह दावा भ्रामक है। उनका आरोप है कि जिन 54 परिवारों को डेढ़ साल पहले सर्वमंगला नगर और दुरपा में बसाया गया था, उन्हें आज तक रोजगार और बुनियादी सुविधाएं नहीं मिलीं। बसाहट क्षेत्र में केवल आधी-अधूरी नाली का निर्माण हुआ है, जबकि सामुदायिक भवन, सड़क, आंगनबाड़ी, मंदिर, स्वास्थ्य केंद्र, पेयजल और अन्य जरूरी सुविधाएं अब तक उपलब्ध नहीं कराई गई हैं।

उन्होंने लार कानून 2013 (संशोधित 2015) का हवाला देते हुए कहा कि बिना सुविधाएं उपलब्ध कराए किसी भी परिवार को बसाहट नहीं दी जा सकती, लेकिन नियमों का उल्लंघन करते हुए ऐसा किया गया है।

अभी भी रोजगार से वंचित कई परिवार

पूर्व मंत्री ने यह भी कहा कि कुसमुण्डा परियोजना विस्तार का अधिग्रहण चार चरणों में किया गया है, लेकिन बड़ी संख्या में प्रभावित खातेदार आज भी रोजगार से वंचित हैं। न तो कुसमुण्डा प्रबंधन और न ही प्रशासन ने उन्हें वैकल्पिक रोजगार उपलब्ध कराया है।

उन्होंने सीएमडी से मांग की है कि विस्थापित परिवारों को शीघ्र मुआवजा, सुविधाएं और रोजगार उपलब्ध कराए जाएं, ताकि विस्थापन की प्रक्रिया न्यायसंगत तरीके से पूरी हो सके।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button