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Former CM Digvijay Singh: दिग्गज कांग्रेस नेता और पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित

भोपाल/नई दिल्ली। former CM Digvijay Singh’s brother Laxman Singh expelled from Congress party for 6 years : मध्यप्रदेश की सियासी गलियारों से बड़ी खबर सामने आई है। जहां पूर्व सीएम और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह के खिलाफ कांग्रेस ने बड़ा एक्शन लेते हुए उन्हें पार्टी के 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया है। दरअसल, कांग्रेस पार्टी ने अनुशासन कमेटी के अध्यक्ष तारिक अनवर ने लक्ष्मण सिंह को पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित करने के लिए आलाकमान को सिफारिश को भेजी थी।

Former CM Digvijay Singh: क्या है मामला

कश्मीर के पहलगाम में 26 अप्रैल को हुए आतंकी हमले को लेकर लक्ष्मण सिंह ने जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया था कि अब्दुल्ला आतंकवादियों से मिले हुए हैं। कांग्रेस को तुरंत नेशनल कांफ्रेंस से समर्थन वापस ले लेना चाहिए।

Former CM Digvijay Singh: राहुल गांधी को हिदायत देनी पड़ी भारी

कांग्रेस महासचिव और सांसद प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा पर निशाना साधते हुए लक्ष्मण सिंह ने कहा था कि रॉबर्ट वाड्रा जीजा जी, राहुल जी का…उसने क्या कहा मुसलमानों को सड़क पर नमाज नहीं पढ़ने देते इसलिए आतंकवादियों ने हमला किया। ये बचपना हमलोग कब तक झेलेंगे। राहुल गांधी सोच समझकर बात करें, वो नेता प्रतिपक्ष हैं।

Former CM Digvijay Singh: पहले भी दिए कई बयान

पिछले साल लोकसभा चुनाव में हार के बाद भी लक्ष्मण सिंह चर्चाओं में थे। 10 जून को ही लक्ष्मण सिंह ने पार्टी की हार पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी को घेरा था। जब पटवारी ने दिल्ली में हुई सीडब्ल्यूसी की बैठक का फोटो ट्वीट कर नेताओं के नाम सहित लिखा था कि विशेष मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। इस पर लक्ष्मण सिंह ने लिखाकि तुम अध्यक्ष हो, अपने पैरों पर कब खड़े होंगे या ‘मार्ग दर्शन’ ही लेते रहोगे। जिनको अपने मार्ग का पता नहीं, वो तुम्हें क्या मार्ग दर्शन देंगे?

Former CM Digvijay Singh:5 राज्यों में हार पर उठाया था सवाल

मार्च 2022 में पांच राज्यों में कांग्रेस की हार पर लक्ष्मण सिंह ने एक ट्वीट किया था, जो काफी चर्चाओं में रहा। लक्ष्मण सिंह ने लिखा था कि कांग्रेस की नीति, योजनाएं हमेशा आम आदमी के लिए ही बनी हैं, बनती रहेंगी। चुनाव की हार-जीत का कारण संगठन के निर्णय होते हैं। कार्यकर्ताओं की भावनाओं को सुनेंगे, फैसले फिर लेंगे तो अवश्य जीतेंगे।

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