कोयले की कालिख और राजपत्रित अधिकारी
एशिया की सबसे बड़ी खान कहे जाने वाले एसईसीएल की कोयला खदान से होने वाली चोरी के कालिख से पुते होने के बाद भी एक राजपत्रित अधिकारी कोरबा पोस्टिंग कराने काले कारोबारियों का सहारा ले रही है। वैसे ये अफसर वही हैं जो नदी उसपार के सर्किल में बैठकर कोयला चोरी गिरोह में सक्रिय भागीदारी की भूमिका निभा रही थी। ट्रांसफर हुआ तो रुकवाने एड़ी चोटी का जोर लगाया था। हालांकि कोयला चोरी का वीडियो गूगल में सर्च करने के बाद ट्रांसफर तो रुका नही बल्कि और बवाल मच गया। कोयला चोरी के वीडियो को झूठा साबित करने सूबे के सरकार में पॉवरफूल मंत्री के खिलाफ प्रायोजित एफआईआर दर्ज कराकर पूर्ववर्ती सरकार के हमदर्द बनने स्वांग भी रचा लेकिन सफलता फिर भी अंगूठा चिढ़ाते दूर रही । अब सरकार बदली तो फिर से मलाई की आस लगाने वाले अफसर, मंत्री और उनके करीबियों के चक्कर काट कर जुगाड़ जंतर लगा रहे है। अब बात अगर राजपत्रित अफसर की कहें तो “पूजनीया” फिर से कोयला के काले कारोबारियों को भरोसा दिलाते हुए पोस्टिंग कराने पूजन करा रही हैं। ये भी सच है कि उर्जाधानी की ऊर्जा हर वो खाकी के खिलाड़ियों को पसंद है जिन्हें पब्लिक सेवा कम और मेवा की चाहत ज्यादा रहती है। तभी तो कुछ उभरते सितारे आज भी कोरबा के गीत गुनगुनाना रहे है। तो “पूजनीया” का पूजन तो बनता है।
नदी उस पार एमपी की शराब!
नदी उस पार के एक थाना क्षेत्र में बिक रही एमपी की शराब की जोरदार चर्चा हो रही है। वैसे तो सरकार बदलने के बाद उच्च अधिकारी बार -बार हिदायत दे रहे लेकिन, थानेदारों पर क्राइम मीटिंग के बातों का असर नहीं हो रहा है। गांव कस्बे से लेकर शहर तक बिक रहे नशे के सामान इस बात की गवाही दे रहे हैं।
पुलिस महकमे में चर्चा नदी के उस पार के थाने की जमकर हो रही है जहाँ खुलेआम खाकी के शह पर ” सुड्डो नी साई” एमपी की शराब बेचकर थानेदार से दोस्ती बता रहा है। शराब बिक्री शिकायत होने के बाद सेटिंग में कार्रवाई तो हो रही है,पर “सुड्डो नी साई” पर दया बरस रही है, जो लोगों को हैरान कर रही है।
सूत्र बताते हैं थानेदार साहब बड़े चतुर सुजान है जो बॉलिंग को पढ़कर बल्ला चलाते हैं। तभी तो साहब ने अच्छे अच्छे जबांज टीआईओ को पछाड़ते हुए एक से बढ़कर एक थाने में थानेदारी कर लिए। हालांकि उनका इस जिले में अब खेला खत्म होने की चर्चा पुलिस महकमे में हो रही है। जो भी हो उच्च अधिकारियों के निर्देश के बाद भी शराब बिक्री पर रोक न लग पाना कहीं न कहीं पुलिस की छवि धूमिल कर रही है।
टेंशन में दरोगा, अब क्या होगा..!
दिल्ली के शराब घोटाले की महक क्या चहक-चहककर छत्तीसगढ़ के गलियारों में भी पहुंचेगी..? दिल्ली कांड सब जानते हैं कि कइयों को सुप्रीम कोर्ट ने भी जमानत देने से मना कर दिया।
अब छत्तीसगढ़ में सरकार बदलते ही आबकारी विभाग के दरोगा टेंशन में आ गए है। बातों बातों अपने शुभचिंतकों को कहने लगे है “अगर जांच हुई तो हमारा क्या होगा..?” आबकारी दरोगा को टेंशन होना भी लाजमी है क्योंकि जिस बेदर्दी से सरकारी शराब दुकानों में खेला हुआ है उससे सरदर्दी होना तो तय ही है।
दरअसल पूर्ववर्ती सरकार में हुए शराब घोटाले का शोर अब चारों दिशाओं में गुंजायमान हो रही है। एक बिल्टी पर दो गाड़ी शराब खपाने और एक गाड़ी सरकारी खजाने में औऱ बाकी अपने खजाने में भरने के मामले में शीघ्र कार्रवाई के बादल छाने लगे है। कहा तो यह भी जा रहा है जबसे ईडी की एंट्री शराब घोटाले में हुई तब से सरकारी खजाने में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है।
अब बात उर्जाधानी की ही ले लिजिये मदिरा प्रेमियों ने महज 8 महीने में 2 अरब 33 करोड़ का शराब गटक गए।इससे जाहिर है शराब तो पिछले समय भी खूब बिका और मदिरा प्रेमी छककर शराब पिये। इसके बाद भी सरकार का खजाना अपेक्षाकृत भर नही पाया। हां ये बात अलग है कि खजाना शराब माफियाओ के साथ साथ आबकारी अधिकारियों का जरूर भरा। पिछले 8 महीने में बढ़े राजस्व के बाद आबकारी दरोगा टेंशन में है और अपने करीबियों को कहते फिर रहे है जांच हुई तो हमारा क्या होगा..!
विष्णु सहस्त्रनाम और हनुमान चालीसा
छत्तीसगढ़ में सरकार बदली और आज से कैलेंडर भी बदल गया, नए साल 2024 की नई शुरुआत हो गई। बदलाव का असर मंत्रालय की पावरफुल ब्यूरोक्रेसी, सप्लायर, सरकारी ठेकेदार और सत्ता की करीबी लोगों में पड़ा है।
सैर सपाटे और इंज्वाय के साथ पुराने साल की विदाई और नए साल का स्वागत करने की परिपाटी इस बार कुछ बदली सी दिख रही है। साल क्या… आने वाले पांच साल भी ठीक से गुजरे इसलिए अब रसूखदार लोग विष्णु सहस्त्रनाम पाठ और राम मंदिर में हनुमान चालीसा पढ़कर नई साल की शुरुआत करने में ही अपना फायदा देख रहे हैं।
इस बात से ठोस प्रमाण हैं जो हवा का रुख देकर मौसम भांप सके… उसी का बेड़ापार हो सकता है। इस लिहाज से विष्णु सहस्त्रनाम और राम मंदिर में हनुमान चालीसा का पाठ करने कोई नुकसान वाली बात तो नहीं है बल्कि प्रभु की दया मिल गई पांच साल मजे में गुजर जाएंगे। आखिर नई सरकार में नए साल की शुरुआत करने के लिए कुछ तो नया करना ही पड़ेगा। फिर विष्णु सहस्त्रनाम पाठ और हनुमान चालीसा क्या बुराई है।
असमन्जस में किसान
छत्तीसगढ़ में नई सरकार में मंत्रियों के विभागों के बंटवारे के बाद 2 जनवरी कैबिनेट की पहली बैठक होगी। बैठक में किसानों 31 सौ रुपए प्रति क्विंटल धान खरीदी के आदेश जारी होने के उम्मीद है। हालांकि विधानसभा के शीतकालीन सत्र में धान उत्पादक किसानों को दो साल बकाया बोनस भुगतान और प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान खरीदी के आदेश जारी होने से किसानों को फौरी राहत मिल चुकी है।
मगर, 31 सौ रुपए प्रति क्विंटल धान खरीदी के आदेश कब जारी होंगे इसे लेकर किसानों के सामने असमन्जस जैसे परिस्थित बन गई है। किसानों की ये चिंता वाजिब भी है। प्रदेश में एक नवंबर से शुरु हुई धान खरीदी के 60 दिन बीत चुके हैं। खरीफ वर्ष 2023.2024 में 31 जनवरी से उपार्जन केंद्रों में खरीदी बंद हो जाएगी। ऐसे में उनके उपजाये पैदावार का क्या होगा जो अब तक खलियानों में पड़ी है। बेमौसम बरसात से अभी अभी किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ा है।
इस बात पर भी गौर करना जरूरी है कि छत्तीसगढ़ में खरीफ और रबी फसलों का चक्र है उसमें दिसंबर के अंत तक रबी फसलों की उकेरा बोनी कर दी जाती है, ताकि जिन रकबों में सिंचाई की सुविधा नहीं है वहां शीतकाल में गिरने वाले ओंस की बूंदों के सहारे ओनहारी फसल की पैदावार ली जा सके।
किसानों के सामने समस्या ये भी है धान कटाई के बाद खेत खाली पड़े हैं। अगर समय पर बढ़े हुए दामों पर धान खरीदी के आदेश जारी नहीं हुए तो उनके लिए रबी फसल की बुवाई के लिए खाद, बीज ओर कीट नाशक की खरीदी के लिए पैसों की दिक्कत शुरु हो जाएगी। सरकार को चाहिए कि वो किसानों के इस असमन्जस को दूर करे।