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Election Results: सुनक गए लेकिन ब्रिटेन की संसद में बढ़ी भारत की धमक, कनाडा के बाद सबसे ज्यादा सिख

Elections: ब्रिटेन चुनावों में ऐसी सूनामी चली कि ऋषि सुनक उड़ गए. उनकी कंजर्वेटिव पार्टी की करारी हार हुई है. लेबर पार्टी ने 650 सीटों में से 400 पार सीटें जीतकर 14 साल बाद प्रचंड वापसी की है. प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने हार स्वीकार करते हुए लिखा- I am sorry. लेबर पार्टी के नेता कीर स्टार्मर ब्रिटेन के अगली प्रधानमंत्री बनेंगे. इस चुनाव में भारतीय मूल के लोगों ने संसद में अपनी धमक बढ़ा ली है. इस बार हुए चुनाव में 28 भारतीय मूल के सांसद बने हैं, जिसमें 12 सिख हैं.

 

कनाडा के बाद अब ब्रिटेन में सबसे अधिक सिख समुदाय के सांसद बने हैं. कनाडा में सिख लोगों की संख्या बहुत हैं, कनाडा की संसद में 18 सिख सांसद हैं.

 

28 सांसदों में 6 महिलाएं

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक ब्रिटेन में चुने गए 28 भारतीय सांसदों में ‌6 महिलाएं भी चुनी गई हैं. रिकॉर्ड बनाते हुए 12 सिख हाउस ऑफ कॉमन्स के लिए चुने गए हैं. सभी सिख सांसद लेबर पार्टी के हैं. इनमें नौ सांसद पहली बार चुने गए हैं. दो सांसद लगातार तीसरी बार चुने गए हैं, एक सांसद दूसरी बार हाउस ऑफ़ कॉमन्स में पहुंचा है.

 

आइए जानते हैं सिख समुदाय से कौन-कौन बना सांसद
ब्रिटिश सिख सांसद प्रीत कौर गिल ने टोरी के पहली बार सांसद बने अश्विर संघा को हराया है. तनमनजीत सिंह ढेसी ने लगातार तीसरी बार बर्मिंघम एजबेस्टन और स्लॉ में लेबर के लिए अपनी सीटें जीतीं, नादिया व्हिटोम ने लगातार दूसरी बार नॉटिंघम ईस्ट से जीत हासिल की, जो खुद को क्वीर और कैथोलिक सिख मानती हैं. ​​व्हिटोम 2019 में 23 साल की उम्र में ही सांसद बन गई थीं, हाउस ऑफ कॉमन्स में सबसे कम उम्र की सांसद भी थीं.

 

कनाडा के बाद ब्रिटेन में सिखों का बोलबाला

बोल्टन नॉर्थ ईस्ट से पहली बार किरीथ एंटविस्टल जिन्हें किरीथ अहलूवालिया के नाम से भी जाना जाता है जीत हासिल की है. सोनिया कुमार भी डडली संसदीय सीट से पहली महिला सांसद बनीं हैं. इसी तरह, हरप्रीत कौर उप्पल ने हडर्सफील्ड संसदीय सीट जीतकर पहली बार संसद में प्रवेश किया है. 12 सिख सांसदों के साथ ब्रिटेन दुनिया का वह देश बन गया है, जहां कनाडा के बाद सबसे अधिक सिख समुदाय के लोग जीत कर आए हैं.

 

ऋषि सुनक समेत और किसने जीत की हासिल

ऋषि सुनक ने यॉर्कशायर में अपने रिचमंड और नॉर्थलेर्टन सीट पर निर्णायक जीत हासिल की है. कई भारतीय मूल के सांसद हैं, जिन्होंने इस चुनाव में अपनी सीट बचा ली है. जिसमें पूर्व गृह सचिव सुएला ब्रेवरमैन, प्रीति पटेल और सुनक की गोवा मूल की कैबिनेट सहयोगी क्लेयर कॉउटिन्हो शामिल हैं.

 

दो भारतीय आमने-सामने थे

गगन मोहिंद्रा ने कंज़र्वेटिव के लिए अपनी साउथ वेस्ट हर्टफ़ोर्डशायर सीट पर कब्ज़ा किया है. जबकि शिवानी राजा ने लीसेस्टर ईस्ट निर्वाचन क्षेत्र में पार्टी के लिए बढ़त दर्ज की, जहाँ वह भारतीय मूल के लेबर उम्मीदवार राजेश अग्रवाल के खिलाफ़ चुनाव लड़ रही थीं. दोनों ने शहर की प्रसिद्ध दिवाली की रोशनी को काउंसिल बजट में कटौती के कारण बंद होने से बचाने के मामलों को लेकर प्रचार किया था. पूर्व सांसद कीथ वाज जो स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे थे, वह चुनाव हार गए हैं.

 

और कौन भारतीय जीता

टोरी की ओर से बड़े नुकसान में शैलेश वारा शामिल थे, जो लेबर के हाथों नॉर्थ वेस्ट कैम्ब्रिजशायर सीट से मामूली अंतर से हार गए, और पहली बार चुनाव लड़ रहे अमीत जोगिया भी लेबर के हाथों लंदन में टोरी के कब्जे वाली हेंडन सीट से हार गए हैं. अगर देखें तो कुल मिलाकर लेबर पार्टी में सबसे ज़्यादा जीतने वाले भारतीय प्रवासी उम्मीदवार थे. जिनमें सीमा मल्होत्रा ​​जैसी पार्टी की दिग्गज नेता शामिल थीं. गोवा मूल की वैलेरी वाज़, कीथ वाज़ की बहन, वॉल्सॉल और ब्लॉक्सविच में जीतीं, जबकि लिसा नंदी ने विगन में जीत हासिल की है.

 

ब्रिटेन में भारतीय समुदाय

ब्रिटेन में भारतीय मूल के लोगों की आबादी 14 लाख के क़रीब है जो देश की कुल आबादी का केवल 2.3 प्रतिशत है लेकिन ये ब्रिटेन का सबसे बड़ा जातीय समुदाय है. ये 1950 और 1960 के दशकों में ब्रिटेन के कपड़ों के मिलों में काम करने आये थे. कुछ भारतीय मूल के लोग अफ्रीका से आकर ब्रिटेन में बस गए थे. ब्रितानी समाज के सभी क्षेत्रों में भारत और दक्षिण एशिया से आकर बसे लोग मिल जाएंगे. उद्योग, व्यापार, क्रिकेट और शिक्षा के क्षेत्रों में इन्होंने काफ़ी कामयाबी हासिल की है. लेकिन ये कहना गलत नहीं होगा कि इस बार भारतीय मूल के लोगों ने सियासत में कामयाबी अधिक पाई है.

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