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Discipline with good governance : थानेदार आतुर.. गूंज रहा ये सुर,ईडी के बाद ईओडब्ल्यू जांच के..पाठशाला में विद्यार्थी और,जुलाई में तबादला मंथ…

थानेदार आतुर.. गूंज रहा ये सुर

 

जिस तरह चातक पक्षी स्वाति नक्षत्र में बरसने वाले पानी का अपनी प्यास बुझाने के लिए प्रतीक्षा करता है। ठीक उसी तरह ऊर्जाधानी के कुछ ऊर्जावान थानेदार स्थानांतरण के लिए एक सुर में आतुर हैं और बारिश के साथ साथ स्थानांतरण के इंतजार में लगे है।

 

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वैसे तो जिले के सीमावर्ती जिले में एक हिस्सा विभागीय फेरबदल हो चुका है लेकिन, ऊर्जाधानी में चुनाव के बाद थानेदारों की स्थानांतरण सूची की प्रतीक्षा मेरे ट्रांसफर का चल रहा है। इससे विभाग में चर्चा होने लगी है कि जिस ढंग से गर्मी पड़ रही है उसके हिसाब से मानसून कभी भी बरस सकता है और थानेदारों का स्थानांतरण कभी भी हो सकता है।

कहा तो यह भी जा रहा कि भाजपा के चुनाव में हार से बड़े साहब की कुर्सी पर बन आई है। सो स्थानांतरण को लेकर थ्री लेयर की सिक्युरिटी रखी जा रही है जिससे पार्टी कार्यकर्ता के रूप में काम करने वाले थानेदार ट्रांफ़सर के चपेट में न आ जाये। सो जो भी लेकिन, जाना तो तय ही है सो थानेदार भी एक सुर में गुनगुनाने लगे हैं..”इश्क और प्यार का मजा लीजिए, थोड़ा इंतजार का मजा लीजिए…।

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ईडी के बाद ईओडब्ल्यू जांच के मायने..!

ईडी के बाद अब राज्य सरकार की एजेंसी ईओडब्ल्यू की टीम कोयला घोटाले में कितने आदमी थे.. कहते हुए जांच पर निकल पड़ी है। वैसे तो कोयला स्कैम के बारे जनमानस में खुसुर फुसुर होती रहती है कि “कोयला का खेला हरि कथा हरि अनन्ता की शैली में है। जांच एजेंसी की टीम जितने तह तक जायेगी उतने लक्ष्मीपुत्र सूत्र देंगे।

हाल में हुए कोरबा के कोयला व्यापारियों की गिरफ्तारी के बाद शहर में चर्चा है कि ऊर्जाधानी के लक्ष्मीपुत्र भी ईओडब्ल्यू के निशाने पर हैं। ये बात अलग है कि वे सत्ता पार्टी से जुड़े है लेकिन, जांच में आंच तो आयेगी ही।

वैसे जायसवाल बंधु की गिरफ्तारी के बाद शहर के कोयला ट्रांसपोर्टरों में खलबली मची है। उनका टेंशन में आना ही इस बात की सबूत है कि दाल में कुछ तो काला है। खैर जो भी जो काम ईडी न कर सकी वो ईओडब्लू की टीम ने करते हुए शहर के दो नम्बर के सम्राटों को टेंशन में डाल दिया है। अब वे कहते फिर रहे कि ईडी के बाद ईओडब्लू मतलब गिरफ्तारी तय..!

पाठशाला में विद्यार्थी और… क्यों हो रहे अंदर-बाहर

सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर उठाने के लिए नए नए प्रयोग किए गए लेकिन, परिणाम जीरो बटा सन्नाटा रहा। अगर जिले के सरकारी पाठशाला की बात की जाए तो स्कूलों में नई तकनीक का प्रयोग इस बुरी तरह से हुआ है कि बिल्डिंग सामान से भरा है और छात्र बाहर या संयुक्त रूप से बैठ रहे है। इसके बाद भी जिला अधिकारी नई टेक्निक के लिए मांग पत्र तैयार कर रहे हैं। खबरीलाल की माने तो पिछले 5 साल में स्कूलो में अनुकूल माहौल बनाने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ साथ नई टेक्नोलॉजी का खूब प्रयोग हुआ।

बढ़ने और पढ़ने सब्ज बाग दिखाकर जिले सबसे विश्वसनीय कहे जाने वाले जिलाधीशों ने डीएमएफ और सीएसआर चारागाह समझकर चरा और छात्रों पढ़ाई की जस की तस रह गई। बात अगर कांग्रेस सरकार में सोन चिरई की जाए तो मैडम ने बच्चों को अंडा और केला खिलाने के नाम पर खूब खेला किया। वैसे चर्चा इस बात की भी है कि डीएमएफ को डंप करने वाले अब नई कार्ययोजना बनाकर सरकारी स्कूल के छात्रों के नाम से फिर वही सामान की सप्लाई कर पुराने शिक्षण सामानों को वाइंडअप करने की रणनीति बना रहा है।

 

जुलाई में तबादला मंथ

छत्तीसगढ़ विधानसभा का मानसून सत्र 22 जुलाई से शुरु होकर 31 जुलाई तक चलेगा। इस दौरान कई शासकीय विधेयक एवं प्रस्ताव पारित किए जाएंगे। साथ ही तबादलों को दौर भी शुरु हो जाएगा। विधानसभा चुनाव के तत्काल बाद लोकसभा चुनाव की अधिसूचना लागू होने से सरकार अपने हिसाब से अफसरों का तबादला नहीं कर सकी। कई विभागों में तबादलों की फाइल पर निर्णय लेना अभी बाकी है।

जुलाई में होने वाले तबादला मंथ में पिछली सरकार के दौरान मलाईदार पद में जमे रहे वाले कई अधिकारियों को इधर उधर करने की तैयारी है। ट्रांसफर सूची में पुलिस महकमे में बड़ी सर्जरी की तैयारी चल रही है। पीएचक्यू में खाली बैठे आधा दर्जन एडीजी, आईजी, एसपी रैंक के अधिकारी को नई जिम्मेदारी दी जा सकती है। इसके अलाव कुछ जिलों के कलेक्टर भी बदल जाएंगे।

सुशासन के साथ अनुशासन

बलौदा बाजार में पिछले सोमवार हो जो कुछ हुआ उसे लेकर प्रदेश में कानून व्यवस्था को लेकर बड़ा सवाल उठ खड़ा हुआ है। धार्मिक स्थल में तोड़फोड़ से नाराज सतनामी समाज के लोग प्रदर्शन के दौरान उग्र हो और उन्होंने पहले जिला कलेक्ट्रेट और एसपी ऑफिस में पत्थरबाजी की और फिर आग लगा दी। इतना ही नहीं गुस्साए लोगों ने 100 से ज्यादा गाड़ियों को भी आग के हवाले कर दिया।

इस हिंसक प्रदर्शन में 25 से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हो गए। इस घटना के बाद सरकार का सुशासन का डंडा अफसरों पर चला और अनुशासन के नाम पर कलेक्टर एपी को हटा दिया गया। जांच में ये बात सामने आई कि काूनन व्यवस्था को बनाए रखने में कलेक्टर और एसपी की ओर से बड़ी चूक हुई है। पिछले 15 दिनों से धार्मिक स्थल में तोड़फोड़ करने वाले आरोपियों पर कार्यवाही करने के लिए मांग की जाती रही, ज्ञापन भी सौंपे गए। मगर, अफसरशाही समाज की भावनाओं को समझ पाने में नाकाम रही। इसी लापरवाही का नतीजा पत्थरबाजी और आगजगी बनकर धधक उठी।

लिहाजा राज्य सरकार को कलेक्टर और एसपी को हटाना पड़ा। सरकार के इस फैसले में एक संदेश भी छुपा है। प्रदेश की अफसरशाही को सुशासन वाली सरकार में अनुशासन का होमवर्क भी पूरा करना होगा वरना सरकार का कोप उन पर भी फूट सकता है। उम्मीद की जानी चाहिए आगे दीगर जिलों के कलेक्टर और एसपी सुशासन के साथ अनुशासन का पाठ नहीं भूलेंगे। ताकि विकसित भारत में छत्तीसगढ़ शांति का टापू बना रहे।

      ✍️अनिल द्विवेदी , ईश्वर चन्द्रा

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