थानेदार को फटकार, साहब बोले खबरदार…
जब थानेदार बने होशियार तो जज ने लगा दी फटकार और कहा खबरदार अगर दुबारा इस तरीके से चालान पेश किया तो…!
बात शहर के एक शांत थानेदार की है वैसे तो वे एकांत रहकर राज करते है लेकिन वे अपने वर्किंग स्टाइल को लेकर चर्चा में रहते है। पिछले दिनों थानेदार साहब पर पर उच्चधिकारियों का दबाव बना तो छह साल पुराने केस में एक महिला को गिरफ्तार कर कोर्ट में चालान प्रस्तुत किया। पुलिस के जांच और विवेचना पर जब जज साहब की नजर पड़ी तो जमकर फटकार चालान प्रस्तुत करने वाले विवेचक को पड़ी। सूत्रधार की माने तो साहब ने थानेदार को फटकार लगाते हुए खबरदार भी किया। कहा तो यह भी जा रहा है कि जिस केस में 3 साल के सजा के प्रावधान है उसमें छह साल बाद चालान पेश हुआ तो नाराज होना स्वभाविक है। कानून के जानकारों तक जब थानेदार के फटकार की बात वायरल हुई तो वे कहने लगे.. “भारत माता टीआई साहब को लगता है कुछ नही आता।”… वैसे तो थानेदार साहब का शेड्यूल टाइट रहता है लेकिन पुराने और उलझे फ़्लोरा मैक्स के प्रकरण को सुलझाने और विवेचना में फाइट कर रहे है। जज की फटकार के बाद भी साहब “कुछ तो लोग कहेंगे, लोगो का काम है कहना” की लय गीत गुनगुनाते हुए मुस्करा रहे है ..!
डीजीपी कौन…एक्सटेंशन या प्रभारी
छत्तीसगढ़ के डीजीपी अशोक जुनेजा 3 फरवरी को रिटायर हो जाएंगे। अब से 24 घंटे बाद या तो प्रदेश को नया प्रभारी डीजीपी मिलेगा या फिर जुनेजा को ही एक्सटेंशन देकर यथावत रखा जाएगा। प्रभारी डीजीपी इसलिए क्योंकि इस वक्त प्रदेश में चुनाव आचार संहिता लागू है और ऐसे में सरकार पूर्णकालिक डीजीपी का आदेश नहीं निकाल सकती है।
असल में डीजीपी के लिए यूपीएससी को चार नामों को जो पेनल भेजा गया है वो डीपीसी नहीं होने से पेंडिंग है। ऐसे में डीजीपी अशोक जुनेजा फिर लक्की साबित हो सकते हैं। वैसे भी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह नक्सलवाद को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए मार्च 2026 की टाइम लाइन दे चुके हैं।
छत्तीसगढ़ में नक्सली मोर्चा पर सुरक्षा बलों को लगातार सफलता मिल रही है।
ऐसे में अगर डीजीपी अशोक जुनेजा को साल 6 महीने का एक्सटेंशन मिल जाए तो एक और रिकार्ड उनके नाम जुड़ जाएगा। और डीजीपी की दौड़ में शामिल आईपीएस पवनदेव, अरुण देव गौतम और हिमांशु गुप्ता को थोड़ा और इंतजार करना होगा।
चुनाव में जयचंदों के आसरे है जय-पराजय, रूठे नेता ढहा सकते किला…
“युद्धों में कभी नहीं हारे , हम डरते हैं छल-छंदों से , हर बार पराजय पायी है ,अपने घर के जयचंदों से….!” कवि कुमार विश्वास की कविता की ये पंक्तियां नगर निगम चुनाव में सोलह आने सच सिद्ध होने वाली है। महापौर और पार्षद के चुनाव में ऐसे जयचंदो के भरोसे सत्तारूढ़ दल और विपक्षी नेता चुनाव में अपना भविष्य खोज रहे हैं जो पार्टी नेतृत्व से रुष्ट हो और घात के अवसर तलाश कर रहा हो।
इस चुनाव में भी पार्टी के जयचंदों की भूमिका अहम हो गई है। एक तरफ सालों से संघर्ष की बात पार्टी के अंदरखाने के लोगों को साथ जोड़ने का प्रयास कर रही है तो दूसरी तरफ भाजपा के वे नेता टिकट वितरण से अंदर ही अंदर टूट चुके हैं जो मैं नहीं तो कौन…! कहते हुए जयचंद की भूमिका निभाने तैयार हैं।
मतलब साफ है पार्टी के जयचंदों से ही हार और जीत तय होगी। कहा तो यह भी जा रहा है सत्ता पक्ष के नेता संगठन के फरमान के बाद प्रचार में निकले हैं, लेकिन मन कहीं और लगा बैठे हैं। मतलब पार्टी के नेता अपनी ढफली अपना राग अलाप रहे है। हालांकि अभी चुनाव में समय है लेकिन, उतना भी समय नहीं है कि रूठे नेताओं को मना कर फूल खिलाया जा सके। खैर निगम चुनाव का नतीजा जो भी आए पर जयचंदों के फौज की हर तरह से मौज है..!
माइनिंग विभाग शोषित.. बालको मेडिकल कॉलेज से ये तस्कर हो रहे हैं पोषित..!
कहते है अवैध कारोबारी दिखते तो पार्टी के साथ है लेकिन बहते सत्ता (हवा) के साथ है..! ये नियम रेत तस्कर और कोयला तस्करी करने वालो पर फीट है सुपरहिट है।
भले ही नदी से रेत उत्खनन की नीति में बदलाव हुआ हो लेकिन तस्करों के ठाठ अभी भी कम नही हुए हैं।
रेत से तेल निकालने वाले तस्कर सत्ता के साथ कदमताल करते हुए सीतामणी के रेत घाट में जमकर ठाठ दिखा रहे हैं। सूत्रों की माने तो सीतामणी में ओपन उत्खनन का खेल तस्करों को खूब रास आ रहा है और छल कपट से मायाजाल बुनकर माइनिंग को गिरफ्त में लेकर जमकर तेल निकाल रहे हैं।
चर्चा तो इस बात की भी जोरों पर है कि रेत घाट में चल रहे खेल की सूचना माइनिंग डिपार्टमेंट को भी है लेकिन करें क्या पॉवर के आगे वे भी कार्रवाई का हथियार झुकाकर नतमस्तक हो गए हैं। अवैध कारोबारियों के बीच चल रही चर्चाओं की माने तो जिस रेत के लिए शहर की हवा दूषित हो रही है उसकी असली जड़ बालको और मेडिकल कॉलेज के इर्द गिर्द पोषित हो रही है।
सूत्रधार की माने तो सीतामणी रेत घाट से निकल रहे तेल की धार खाकी के कुछ खिलाड़ियों को भी सराबोर कर रही है। कहा तो यह भी जा रहा रेत उत्खनन से रेलवे का पुलिया कमजोर हो चुका है जो कभी भी धराशाई हो सकता है। बेधड़क चल रहे रेत खनन को लेकर जनमानस में चर्चा है कि साहब सरकार बदल गई पर रेत तस्करो के ठाठ अभी भी बरकरार है।
लौट के जोगी घर को आए
निकाय चुनाव में 8 दिन बाकी हैं। बीजेपी और कांग्रेस एक दूसरे को मात देने के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं। ऐसे में अपने लिए सियासी जमीन तलाश रही पूर्व सीएम अजीत जोगी की पार्टी जेसीसी, कांग्रेस को समर्थन देने के लिए आगे आई। पूर्व विधायक रेणु जोगी और पार्टी अध्यक्ष अमित जोगी ने बकायदा पीसीसी को लिखित समर्थन पत्र सौंपा है।
समर्थन पत्र में दोनों नेताओं ने पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज का इस बात के लिए आभार जताया है कि कांग्रेस उनकी पार्टी से जुड़े लोगों को विभिन्न क्षेत्रों से प्रत्याशी बनाकर चुनाव लड़ने का अवसर दिया है। और तो और पीसीसी की ओर से कांग्रेस को समर्थन देने पर जोगी कांग्रेस का आभार जताया गया है।
आपको याद होगा चुनाव में पहले विधानसभा और लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी छोड़कर जाने वाले नेताओं की वापसी के लिए कमेटी बनी थी…लेकिन कुछ को छोड़कर किसी बड़े नेता की वापसी नहीं हो पाई।
तब कांग्रेस के अंदर ही उनका विरोध होने से मामला लटका गया था। अब जब निकाय चुनाव में 8 दिन बाकी हैं तो जनता कांग्रेस जोगी का कांग्रेस के साथ आना पार्टी के बाकी नेताओं की घर वापसी का रास्ता खोल सकता।
✍️अनिल द्विवेदी, ईश्वर चन्द्रा