
रूस की न्यूरोटेक्नोलॉजी कंपनी Neiry एक ऐसी तकनीक पर काम कर रही है, जिसमें जीवित कबूतरों को ड्रोन की तरह उड़ाया जा सके। कंपनी के अनुसार, इन पक्षियों के मस्तिष्क में चिप इम्प्लांट कर उन्हें “बायोड्रोन कबूतर” बनाया जा रहा है। Neiry के ब्लॉग पोस्ट के अनुसार, यह न्यूरोचिप ऑपरेटर को पक्षी को रिमोट से कंट्रोल करने की सुविधा देता है, जैसे कि पारंपरिक UAV (ड्रोन) को उड़ाया जाता है।
कोई भी पक्षी हो सकता है कंट्रोल
कंपनी का दावा है कि बायोड्रोन और प्रशिक्षित जानवर में मुख्य अंतर यह है कि किसी ट्रेनिंग की जरूरत नहीं होती। कोई भी पक्षी सर्जरी के बाद रिमोटली नियंत्रित किया जा सकता है। मस्तिष्क के विशेष हिस्सों को उत्तेजित कर शोधकर्ता पक्षी को अपने मनमुताबिक दिशा में उड़ा सकते हैं।
कबूतर को है महारथ हासिल
Neiry का कहना है कि बायोड्रोन में मेकैनिकल ड्रोन की तुलना में कई फायदे हैं, जैसे ऑपरेशन समय और उड़ान की रेंज अधिक होना, क्योंकि पक्षी अपनी सामान्य जीवन शैली जारी रखता है। इसके अलावा, कबूतर जैसे पक्षी शहरी क्षेत्रों में बाधाओं को नेविगेट करने में प्राकृतिक रूप से माहिर होते हैं। कंपनी जोड़ती है कि बायोड्रोन के फ्लाइट फेल होने की संभावना लगभग उतनी ही है जितनी कि किसी पक्षी के गिरने की।
कैसे काम करेगी Neiry की चिपसेट
पक्षी की पीठ पर स्टिमुलेटर और इलेक्ट्रोड्स लगाए जाते हैं। कंट्रोलर के माध्यम से सिग्नल भेजे जाते हैं, जो पक्षी को बाईं या दाईं ओर मुड़ने के लिए प्रेरित करते हैं। सिस्टम में GPS रिसीवर भी शामिल है, जिससे ऑपरेटर पक्षी की वास्तविक समय स्थिति ट्रैक कर सकते हैं।
Neiry का दावा है कि ऑपरेटर पूरे फ्लॉक को नियंत्रित कर सकते हैं और न्यूरल इंटरफेस के जरिए नए फ्लाइट रूट भी अपलोड कर सकते हैं। PJN-1 बायोड्रोन कबूतर दिन में 310 मील तक उड़ान भर सकता है और लगातार धूप मिलने पर कंपनी का अनुमान है कि यह एक सप्ताह में लगभग 1,850 मील तय कर सकता है।
हालांकि फिलहाल यह तकनीक केवल कबूतरों पर काम कर रही है, लेकिन भविष्य में अन्य पक्षियों को भी इसका हिस्सा बनाने की योजना है। कंपनी के संस्थापक अलेक्जेंडर पानोव के अनुसार, “हम भारी पेलोड के लिए कौवे, तटीय क्षेत्रों की निगरानी के लिए और खुले महासागरों में उपयोग के लिए अल्बाट्रॉस का इस्तेमाल करेंगे।”



