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Chaupal in the horoscope of officers: टीआई ट्रांसफर और टूटा सपना ,30 की बात, अफसरो का तर्क एक तरफ कुंआ..अनुशासन का पाठ और मीडिया प्रभारी,कांग्रेस में कायाकल्प

टीआई ट्रांसफर और टूटा सपना 

 

टीआई ट्रांसफर में कई थानेदारों के सपने चूरचूर हो गये हैं । ये बात  अलग है कि कुछ वीरों को एल्युमिनिय की सफेदी की जगह काले हीरे की खान हाथ लग गई है।

कहते है “सपने उनके ही सच होते हैं , जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है” ये बाते मधुर मुस्कान वाले थानेदार पर सोलह आने सच साबित हुई है। कोरबा पोस्टिंग के बाद एल्युमिनियम नगरी में थानेदारी और बालको के बंगला गाड़ी का सपना देखने लगे थे। समय और जिले के कप्तान बदलते रहे लेकिन साहब की किस्मत थम सी गई थी। पहले पंचायती संभाली फिर नदी उस पार उसके बाद कोल डस्ट से ढके थाने का इंचार्ज। कहते है धैर्य और मौन जिंदगी के शक्तिशाली हथियार हैं। सो साहब ने धैर्य  बनाये रखा और आखिर उन्हें सपना पूरा करने का अवसर भी मिला। बस इस बात की कसक रह गई कि अपने ही दोस्त की कुर्सी पर बैठना पड़ रहा है। अब बात कुछ और थानेदारो की जाए तो वे भी दुखी मन से तबादले का विरोध कर रहे है पर करें क्या आखिर बॉस का आदेश जो है। सूत्रधार की माने तो एक ऐसे भी थानेदार है जिन्हें अभी ज्वाइनिंग के लिए बड़े साहब ने मना कर दिया है। टीआई ट्रांसफर को लेकर जनश्रुति पर गौर करे तो ट्रांसफर के बाद थानेदार ज्यादातर बीमार और निराश हैं। कहा तो यह भी जा रहा कि महकमे के अफसर तबादले को बदलने या शांत रहकर जो जहां है वही पर काम करने का संदेश दे रहे है।

30 की बात, अफसरो का तर्क एक तरफ कुंआ दूसरे तरफ खाई…

 

शहर में अवैध कारोबारियो के बीच 30 हजार की बात बवाल काट रही है। तो अफसरो ने एक तरफ कुआं दूसरे तरफ खाई क्या करे भाई कहते हुए मन मारकर ड्यूटी निभा रहे है।

सफेद सोना के नाम से मशहूर रेत की मारामारी के बीच जेसीबी के 30 हजार जुर्माने की चर्चा सुर्खियां बटोर रही है। तस्कर अब तो यह भी कहने लगे हैं सत्ताधारी नेता जी के खास है तो ठाठ तो रहेगा साहेब..!

वाक्या सीतामणी रेत घाट से अवैध रेत उत्खनन करने वाले तस्करों की है। अवैध उत्खनन की शिकायत पर माइनिंग की टीम पहुंची तो नदी से एक जेसीबी को जब्त किया। जब्त मशीन मालिक पर जुर्माना ठोका गया। जब्त जेसीबी को छुड़वाने के लिए सत्तारूढ़ नेताजी के करीबियों ने माइनिंग अफसरो पर इस कदर दबाव बनाया कि उन्हें जेसीबी को छोड़ने के लिए अपने जेब से जुर्माना भरना पड़ा है।

जेसीबी को माइनिंग के अफसर के अपनी जेब से रकम भरकर छोड़ने की खबर वायरल हुई तो साहब ने बुझे मन से कहा  ‘क्या करें भाई डिपार्टमेंट की स्थिति इधर कुआं उधर खाई जैसी है।”…आप इस बात से अंदाजा लगा सकते है कि तस्करों का दबाव अफसरो पर किस स्तर पर रहा होगा। वैसे चर्चा इस बात की भी जमकर है कि अफसर आखिर नेतागिरी के दबाव में क्यूं नतमस्तक है…!! जो कलम चलाने और ट्रांसफर से डरते है। सूत्रधार की माने तो माइनिंग के अफसर भी शुतुरमुर्ग की तरह सिर छुपाकर रेत से तेल पीने में पिछे नही है। तभी तो जब्त मशीन का जुर्माना स्वयं ही भरकर पद की नाक कटाते हुए अफसर कुर्सी बचाने में जुटे है।

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अनुशासन का पाठ और मीडिया प्रभारी 

 

अनुशासन की पाठ पढ़ाने वाली पार्टी की नेता तो छोड़िए मीडिया प्रभारियों ने भी अपने ग्रुप में भाजपा विरोधी समाचारों को पोस्ट कर अनुशासन के नाम पर पहचान बना चुकी पार्टी की नीति रीति तार तार कर गए हैं।

 

सही है कि है कलम वह दोधारी तलवार है जो अच्छे के हाथ लग जाये तो अच्छा वरना बुरे हाथ लगने पर वही होता है जैसे बंदर के हाथ मे उस्तरा…!

सभापति के चुनाव को लेकर भाजपा में छत्रप बनने की मंशा ने घर की लड़ाई को सड़क पर लाकर पार्टी की रीति नीति को तार तार कर दिया है। पार्टी की किरकिरी हुई यह किसी से छिपा नही और ऐसा कोई मीडिया स्त्रोत नही बचा है जिसमें यह सब छपा नहीं । कारण यह है कि इस दौरान पार्टी के मीडिया ग्रुप को इस्तेमाल करने में कुछ लोगो ने कोई कसर नहीं छोड़ी। वह भी लिखा गया जो नही लिखा जाना था और जो लिखा जाना था उसे हाशिये पर रख दिया गया।

दरअसल मीडिया के इस ग्रुप में कुछ ऐसे लोगो का पहरा है जो नकाबपोश है पार्टी हित को छोड़कर खुद के स्वार्थ के लिए काम करते है, सो ऐसे में भला मीडिया ग्रुप कैसे नीरक्षीर रहे। खुद को कलम वीर कहने वाले ग्रुप के ओहदेदार सदस्य यही कह रहे है हम तो डूबेंगे सनम तुम्हे भी ले डूबेंगे..!

 

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अफसरों की कुंडली में चौपाल

 

प्रदेश की साय सरकार के 14 माह पूरे होने जा रहे हैं। इन 14 महीनों में सरकार के मंत्रियों खूब पसीना बहाया..तीन तीन चुनाव निपटे और अब बजट सत्र में विभागों के लिए धनराशि भी दी जा चुकी है। मार्च महीने में आज राष्ट्रपति और 30 तारीख को प्रधानमंत्री का कार्यक्रम निपट जाने के बाद मंत्रियों को बड़ी राहत मिल जाएगी। नेताओं की कुंडली में राजयोग बनता दिख रहा है। कुछ लोगों के मंत्री बनने का सपना पूरा हो सकता..कईयों को लालबत्ती मिलने का योग है।

लेकिन, अगला महीना अफसरों पर भारी पड़ने वाला है। मंत्रालय वाले ज्यो​तिषी का कहना है कि अप्रैल में अफसरों के ग्रह नक्षत्र अपनी चाल बदलने वाले हैं। 14 माह सरकार अपने नंबर बढ़ाने में उलझी रही अब अफसरों के उलझने की बारी है। अगले महीने से छत्तीसगढ़ के विष्णुलोक में सीएम गांव.गांव चौपाल लगाकर जनता से उनका हाल पूछेंगे..वो भी सीधे सीधे..। चौपाल में सरकार के छोटे बड़े सभी अफसर भी वहीं रहेंगे।

ऐसे में अगर सीएम के सामने जनता ने साहब का बहीखाता खोल दिया तो उनका क्या होगा..यह सब कुछ उनकी कुंडली में बैठे ग्रह नक्षत्रों की चाल से मिलने वाले शुभ अशुभ फल के अनुसार होगा। चौपाल में सबसे ज्यादा फोकस केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं पर होगा। और इनका लाभ जमीनी स्तर पर लोगों को कितना मिला है इसकी कुंडली तैयार होगी और प्रभारी अफसर के कुंडली से इसे मिलान कराया जाएगा।

मंत्रालय वाले ज्यो​तिषी का कहना कि इसका असर महानदी भवन में होना है..सरकार ने योजनाओं पर नजर रखने के लिए संभाग और जिलास्तर पर आईएएस लाबी को इसका जिम्मा दिया था..उसकी भी जांच हो जाएगी। ऐसे में चौपाल में लगने वाली क्लास में जिसके नंबर बढ़ गए वो पास और..बाकी का उनके ग्रह नक्षत्र जानें..।

कांग्रेस में कायाकल्प

एआईसीसी में दिल्ली से लेकर राज्यों तक बड़े बदलाव हो रहे हैं..पार्टी ने पहले महासचिव और बाद में राज्यों के प्रभारी बदल दिए..। कुछ राज्यों में पीसीसी भी बदली गई। छत्तीसगढ़ में 11 नए जिला अध्यक्ष बनाकर प्रदेश कांग्रेस में कायाकल्प की शुरुआत तो हुई..मगर जिन जिलों में बदलाव हुए हैं वहां स्थानीय नेताओं के पसंद को ही ध्यान में रखकर अध्यक्ष बनाए गए हैं।

सीधे सीधे कहे तो चेहरे बदले, सियासत नहीं…। केवल 11 जिलों के अध्यक्ष बदल कर पूरे प्रदेश में कांग्रेस में जान आने से रही। कांग्रेस की परेशानी ये है कि पार्टी का शीर्ष नेतृत्व छोटे छोटे फैसलों से बड़े बदलाव की उम्मीद करने का आदी हो चुका है। सारे फैसले दिल्ली से लिए जाते हैं..प्रदेश संगठन को केवल उस पर अमल करना होता है।

पीसीसी में बदलाव की बात 14 महीने से हो रही है..इस बीच पार्टी 4 चुनाव हार गई..। 14 महीने में 11 जिलों में अध्यक्ष बदल कर पार्टी अपने कार्यकर्ताओं को क्या संदेश देना चाहती है इसका जवाब दिल्ली से आने वाले नेताओं के पास भी नहीं..बस बदलाव की बात होती है। पार्टी छोड़कर गए नेताओं की वापसी का मुद्दा लटका हुआ है। ऐसे में कांग्रेस को अपने कायाकल्प के लिए उस वैद्य की सलाह लेनी होगी जिसे जनता की नब्ज टटोलने में महारत हो..।

      ✍️अनिल द्विवेदी, ईश्वर चन्द्रा

 

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