थानेदार आतुर.. गूंज रहा ये सुर
जिस तरह चातक पक्षी स्वाति नक्षत्र में बरसने वाले पानी का अपनी प्यास बुझाने के लिए प्रतीक्षा करता है। ठीक उसी तरह ऊर्जाधानी के कुछ ऊर्जावान थानेदार स्थानांतरण के लिए एक सुर में आतुर हैं और बारिश के साथ साथ स्थानांतरण के इंतजार में लगे है।
वैसे तो जिले के सीमावर्ती जिले में एक हिस्सा विभागीय फेरबदल हो चुका है लेकिन, ऊर्जाधानी में चुनाव के बाद थानेदारों की स्थानांतरण सूची की प्रतीक्षा मेरे ट्रांसफर का चल रहा है। इससे विभाग में चर्चा होने लगी है कि जिस ढंग से गर्मी पड़ रही है उसके हिसाब से मानसून कभी भी बरस सकता है और थानेदारों का स्थानांतरण कभी भी हो सकता है।
कहा तो यह भी जा रहा कि भाजपा के चुनाव में हार से बड़े साहब की कुर्सी पर बन आई है। सो स्थानांतरण को लेकर थ्री लेयर की सिक्युरिटी रखी जा रही है जिससे पार्टी कार्यकर्ता के रूप में काम करने वाले थानेदार ट्रांफ़सर के चपेट में न आ जाये। सो जो भी लेकिन, जाना तो तय ही है सो थानेदार भी एक सुर में गुनगुनाने लगे हैं..”इश्क और प्यार का मजा लीजिए, थोड़ा इंतजार का मजा लीजिए…।
ईडी के बाद ईओडब्ल्यू जांच के मायने..!
ईडी के बाद अब राज्य सरकार की एजेंसी ईओडब्ल्यू की टीम कोयला घोटाले में कितने आदमी थे.. कहते हुए जांच पर निकल पड़ी है। वैसे तो कोयला स्कैम के बारे जनमानस में खुसुर फुसुर होती रहती है कि “कोयला का खेला हरि कथा हरि अनन्ता की शैली में है। जांच एजेंसी की टीम जितने तह तक जायेगी उतने लक्ष्मीपुत्र सूत्र देंगे।
हाल में हुए कोरबा के कोयला व्यापारियों की गिरफ्तारी के बाद शहर में चर्चा है कि ऊर्जाधानी के लक्ष्मीपुत्र भी ईओडब्ल्यू के निशाने पर हैं। ये बात अलग है कि वे सत्ता पार्टी से जुड़े है लेकिन, जांच में आंच तो आयेगी ही।
वैसे जायसवाल बंधु की गिरफ्तारी के बाद शहर के कोयला ट्रांसपोर्टरों में खलबली मची है। उनका टेंशन में आना ही इस बात की सबूत है कि दाल में कुछ तो काला है। खैर जो भी जो काम ईडी न कर सकी वो ईओडब्लू की टीम ने करते हुए शहर के दो नम्बर के सम्राटों को टेंशन में डाल दिया है। अब वे कहते फिर रहे कि ईडी के बाद ईओडब्लू मतलब गिरफ्तारी तय..!
पाठशाला में विद्यार्थी और… क्यों हो रहे अंदर-बाहर
सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर उठाने के लिए नए नए प्रयोग किए गए लेकिन, परिणाम जीरो बटा सन्नाटा रहा। अगर जिले के सरकारी पाठशाला की बात की जाए तो स्कूलों में नई तकनीक का प्रयोग इस बुरी तरह से हुआ है कि बिल्डिंग सामान से भरा है और छात्र बाहर या संयुक्त रूप से बैठ रहे है। इसके बाद भी जिला अधिकारी नई टेक्निक के लिए मांग पत्र तैयार कर रहे हैं। खबरीलाल की माने तो पिछले 5 साल में स्कूलो में अनुकूल माहौल बनाने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ साथ नई टेक्नोलॉजी का खूब प्रयोग हुआ।
बढ़ने और पढ़ने सब्ज बाग दिखाकर जिले सबसे विश्वसनीय कहे जाने वाले जिलाधीशों ने डीएमएफ और सीएसआर चारागाह समझकर चरा और छात्रों पढ़ाई की जस की तस रह गई। बात अगर कांग्रेस सरकार में सोन चिरई की जाए तो मैडम ने बच्चों को अंडा और केला खिलाने के नाम पर खूब खेला किया। वैसे चर्चा इस बात की भी है कि डीएमएफ को डंप करने वाले अब नई कार्ययोजना बनाकर सरकारी स्कूल के छात्रों के नाम से फिर वही सामान की सप्लाई कर पुराने शिक्षण सामानों को वाइंडअप करने की रणनीति बना रहा है।