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Govinda ala re : कानून के रखवालों की बातें निराली,डबल मलाई डोज 56 भोग संग “मनोरंजन” पैकेज फ्री..ख़ूब गुज़रेगी जो मिल बैठेंगे दीवाने दो,ये अमित कौन है लाला…!!

कानून के रखवालों की बातें निराली, किस मुहूर्त की है प्रतीक्षा..?

 

अक्सर कहा जाता है कि “अमीरों की जेब में कानून होता है।” ये बातें पाली पुलिस पर सच साबित हो रही है। एजीएम की गिरफ्तारी वारंट को जारी किए गए 12 दिन बीत गए हैं और पुलिस लग्न कुंडली मिलान कर मुहूर्त की प्रतीक्षा कर रही है। पाली पुलिस की वर्किंग स्टाइल को लेकर सूत्रधार कहने लगे हैं- “पाली थानेदार और कानून के रखवाले की बात ही निराले है। पहले तो डायरी से नाम हटाकर एजीएम साहब को बचाने का प्रयास किया और अब गिरफ्तार करने ढील दे रहे है।”

 

“डॉन का इंतजार तो 11 मुल्कों की पुलिस कर रही है लेकिन, डॉन को पकड़ना मुमकिन ही नहीं नामुमकिन है” की पंच लाइन को अपग्रेड करते हुए एजीएम साहब कहने लगे है- “चौहान को पकड़ना मुमकिन तो है ही लेकिन जब पकड़ने वाला ही सेट हो तो पकड़ना नामुमकिन है।”

 

दरअसल जिले के सरहदी थाना क्षेत्र के कोल माइंस में हुए मर्डर में कोर्ट की कड़ी फटकार से आरोपी बने एजीएम साहब को पुलिस कछुआ चाल से ढूंढ रही है। वारंट जारी होने के 12 दिन बाद भी पुलिस की डहर से वो दूर किधर फुर्र है..? कहा तो यह भी जा रहा मर्डर के आरोपित साहब को विभागीय  जानकारी देने एक शोले के किरदार वाले हरिराम को एक्टिव किया गया है। जो महकमे की गतिविधियों को आरोपी तक पहुंचा रहा है। एजीएम को ढूंढने पुलिस के तरीके को गुन कर कानून को हाथ का खिलौना समझने वाले लोग कहने लगे है एजीएम को ढूंढना मुश्किल ही नही नामुमकिन है लेकिन यह भी कटु सत्य यह भी है कि “कानून के हाथ बहुत लम्बे होते हैं.” और होते भी हैं… फिल्म ख़त्म होते होते कानून अपने लम्बे हाथों से अपराध को ख़त्म करके ‘हैपी एंडिंग’ कर देती है। अब कोरबा पुलिस भी घटना के बाद बिल में घुसने वाले एजीएम को गिरफ्तार कर हैपी एंडिंग कब करने वाली है, इस पर सबकी नजर है..??

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ये अमित कौन है लाला…!!

शेयर मार्केट स्कैंडल का एक मशहूर संवाद है  ये हर्षद मेहता कौन है भाई ..! ठीक इसी शैली में जिले के हाई प्रोफाइल लोगों में अमित की चर्चा हो रही है। उद्योग घराने के लोग भी लोगों से पूछ रहे है ये अमित कौन है लाला..!

दरअसल सरकार बदलते ही कोयला, राख और मलाई वाले काज की तलाश में हाथ आजमाने वाले लक्ष्मी पुत्रों की चर्चा शुरू हो गई है । शहर के समझदार कारोबारी कहने लगे है  ये अमित कौन है लाला..! सूत्रधार की माने तो हालिया दौर में अमित ने सारे हाईप्रोफाइल कारोबारियों को पीछे छोड़कर एक अलग लाइन तैयार कर लिया है। कहा तो यह भी जा रहा कि युवा उद्यमी ने अपने दम पर राख फिलिंग और कार्बन के काम को लेकर सारे हवाबाज लक्ष्मीपुत्रों को पीछे छोड़ दिया है। अमित के मलाई वाले कारोबार में उतरने के बाद शहर का प्रशासनिक अमला और पुलिस महकमा भी युवा उद्यमी की कुंडली खंगालने में जुटा हुआ है।

 

वैसे कहा तो यह भी जाता है कि सबसे बड़ा जोखिम तो जोखिम न लेने में है। सो इस कारोबारी ने जोखिम लेकर मलाई वाले काम को शिखर तक ले जाने में सत्ता पक्ष के पूंजीपतियों को साथ लेकर सपने दिखा रहे हैं। सही भी है इस समय प्रदेश में जिसका जुगाड़ है वो प्लांट को भी कबाड़ बना सकता है। तभी तो पुलिस , प्रशासन और कारोबारी अमित की चर्चा करते हुए पूछ रहे है ये अमित कौन है लाला…!

डबल मलाई डोज 56 भोग संग  “मनोरंजन” पैकेज फ्री के अनोखे रंग पब्लिक दंग

करप्शन के मामले में हमारा कोरबा प्रदेश में नित नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। यहां विकास बनाम चटास अर्थात “मलाई” ज्यादा वाले फार्मूले पर काम हो रहा है। एक ही काम को दो बार अलग अलग तरीके से किया जा रहा है। असल में सड़क के इस पार बैठा विभाग जोड़ तोड़ कर हिसाब बैठता है, तो उस पार यानी नगर निगम में वही काम नई पैकिंग, नया दाम और ऊपर से “अपर रेट” के साथ ठेकेदार को परोस दिया जाता है।

कंपोजिट बिल्डिंग में ट्राइबल विभाग का अपना हिसाब-किताब है, और नगर निगम विकास के नाम पर इस मलाई को चट करने में लगा है। सूत्रधार की माने तो नगर निगम में निर्माण कार्यो को मलाई में डुबोकर फिर से ठेकेदारों 56 भोग की थाली बनाकर परोसी जा रही है।

टेंडर प्रक्रिया तो और भी मजेदार है। ट्राइबल विभाग में ठेकेदार  36 प्रतिशत तक नीचे सरक जाते हैं, आरईएस में 30 और पीडब्ल्यूडी में 26 प्रतिशत तक। लेकिन, निगम में तो दो से तीन प्रतिशत पर भी सब मैनेज हो जाता है।

सूत्रधार की माने तो टेंडर मैनेज के लिए एक स्पेशल टीम बनी हुई है। यह टीम अफसर और ठेकेदार दोनों को सिर्फ़ फाइल ही नहीं, “मनोरंजन” का पूरा पैकेज देती है। कुल मिलाकर नगर निगम में मलाई का डबल डोज चल रहा है, जिसमें अफसर और ठेकेदार दोनों मौज कर रहे हैं।
पब्लिक भी यह सब देखकर दंग है कि कौन छेड़ेगा इस पर जंग..!! जंग!! ..क्योंकि काजल की कोठरी में कोई बेदाग नहीं है।

Medicine for heart pain: जहां परिंदा भी पर नहीं मार सकता वहां जिंदा कैसे बने परिंदा,मैनेजर टाइप थानेदारों की बोलती बंद..”चांद आहे भरेगा फूल दिल थाम लेंगे मरम्मत की बात चली तो सब…नाम लेंगे”…बोल बम का नारा है, बाबा तू ही आखिरी सहारा है..

 

ख़ूब गुज़रेगी जो मिल बैठेंगे दीवाने दो…

उर्दू अदब के फनकार मियाँ दाद ख़ां सय्याह क्या खूब फरमाया है…ख़ूब गुज़रेगी जो मिल बैठेंगे दीवाने दो…..मगर यहां तो कमाल हो गया दीवाने दो नहीं तीन हैं, और अगर आज के दौर में ये शायरी दोबारा से कही जाती तो कुछ ऐसी हो सकती थी..ख़ूब गुज़रेगी जो मिल बैठेंगे दीवाने तीन ..।

नहीं समझे तो हम बताते हैं…असल में इस दीवानगी की याद कोरबा शहर से जुड़ी है। दो दिन पहले मुंगेली जिले में स्वतंत्रता दिवस समारोह एक वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है जिसमें देशभक्ति गीतों की धुन पर जिले के कलेक्टर कुन्दन कुमार, एसपी भोजराम पटेल, जिला पंचायत सीईओ प्रभाकर पाण्डेय, बच्चों के साथ झूम झूमकर देशभक्ति में दीवाने हुए जा रहे हैं।

असल में इन ​तीनों अफसरों ने पहले कोरबा में कई कमाल कर चुके है। फर्क इतना है तब कांग्रेस का राज हुआ करता था अब बीजेपी का राज है। मगर कमाल पर कमाल जारी है। शहर के लोग अपने चेहते अफसर प्रभाकर पांडे को आज भी याद करते हैं हालांकि उनके निगम आयुक्त रहते उनके बंगले में ईडी रेड पड़ी थी। वर्तमान कलेक्टर कुंदन कुमार कोरबा जिला सीईओ थे तो वे भी डीएमएफ का काम भी संभाल रहे थे, रही बात एसपी साहेब की  तो उनकी ईमानदारी पर शक नहीं किया जा सकता। हालांकि उनके कोरबा एसपी रहते ही कोल स्कैम हुआ था।

फिलहाल कोरबा शहर में इस डांस वाले वीडियो की चर्चा इसलिए हो रही है कि जो खुशी कोरबा में नहीं मिल पाई वो मुंगेली में मिल रही है। वैसे भी स्वतंत्रता दिवस समारोह का मामला हर कोई अपनी खुशी मनाने के लिए स्वतंत्र है। अब तो ख़ूब गुज़रेगी..फिर चाहे दीवाने दो हों या तीन, क्या फर्क पड़ता है…बाकी मुंगेली वाले जानें।

गोविंदा आला रे..

 

राजधानी रायपुर में अभी दही.हांडी लूटने में गोविंदा की टोली टूट पड़ी है। दही के साथ मक्खन मलाई अलग से यानि मौज आने वाली है और ये सब कुछ कल तक चलने वाला है। अब कल के बाद ही पता चलेगा किसके हाथ मक्खन मलाई आई और किसे खाली हांडी से काम चलना पड़ा।

असल में हल्ला इस बात का है दो दिन में कैबिनेट का विस्तार होना है और इसके लिए दही.हांडी प्रतियोगिता चल रही है। अब जिसकी टोली में गोविंदा ज्यादा जोर लगाएंगे दही.हांडी उसे ही मिलेगी।

बताया गया है कि मंत्री बनने की तैयारी में कुछ विधायक अपने साथ पूरी बृजमंडली लेकर रायपुर पहुंच चुके हैं। बीजेपी में भी शोर मचा हुआ है गोविंदा आला रे..गोविंदा आला रे..। अब देखने वाली बात ये होगी इस बार कैबिनेट विस्तार होता भी है या नहीं..या दही.हांडी में केवल इंतजार करो की पुड़िया निकलने वाली है।

     ✍️अनिल द्विवेदी, ईश्वर चन्द्रा

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