🔶 निशाने पर “थानेदार” ये हो क्या रहा सरकार…
जिले की कप्तानी और थानेदारों की सियानी से कर्मवीर थानेदार ही निशाने पर आ गए हैं। थानेदारों के घर एक के बाद हो रही चोरी पर जनमानस में चर्चा है – ” निशाने पर थानेदार ये हो क्या रहा है सरकार..!! “
दरअसल पुलिस विभाग में बने सिंडिकेट से चुस्त पुलिसिंग सुस्त पड़ गई है। लिहाजा उनके अपने ही घर चोरो के निशाने पर आ गए हैं।
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पुराने प्रकरण याद करें तो सीएसईबी में एएसआई के घर चोरी हुई जिसमें चोर तो पकड़े गए लेकिन चोरी के अनुपात में माल बरामद नहीं हुआ था। दूसरी घटना बांकी मोंगरा एसईसीएल क्वार्टर में निवास करने वाली महिला थानेदार की है। उनके सुने आवास को चोरो ने निशाना बनाया।
हालांकि महीने भर बाद चोर पकड़ा गया। अब तीसरी घटना बालको थाना क्षेत्र की है जहां पूर्व बालको थानेदार के घर चोरी हुई और संदेहियों के सीसीटीवी फुटेज में सुराग भी मिला। बावजूद इसके कड़क थानेदार ने चोरों को पकड़ने में रुचि नही दिखाई। तभी तो दो महीने बीतने के बाद भी चोर पकड़ा नहीं गया।
इन घटनाओं पर जनचर्चा है कि चोरों के तीर, इस बार कौन वीर पर चलने वाला है..! एक के बाद एक हुए चोरी की घटना पर प्रश्न खड़ा हो रहा है कि जब पुलिस स्वयं ही सुरक्षित नहीं तो पब्लिक की सुरक्षा कैसे हो पाएगी..!
🔶 सटोरियों को पकड़ने छूट रहा पसीना तो रसूखदारों को डर किस बात का..!!
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कहते हैं जब तक मुखबिरी न हो तो अपराधियों को पकड़ना मुमकिन ही नहीं नामुमकिन है। इस युक्ति को शहर के तीन युवा तुर्क सटोरिये चरितार्थ कर रहे हैं। पुलिस को सटोरियो को पकड़ने में छूट गया पसीना और ये बात हो गए कई महीना।
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शहर के सट्टा किंग कहे जाने वाले शहर के तीन युवाओं की पुलिस को तलाश है। लेकिन, सूत्रधारों से मिले सूत्र संकेत दे रहे हैं कि तिकड़ी को पुलिस गिरफ्तार करने उनके कांटेक्ट का कनेक्शन जोड़ा जा रहा है और उनकी रैली भी निकालने की गोपनीय तैयारी पुलिस की है।
कहा तो यह तो भी जा रहा सट्टा के कारोबार में कई रसूखदारों की रकम लगी है, जिसके डूबने का भी डर सता रहा है। रही बात सटोरियों की तो वे रोज “महादेव” से मिन्नतें कर कप्तान के ट्रांसफर कराने जल और मुखबिरों को फल चढ़ा रहे हैं। इसके बाद भी पुलिस उनके ठिकाने और अंदरखाने की खबर निकालने सायबर टीम घंटो पसीना बहा रही है। बात साफ है बस कुछ दिनों की बात है उसके बाद सट्टा किंग भी पुलिस के लगे हाथ है..!
🔶अनुबंध से पहले रिवाइज, गांव बसा नहीं और लुटेरे पहले आ गए..
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एक कहावत है, गाँव बसा नहीं, लुटेरे पहले आ गए!। इस कहावत को ट्राइबल के असफर और ठेकेदार हूबहू चरितार्थ कर रहे हैं।
बात ट्राइबल डिपार्टमेंट के छात्रावास निर्माण की है। कार्य आरंभ करने के लिए शुरुआती प्रक्रिया पूरा होते ही ठेकेदार बिना वर्क ऑर्डर के रिवाइज स्टीमेट बनाने का दबाव बना रहे है। प्रभाव में आकर सब इंजीनियर भी काम को शुरू कराने के स्थान पर रिवाइज इस्टीमेट बनाकर ठेकेदारों के साथ राशि लूटने का प्लान बनाने में लगे हैं।
पुनरक्षित प्राक्कलन को लेकर टेक्निकल एक्सपर्ट कहते हैं बिल्डिंग निर्माण के अंतिम दौर में स्वीकृत राशि खर्च न हो पाने की स्थिति में आवश्यकतानुसार रिवाइज स्टीमेट बनाया जाता है। ये सब उस स्थिति में होता है जब निर्माणाधीन स्थल पर सही में प्राक्कलन को छोड़ अन्य काम कराया जा सकता है। अनुबंध के पहले रिवाइज स्टीमेट बनना मतलब “दया कुछ तो गड़बड़ है”।
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बात भी सही है क्योंकि इस्टीमेट बनाते समय क्या इंजीनियर ने स्थल का निरीक्षण नहीं किया था या जानबूझकर अपने चहेतों को फायदा दिलाने के लिए स्कीम बना रहे हैं। ट्राइबल डिपार्टमेंट के रिवाइज स्टीमेट बनाने के खेल को समझने वाले जानकर भौंचक हैं और कहने लगे है इसी को कहते है गांव बसा नहीं और लुटेरे पहले पहुंच गए..!
🔶कोठरी.कोयला और कालिख… बात क्या है..।
कोल लेवी वूसली मामले में राख में दबी घोटाले की चिंगारी फिर सुलग रही है। इस बार पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसे हवा देकर भड़का दिया। इस मामले में जेल में बंद कारोबारी सूर्यकांत तिवारी से मिलने पहुंचे पूर्व सीएम को मुलाकात की अनुमति नहीं मिली और मामले ने तूल पकड़ लिया। सतही तौर पर मामला केवल इतना ही है इसके पीछे कोई वजह है.. यह बड़ा सवाल है।
असर में पूर्व सीएम ने जेल अधीक्षक को आवेदन दिया था कि वे सूर्यकांत तिवारी से मिलना चाहते हैं, लेकिन अधीक्षक ने ऊपर से परमिशन लेने की बात कहकर मिलने से मना कर दिया। इसके बाद बघेल ने ईओडब्ल्यू चीफ और रायपुर आईजी अमरेश मिश्रा पर गंभीर आरोप लगाए। पूर्व सीएम ने आरोप लगाया कि सूर्यकांत तिवारी पर दबाव बनाया जा रहा है कि वो उनका नाम ले।
जेल मैन्यूअल के अनुसार जेल में बंद किसी विचाराधीन आरोपी को केवल उसके वकील या परिजन से मिलने की अनुमति देने का प्रवाधान है। विशेष मामले में कोर्ट की अनुमति लेनी होती है..। पांच साल तक सीएम रहे बघेल भी ये बात अच्छी तरह से जानते हैं..फिर भी ईओडब्ल्यू चीफ और रायपुर आईजी अमरेश मिश्रा पर आरोप मढ़ दिया..। ऐसे में राख में दबी घोटाले की चिंगारी तो भड़कनी ही थी।
चुनाव से पहले कोल लेवी वूसली मामले में केवल नेताओं के बीच एक दूसरे पर आरोप लगाए जाते रहे है मगर अब इसकी आंच अफसरों तक पहुंच रही है। हालांकि केंद्रीय जांच एजेंसी इसी मामले में अपनी इंवेस्टिगेशन पूरा कर चुकी हैं तो राज्य सरकार की एजेंसी ईओडब्ल्यू की जांच से हायतौबा मचना समझ से परे है। क्या हजारों करोड़ के घोटाला मामले में ईओडब्ल्यू के हाथ कोई अहम सुराग लगे हैं जिसके कारण मामला दोबारा गरमा गया है, या फिर….।
🔶डबल इंजन और केसरिया ट्रेन
केंद्र और राज्य में बीजेपी की सरकार होने का असर छत्तीसगढ़ में दिखने लगा है। सरकार ने अपने बजट में पहले बंद पड़ी रेल परियोजना के लिए बड़ी राशि का एलाटमेंट किया और अब वंदे भारत ट्रेन की सौगात भी मिलने जा रही है। आज शाम केसरिया रंग के इंजन वाली वंदे भारत ट्रेन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हरी झंड़ी दिखाएंगे। ये ट्रेन दुर्ग से विशाखापट्टनम तक चलेगी और 8 घंटे में यह सफर पूरा हो जाएगा।
केसरिया ट्रेन जहां जहां से गुजरेगी वहां इसका स्वागत करने के लिए सरकार ने संबंधित निर्वाचन क्षेत्रों के सांसदों और विधायकों को स्टेशन में रहने का कहा है। दुर्ग, रायपुर, महासमुंद, खरियार रोड स्टेशन, कांटाबांजी स्टेशन, टिटिलागढ़ स्टेशन और केसिंगा स्टेशन पर समारोह आयोजित किए जाएंगे। लोगों तक ये संदेशा दिया जाएगा कि डबल इंजन की सरकार की रफ्तार कितनी तेज होती है।
✍️ अनिल द्विवेदी, ईश्वर चन्द्रा