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Engine on engine : ASP की चर्चा और पर्चा,सत्र के पहले एक और लिस्ट..छत्तीसगढ़िहा अस्मिता वर्सेस 13 महीनों का,सीएसईबी में कमीशन और

🔶ASP की चर्चा और पर्चा,

कहते है गेम चेंजर बनो दोस्त,क्योंकि ये दुनिया पहले से ही खिलाड़ियों से भरी हुई है… इस पंच लाइन को आगे बढ़ाते हुए कटघोरा चुनाव में एएसपी की चर्चा मतदाताओं का मूड चेंज कर रही है।

बात धन्ना सेठों के नगर की है। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक की चर्चा अचानक सभी मुद्दों का खेल बिगड़ रहा है। नगरवासियों की डिमांड को राज ने पूरा करने के संकल्प लेकर चुनावी गेम चेंजर साबित करने माहौल बना दिया है। पूर्ववर्ती सरकार ने कटघोरा में एडिशनल एसपी और अपर कलेक्टर के पदस्थापना की घोषणा थी तो जिला बनाने की मांग करने वालों को तपती धूप में हल्की बारिश बूंदे मिली कि चलो आंदोलन हुआ तो कुछ तो प्रतिफल मिला।सरकार के वायदे पर एएसपी की पोस्टिंग तो हुई लेकिन कटघोरा में मुख्यालय नहीं बन पाया । लिहाजा आज भी सौ किलोमीटर दूर से पसान क्षेत्र की जनता अपनी दुखड़ा सुनाने कोरबा पुलिस मुख्यालय का चक्कर लगाते हैं। एएसपी मुख्यालय नहीं होने से जिन मामलों का निपटारा एसडीओपी कार्यालय से नहीं हो पाता उसके लिए कोरबा में एसपी आफिस के लिए बिचौलियों का सहारा लेना पड़ता हैं। स्थानीय नागरिको की समस्या को चुनाव में राज ने मुद्दा बनाकर कटघोरा में एएसपी की पोस्टिंग के साथ मुख्यालय खुलवाने का संकल्प लिया है। नेता जी का ये संकल्प कटघोरा के सभी संकल्पों पर भारी पड़ रहा हैं। उनके बातो और इरादों को देख युवा मतदाता कहने लगे है गेम चेंजर बनो दोस्त,क्योंकि ये दुनिया पहले से ही खिलाड़ियों से भरी हुई है..!

 

🔶छत्तीसगढ़िहा अस्मिता वर्सेस 13 महीनों का काम …

गीतकार कांति लाल यादव का गीत ” मोर छत्तीसगढ़ के माटी “..तो हिट है ही, अब चुनावी रण में छत्तीसगढ़िहा अस्मिता भी हिट हो रही है। बात हाईप्रोफाइल सीट कोरबा मेयर की है। मिसेज तिवारी छत्तीसगढ़ की अस्मिता कार्ड से चुनावी वैतरणी पार लगाना चाहती हैं तो दूसरी तरफ सियासी पिच पर मिसेज संजू सरकार के 13 महीना के काम काज का बखान कर सुशासन कार्ड खेलकर जनता का आशीर्वाद मांग रही है।

वैसे तो कोरबा मेयर सीट में छत्तीसगढ़िहा वोटरों की संख्या सर्वाधिक है। वहीं अगर बात शहरी क्षेत्रों की जाए तो औद्योगिक नगरी के लिहाज से मिनी भारत भी बसता है। इस लिहाज से कांग्रेस और भाजपा के अपने अपने तराने हैं और जीत के लिए कांग्रेसी ” मोर छत्तीसगढ़ के माटी….अन्न इहा के गुरमटीया माटी के सीख सधार हे,बजुर छाती के परसादे..।” की लय में मतदाताओं का विश्वास जीतने का प्रयास कर रहे हैं।

तो भाजपा भी भगवा और भजन की गाथा के साथ 13 महीने के सरकार के काम काज का पाठ पढ़ा रही है। इन सबके बीच मतदाताओं के मौन से दोनों दल के नेताओं का गणित गड़बड़ाया है। कुल मिलाकर यह चुनाव छत्तीसगढ़ की अस्मिता और सुशासन पर चल पड़ी है। ये बात अलग है कि मतदाओं का मुखर न होना सभी को चौंका रहा है।

🔶 विधानसभा सत्र के पहले एक और लिस्ट

निकाय चुनाव के बाद 24 फरवरी से शुरु होने जा रहे छत्तीसगढ़ विधानसभा के बजट सत्र से पहले कुछ जिलों के कलेक्टर बदले जाएंगे। इसके लिए मंत्रालय में लिस्ट तैयार हो रही है। निकाय चुनाव में ठीकठाक रिजल्ट देने वाले कलेक्टर को छोड़कर बाकी 6 से ज्यादा जिलों में कलेक्टर इधर उधर किए जाएंगे।

सूत्रों के अनुसार धमतरी, दुर्ग समेत आधा दर्जन कलेक्टर बदले जाएंगे। वैसे दुर्ग कलेक्टर ऋचा प्रकाश चौधरी डेपुटेशन पर जा रही हैं इस वजह से दुर्ग में नई पोस्टिंग होगी। कुछ आईएएस को मंत्रालय से हटाकर जिलों में भेजा जाना है। इसके अलावा नए जिलों में भेजा जाएगा।

सूत्रों के अनुसार सीएम सचिवालय कलेक्टरों के कार्यां का बारीकी से मूल्यांकन कर रहा है। इसके अलावा सीएम सचिवालय से हर ​जिले के लिए प्रभारी सचिव नियुक्त किए गए हैं। जिनकी रिपोर्ट में जिन जिलों में कलेक्टर के परफार्मेंंस में पीछ होंगे उन्हें बदले जाने की तैयारी हो चुकी है। ये लिस्ट विधानसभा सत्र के पहले जारी हो सकती है।

🔶सीएसईबी में कमीशन और चंदा का खेल

छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत कंपनी में समान सप्लाई में बोगस खरीदी की फाइल सामने आने के बाद अफसरों की परेशानी बढ़ गई है। मामला सलट जाएं इसके लिए भ्रष्टाचार की फाइल को दबाने ठेकेदारों से कलेक्शन होने लगा है। जब से आरटीआई लगना शुरू हुआ तब से अफसर ज्यादा परेशान दिख रहे हैं।

असर में पिछली सरकार के कार्यकाल में छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत कंपनी में हुए खरीदी की है। पॉवर कंपनी में सौ रुपए के समान को चार गुना में खरीदी की गई है ये खबर अब लीक हो गई है। सूत्रधार की माने तो अफसरों तक ठेकेदार कलेक्शन पहुंचा चुके हैं। कहा तो यह भी जा रहा कि अफसरों का एक गैंग ठेकेदारों को कृष्ण जन्मभूमि का डर दिखाकर वसूली कर रहे हैं।

बताया जा रहा है कि अफसरों ने पहले तो कांट्रेक्टर से मोटा कमीशन वसूला और अब मामला को मैनेज करने अलग से चंदा। सीएसईबी से जुड़े जानकारों की माने तो सब वसूली गैंग के इशारे पर नए सप्लायरों को काम देने के लिए नई स्क्रिप्ट लिखी जा रही है। जो भी हो पर सीएसईबी के बोगस खरीदी की रिएक्शन और कांट्रेक्टर से कलेक्शन की चर्चा अंदरूनी खलबली मचा रही है।

🔶इंजन पर इंजन..

नगरीय निकाय के लिए ​कल वोट होंगे..नगर और शहर की सरकार चुनी जाएगी। इस बार जनता अपना अध्यक्ष खुद चुनेगी..इसे लेकर गली मोहल्लों में चर्चा चल रही है। लोग पूछ रहे हैं..जब अध्यक्ष पावरफुल होगा तो पार्षदों किस रोल में होंगे। कोई जवाब आता इससे पहले खबरीलाल बोल पड़े…अबकी बार डबल इंजन वाली सरकार…।

भीड़ में से आवाज आई, इंजन और सरकार कुछ समझे नहीं..तो खबरीलाल ने विस्तार से बताया..अरे भाई डबल इंजन यानि डबल ताकत…। भीड़ फिर चिल्लाई बात तो सरकार बनाने की हो रही थी ये इंजन कहां से आया…। भीड़ में खुसुर- फुसुर तेज हो इसे पहले खबरीलाल ने बताया..जमाना बदल गया है अब सरकार में भी इंजन होते हैं।

केंद्र और राज्य में अगर एक पार्टी की सरकार हो तो उसे डबल इंजन की सरकार कहते हैं और ऐसा होने पर कोई परेशानी नहीं होती माल पार्सल और पैसेंजर सभी मजे में रहते हैं। और अगर नगर और शहर में भी उसी पार्टी की सरकार हो तो बात पूरी होती उससे पहले शर्मा जी का बेटा जोर से चिल्लाया उसे ट्रिपल इंजन की सरकार कहते हैं। भीड़ ने नारा लगाया शाबाश..शाबाश बेटा..बाप का नाम का रोशन करोगे..।

भीड़ में से फिर किसी जोर से चिल्लाया….पंचायत में भी चुनाव हो रहे है..बात आगे बढ़ती उससे पहले खबरीलाल ने उसे समझाया बिल्कुल ठीक पकड़े हैं..उसे ट्रेटा इंजन की सरकार कहेंगे। तभी भीड़ में खड़े एक पार्षद प्रत्याशी ने जोर हांका लगाते हुए पूछ डाला खबरीलाल ये तो बताओ जब काम इंजन से हो जाएगा तो पार्षद क्या करेंगे।

खबरीलाल ने मुस्कुराते हुए कहा…इंजन और गार्ड ​डिब्बा के बीच जो बाकी डिब्बा होते हैं वही काम पार्षद को करना होता है..। यानी शोर करने की छूट होगी मगर चलना चलाना इंजन और गार्ड के कहने पर ही करना होगा..। आखिर में भीड़ खबरीलाल की इस बात पर सह​मत हो गई…कि सरकार से ज्यादा ताकत इंजन में है तो इंजन के साथ ही चलने में भलाई है। अब भीड़ ये बात कितना समझ पाई ये नतीजे वाले दिन ही पता चलेगा…।

✍️अनिल द्विवेदी , ईश्वर चन्द्रा

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