कटाक्ष
Paddy purchase and lottery : नवा बैला के चिक्कन सिंग…बैला रेंगे टिंगे-टिंग,साहब को चाहिए “क्रिस्टा”..साहब अकेले सो मजे से लगा रहें मेले, शराब घोटाला में डिस्टलरी को नोटिस
नवा बैला के चिक्कन सिंग…बैला रेंगे टिंगे-टिंग
छत्तीसगढ़ किसान प्रधान प्रदेश होने की वजह से यहां कहावत यानी हाना भी बैलों पर ही कहा जाता है जो हर नए लोगों पर फिट बैठता है ।” नवा बैला के चिक्कन सिंग बैला रेंगे टिंगे-टिंग ” का ये हाना पुलिस विभाग के एक थानेदार पर खूब जंच रहा है। क्योंकि साहब ट्रेनी है और वर्दी की गर्मी हर कोई सहज संभाल नहीं पाता। सो साहब पर बड़े अधिकारी होने और हम कहें दिन तो दिन कहें रात तो और कहें कुछु नहीं तो… का रील सवार है।
थाने के अंतर्गत एक मसला देखने को मिला जिसमें साहब ने आव देखा न ताव और अपनी खुन्नस मिटाने के लिए घर मे सो रहे एक व्यक्ति पर कार्रवाई कर दी। मामला जब थाने से बाहर निकला तो जो सुने वही गुनने और माथा पकड़कर कहने लगे कि वाह… ऐसा भी होता है क्या ? घर में भी लोग शराब नहीं पी सकते।
अब उन्हें कौन बताए कि मामला ही दूसरा है। साहब ठहरे गर्म मिजाज के और उनसे पंगा लेना मतलब सांप के बिल में हाथ डालने जैसा है। खैर ट्रेनी रहते इमेज बनाने का ट्रेंड जो चला है। ट्रेनिंग के बाद जब पोस्टिंग मिलती है शुरुआती तेवर को लोग याद करते हैं।
लिहाजा साहब की कार्रवाई तारीफे काबिल है। लेकिन, जनाब जरा हौले हौले चले तो सफर आसान रहेगा…! साहब के घर से उठाकर की गई कार्रवाई के बाद पुलिस के जानकर लोग कहने लगे है कि नवा बैला के चिक्कन सिंग बैला रेंगे टिंगे-टिंग ।
साहब को चाहिए “क्रिस्टा”
वैसे तो सरकारी अधिकारी ही महंगाई के दौर बादाम और पिस्ता खा रहे हैं और क्रिस्टा में घुम रहे हैं। दरअसल जिले के एक बड़े साहब को घुमने के लिए इनोवा क्रिस्टा चाहिए। वो भी किराए पर…! खबरीलाल की माने तो साहब अपने परिचित की इनोवा में घूमते तो हैं लेकिन, उसके किराये का बिल वैधानिक तरीके से नहीं निकाल पा रहे है।
निगम जानकारों की माने तो साहब तो क्रिस्टा का बिल निकालने के लिए निविदा निकाली है। अखबारों में निविदा जारी होते ही साहब के कामकाज पर लोग तंज कसते हुए कहने लगे हैं कि जब गाड़ी किराए पर रख ही लिए है तो किसी ठेकेदार से रकम जमा करवा लेते।
वैसे भी बंगला को सजाने का काम तो ठेकेदार करता ही है तो गाड़ी के किराए का भुगतान भी कर देता। वैसे चर्चा तो इस बात की भी है कि साहब के बंगले में भी एक गाड़ी रहती है जो घरेलू उपयोग में है। अब तक जो भी साहब रहे हैं वो निगम के गाड़ियों में दौरा करते रहे हैं। लेकिन साहब का शौक थोड़े दूजे किस्म के हैं तो नए जमाने के हिसाब से नई लक्जरी गाड़ी का मजा भी लगे हाथ उठाते रहना चाहते है।
ये बात अलग है कि अब जब बिल निकालने के लिए वैधानिक दस्तावेज की जररूत पड़ी तो साहब ने गाड़ी लगाने का निविदा जारी करा दी। लेकिन, निविदा फार्म किसी को देंगे नहीं और सेटिंग से निविदा जारी कर अपने चहेते को उपकृत करते हुए अपना और अपनों काम आसान करेंगे…!
साहब अकेले सो मजे से लगा रहें मेले