
खाकी का कम हुआ खौफ , मनचलों की मौज..
कहते हैं “जीने का स्ट्रेंग्थ, अकाउंट का बैलेंस और नाम का खौफ कभी कम नहीं होना चाहिए।” बात अगर खाकी के खौफ की जाए तो अपराधियों पर रौब तो ही चाहिए, लेकिन पॉवर सिटी में खाकी का रौब लगभग खत्म सा हो गया है। मनचले लड़के राह चलते लड़कियों को चलती है क्या नौ से…! कहते हुए पुलिस का मुंह चिढ़ा रहे है। तो लोगो की सुरक्षा करने वाले खुद असुरक्षित महसूस कर है।
कहते है खाकी का अपराधियों पर खौफ से ही पब्लिक में पुलिस का विश्वास बढ़ता है। सो इन दिनों खाकी का रौब बढ़ने के बजाय कोरबा में कम होता जा रहा है। जिससे अपराधी बेखौफ होकर पुलिस पार्टी पर ही हमला कर पुलिस के प्रति पब्लिक के विश्वास को कमजोर कर रहे है।
कहा तो यह भी जा रहा है जिस अंदाज में जिले में क्राइम का ग्राफ बढ़ रहा है उससे सुशासन की सरकार पर सवाल उठना शुरू हो गया है। शहर के शांत वातावरण में अशांति का कारण बन प्रोटेक्शन मनी वसूलने वाले गैंग फिर सक्रिय हो गए है। बेसिक पुलिस की कमजोर हो रही धार से डॉन बनने का सपना संजोने वाले अपराधियों के मन में फिर से लड्डू फूटने लगा है। हाल में टीपी नगर में एक युवती पर भद्दे कमेंट्स के बाद एक महिला को अश्लील इशारो का सामना करना पड़ा। यही नही बांगो पुलिस दल को ग्रामीणों का विरोध भी पुलिस का खौफ खत्म होने का जीता जगता उदाहरण बन रहा है। जिले में चल रहे पुलिसिंग को समझते हुए जनमानस में शोर है पुलिस का अपराधियों पर खत्म हो गया जोर है और मनचले बने मोर हैं।
एक मौत की कीमत 20 हजार और समझौता शुल्क अलग से…
फिल्म “ओम शांति ओम” का चुटीला संवाद “एक चुटकी सिंदूर की कीमत तुम क्या जानो रमेश बाबू”… की पंच लाइन को अपग्रेड करते हुए जनमानस कह रहा एक मौत की कीमत तुम क्या जानो साहब, मात्र 20 हजार ये क्या बात हुई सरकार..! ये बातें भले ही अटपटी लग रही है पर यह सच है कि एक मौत की कीमत सिर्फ 20 हजार रुपए लगाते हुए स्वास्थ्य विभाग समझौता शुल्क के साथ मूंछ पर ताव दे रहा है।
बात शहर में संचालित सुपर स्पेशलिस्ट हॉस्पिटलों की है। शिकायत पर हुए जांच में कई खामियां मिली। लेकिन, जुर्माना सिर्फ 20 हजार रुपए लगाकर मामला निपटा दिया गया। स्वास्थ्य विभाग ने यह माना कि एनकेएच हॉस्पिटल को छोटे पैथोलॉजी की अनुमति है, लेकिन टेस्ट गंभीर बीमारियों का भी किया जा रहा है।
मतलब साफ है जिस बीमारी का उपचार और टेस्ट नहीं हो सकता उसका भी टेस्ट मरीजों को डराकर किया जा रहा है। जाहिर है इससे हॉस्पिटल प्रबंधन की आय दिन दुगुनी रात चौगुनी हो रही है। इससे मरीज तो मरेगा ही, लेकिन इससे प्रशासन को क्या..!! हल्ला हुआ तो छोटा सी पेनाल्टी ठोंक दो और पब्लिक को शांत कर वाहवाही भी बटोर लो..!
रथयात्रा में राजनीति!
भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा हो या राजनीति का अखाड़ा..असल पॉलिटिशियन तो वहीं है जो हर मौके पर दांव खेल जाए..। जिले के दादर खुर्द में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा में कुछ ऐसा ही वाकया हुआ। रथ यात्रा में जिले के पूर्व मंत्री और वर्तमान मंत्री एक साथ अपने भक्तों की फौज लेकर रथ खींचने पहुंचे..लेकिन रथ खींचने की जगह आपस की खींचतान में उलझ गए। जिसकी शहर में जोरदार चर्चा हो रही है।
असल में उद्योग मंत्री लखनलाल देवांगन जब भगवान जगन्नाथ की पूजा अर्चना में व्यस्त थे तब पूर्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने मौका देख कर माइक संभाला और अपने अंदाज में मंत्री को नसीहत दे डाली….“भगवान जगन्नाथ से प्रार्थना करते है कि कोरबा को सुख-समृद्धि दे, उन्नति दे, तरक्की दे और भगवान कोरबा को लूटने वालों से बचाये। फिर वहीं हुआ जो होना था।
यानि अब माइक संभालने की बारी उद्योग मंत्री की थी..वो पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में हुए घोटालों को गिनाने बैठ गए। बेचारे भक्त जो भगवान जगन्नाथ का रथ खींच कर पुण्य कमाने आए थे..वो मंत्रियों के माइक युद्ध में उलझ गए। ऐसे में भगवान जगन्नाथ भी क्या करें…वो तो अपने भक्तों के वश में रहते हैं ऐसे में उनका आशीर्वाद किसको मिलेगा ये वही जानें…तब तक जय जगन्नाथ..।
पोस्ट रिटायरमेंट पोस्टिंग या वेट एंड वॉच
आज विष्णुदेव साय कैबिनेट की बैठक होना है। जिसमें नए सीएस के नाम की घोषणा होना है। बैठक का एजेंडा क्या होगा, इसे लेकर सस्पेंस बना हुआ है। मगर, मंत्रालय को नया मुख्य सचिव मिलने वाला है इसमें कोई दो राय नहीं है। आज ही मुख्य सचिव अमिताभ जैन रिटायर हो जाएंगे। सरकार उन्हें पोस्ट रिटायरमेंट पोस्टिंग देगी या नहीं इसे लेकर भी ब्यूरोक्रेसी कई तरह की चर्चाएं हैं।
पहले चर्चा थी कि, सरकार सीएस को पोस्ट रिटायरमेंट पोस्टिंग में राज्य का मुख्य सूचना आयुक्त पद पर पोस्टिंग देने जा रही है। मगर मुख्य सूचना आयुक्त पद के लिए हाईकोर्ट में मामला विचारधीन होने से ये संभव नहीं हो पाया। सूत्रों की माने तो सरकार उन्हें वेट करने को कह सकती है।
हालांकि ये भी चर्चा है कि 30 जून को छत्तीसगढ़ रेवेन्यू बोर्ड का चेयरमैन किसी सीनियर आईएएस अधिकारी को बना सकती है। फिलहाल तो रेवेन्यू बोर्ड में टोपेश्वर वर्मा पूर्णकालिक अध्यक्ष का पद संभाल रहे हैं। अगर टोपेश्वर वर्मा की मंत्रालय में वापसी होती है तो रेवेन्यू बोर्ड में नए अध्यक्ष की ताजपोशी के चांस बनते हैं। या फिर नीति आयोग के उपाध्यक्ष पद पर नियुक्ति देकर सीएम उनके अनुभव का लाभ लेने के लिए अपने साथ रख सकते हैं।
बंद लिफाफा
कौन होगा अगला मुख्य सचिव, इसका फैसला लिया जा चुका है…बंद लिफाफे में ये नाम सीएम ने अपने पास रखा है। सूत्रों की मानें, तो इसके लिए केंद्र से हरी झंडी मिल गई है। लेकिन, मध्यप्रदेश में मुख्य सचिव की नियुक्ति में अचानक केंद्र से आई सिफारिश को देखते हुए सरकार कोई भी जोखिम लेने के मूड में नहीं है। वहां राजेश राजौरा की नियुक्ति की चर्चा के बीच ऐन वक्त पर केंद्र सरकार ने अनुराग जैन को भोपाल भेजकर राज्य सरकार को चौंका दिया था। छत्तीसगढ़ सरकार नहीं चाहती कि ऐसी ही स्थिति यहां दोहराई जाए। इसीलिए सस्पेंस बना हुआ है।
हालांकि वरिष्ठता और प्रशासनिक अनुभव के आधार पर कई नामों की चर्चा है। इनमें आईएएस रेणु पिल्ले, सुब्रत साहू, ऋचा शर्मा, मनोज पिंगुआ जैसे अफसरों के नाम सामने आ रहे हैं, लेकिन अभी तक सरकार ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। वैसे मजबूत दावेदार के रूप में सुब्रत साहू और मनोज पिंगुआ के नाम की चर्चा है। दोनों ही अफसरों का प्रशासनिक अनुभव और राज्य सरकार से नजदीकी मजबूत मानी जा रही है। हालांकि यह सिर्फ चर्चाएं हैं, जब तक इसका ऐलान नहीं हो जाता।