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Change in phq :शहर का चर्चित बार, जहां पहुंच गए थानेदार,DMF में रुचि और महिला अफसरो की सूची..थाने में ढिशूम ढिशूम और,तेरे द्वार खड़ा एक जोगी…

🔶शहर का चर्चित बार, जहां पहुंच गए थानेदार…

 

शहर के एक चर्चित बार में एक थानेदार देर रात सिविल ड्रेस में पहुंच गये। बार तो वैसे गम भुलाने की जगह है। सो साहब को लोगो ने  “अगर जरा थके हो तो सुनो, खुशी में आप थोड़ा गम भरो.. लगाओ घूंट तुम भी प्यार से, मेरी तरह पियो और जिओ…!” गुनगुनाते हुए ग्लास सरका दी।

दरअसल बात पिछले रविवार के रात की है। धन्ना सेठों के नगर में थानेदारी करने वाले साहब जब सिविल ड्रेस में एक चर्चित बार पहुंचे तो उन्हें पहचानने वाले सतर्क हो गए और एक दूसरे का मुंह ताकने लगे।

सिंघम स्टाइल में उनके एंट्री की चर्चा जब छनकर पुलिस के पंडितों के पास पहुंची तो महकमे के अफसर शायराना अंदाज में कहने लगे “सच्चाई छुप नही सकती बनावट के वसूलों से,खुशबू आ नही सकती कागज के फूलों से…”

बाते जब साहब के करीबियों तक गई तो वे बार में अचानक प्रगट होने का रीजन पूछ लिए। साहब ने भी तर्क देते हुए कहा कि एक आरोपी का लोकेशन मिला था। सो उसे पकड़ने रात में शहर के बार जाना पड़ा। उनका वाइन शॉप जाने का तर्क सुनकर तंज कसते हुए महकमे के कुछ खटराल टाइप के अफसर कह रहे है “भाई पीने वालों को पीने का बहाना चाहिए…! “

सूत्रधारों की माने तो साहब है तो शौकीन लेकिन दरोगा को पीने के लिए बार जाने की जरूरत ही क्या..!

दरोगा चाहे तो वाइन शॉप खुद चलकर थाना आ जाए ! वैसे साहब है चतुर सुजान सो आये भी किसी खास वजह से होंगे। साहब के बार आने की वजह चाहे जो भी हो पर शहर के बार मे पहुंचे थानेदार की चर्चा जमकर सुर्खियां बटोर रही है।

🔶DMF में रुचि और महिला अफसरो की सूची...

 

 

जिले के अधिकारियों के लिए सोने की खान कहे जाने वाले डीएमएफ में अधिकारियों और नेताओं की रुचि लगातार बढ़ी है। आइए बताते है डीएमएफ में कितने महिला अधिकारियों की सूची है !

देश मे महिलाओ के हाथों खजाने की चाबी को सुरक्षित माना जाता है। यही  वजह है डीएमएफ शाखा की चाबी अधिकांशतः महिलाओं के सुरक्षित हाथों में रही है।

खनिज न्यास संस्थान का काम देखने वाले अधिकारियों की सूची की बात करे तो पूर्ववर्ती सरकार में राज्य सरकार ने एक महिला डिप्टी कलेक्टर को पदस्थ किया था। डीएमएफ शाखा प्रभारी ने कुछ दिन तक काम संभाला और जब नियम विरुद्ध सेंक्शन होने लगा तो उन्होंने अपने को डीएमएफ से अलग कर छुट्टी में चली गई। सूत्रधारों की माने तो माननीया साल भर बाद वापस लौटी तो मां मड़वारानी के दरबार मे माथा टेककर डीएमएफ से दूर रहने का आशीर्वाद मांगा। कहते है सच्चे मन से कोई मां मड़वारानी से मांगे मन्नत जरूर पूरी होती है। हुआ भी वही मां के आशीर्वाद से कोयले की कोठरी कहे जाने वाले डीएमएफ से बेदाग निकलकर वे आज भी शांति से नौकरी कर रही हैं। अब दूसरे नम्बर की महिला अफसर के तेवर ही अलग थे, एसडीएम कटघोरा से हटाकर उन्हें जब डीएमएफ की तिजोरी की चाबी दी गई। उस समय अमृतकाल चल रहा था, सो उन्होंने समुद्र में से दो चार लोटा पानी निकालकर अपना काम बनाते हुए तत्कालीन कलेक्टर को खुश करने में सफल रही।

जब तीसरे महिला ने बतौर थर्ड पार्टी खनिज न्यास का काम संभाला तो डीएमएफ की तिजोरी ही कलेक्टोरेट कार्यालय से बाहर शिफ्ट हो गई। अर्थात सारे काम बाहर से ही होने लगे। खनिज न्यास शाखा सिर्फ पोस्टमेन बनकर रह गया। लिहाजा आज वे कृष्ण जन्मभूमि में है। अब नई व्यवस्था के तहत सरकार औऱ अधिकारियों के बीच सामंजस्य बनाकर काम शुरू हुआ है तो फिर से महिला अफसर को डीएमएफ की तिजोरी की चाबी सौंपा गया है। अब देखना है पूर्व के महिला अधिकारियों की तरह वे बेदाग काम कर पाती है या….!

 

🔶थाने में ढिशूम ढिशूम और…

 

 

वरुण धवन के फ़िल्म का गाना “नशा करके जो आये कोई तो डिशूम, मेरे भाई को सताये कोई तो डिशूम..” एसपी कार्यालय के समीप एक थाने में जमकर बज रहा है।

बात पुराने कोर्ट परिसर में चल रहे थाने की है। फील्ड में तैनात ट्रैफिक के जवान रात को थाना जाकर दिन भर का हिसाब लगाते हुए चालान जमा करते है। इस दौरान खंडहर पड़े बिल्डिंग में बैठकर दिन भर का थकान मिटाने के लिए पैग बनाते हुए ऊपरी कमाई का हिसाब लगाते है। पिछले दिनों कमाई का आपसी बंटवारे और ड्यूटी लगाने को लेकर कर्तव्यनिष्ठ सिपाहियों के बीच विवाद हो गया। विवाद इतना बढ़ गया कि दोनों गुट आपस मे डिशूम- डिशूम करने लगे। सूत्रधारों की माने तो विवाद की जड़ ड्यूटी लगाने को लेकर शुरू हुई थी। सूत्र बताते है ऑफिस संभालने वाले सिपाही किसे किस पॉइंट पर ड्यूटी कराना है उसे तय करता है। इसके बदले में चाय पानी खर्चा ऑफिस वाले कर्मचारी को फील्ड वाले रात में बतौर नजराना देते है। इसी बात को लेकर सिपाहियों के बीच गुटबाजी भी चलती है। कहा तो यह भी जा रहा है कि ट्रैफिक के जवानों की असल इनकम बंद हो चुकी है और अब मलाई को छोड़ छांछ से काम चलाना पड़ रहा है। लिहाजा बढ़े खर्चे और कम इनकम में गुजारा करना पड़ रहा है। सो अपना छोड़ दूसरे की कमाई पर नजर गड़ाए रहते है। यही वजह है आपस मे एक दूसरे का कपड़ा फाड़ने के लिए जवान तैयार रहते है। थाने चल रहे गुटबाजी को लेकर विभाग के समझदार कहने लगे गुटबाजी कहीं फिर से कोतवाली कांड न करा दें।

थाने के भीतर हुए डिशूम- डिशूम की गूंज के बाद जनमानस में चर्चा है “ये तो होना ही था आखिरकार लड़ाने वाले अफसर की एंट्री जो हो चुकी है।..”

 

 

🔶तेरे द्वार खड़ा एक जोगी…

 

 

छत्तीसगढ़ में विधानसभा और लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद अब कांग्रेस के सामने निकाय चुनाव में पार्टी के मजबूत प्रदर्शन की चुनौती है। ऐसे में अपना वोट बैंक बनाए रखने के लिए चुनाव के दौरान बागी होकर पार्टी छोड़कर गए नेताओं की घर वापसी के लिए कांग्रेस भी तैयार है।

सात सदस्यीय समिति में प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज, डॉ. चरणदास महंत, धनेन्द्र साहू, मोहन मरकाम, प्रभारी सचिव संपत कुमार, जरिता लैतफलांग, और विजय जांगिड़ को शामिल किया गया है। इस कमेटी में कांग्रेस दो नेता भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव को दूर रखा गया है ताकि बागियों की वापसी में कोई बड़ा इश्यू सामने न आए।

लेकिन, इस बीच जेसीसीजे नेता एवं पूर्व सीएम स्व. अजीत जोगी की पत्नी रेणु जोगी ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, प्रभारी सचिव सचिन पायलट और पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज को अपनी पार्टी का एआईसीसी में विलय करने का पत्र लिखा है। हालांकि जेसीसीजे का कांग्रेस में विलय आसान नहीं होगा..। पूर्व सीएम भूपेश बघेल के करीबी नेता इसका विरोध कर रहे हैं। सरगुजा में पूर्व विधायक बृहस्पति सिंह की कांग्रेस में वापसी भी टीएस सिंहदेव की हॉ या ना पर टिकी है।

हालांकि इस कमेटी की बैठक में 27 दिसंबर को होना है मगर उससे पहले पीसीसी चीफ बैज आज हाईकमान ने बुलावे पर दिल्ली जा रहे हैं। इस दौरान रेणु जोगी के जेसीसीजे पार्टी के कांग्रेस में विलय और कांग्रेस बागियों की पार्टी में वापसी से आने चुनाव में पड़ने वाले असर पर चर्चा होनी है। खबरीलाल का कहना है कि जोगी परिवार की पार्टी में वापसी का अंतिम फैसला दिल्ली दरबार में ही होना है तो…….हैरानी नहीं होगी अगर जोगी परिवार को दिल्ली से पार्टी में वापसी का क्रिसमस गिफ्ट मिल जाए।

🔶पीएचक्यू में बदलाव

 

वर्तमान डीजीपी अशोक जुनेजा 5 फरवरी, 2025 को रिटायर हो जाएंगे। इससे पहले नए डीजीपी का चयन होना है। इधर एडीजीपी जीपी सिंह बहाल होकर पुलिस मुख्यालय में ज्वाइनिंग दे चुके हैं, उन्हें अभी पो​स्टिंग नहीं मिली है। जीपी सिंह की जॉइनिंग के साथ ही पीएचक्यू में बड़े बदलाव की चर्चा है।

असल में नए साल में वर्ष-2007 बैच के अफसर दीपक झा, रामगोपाल गर्ग, और अभिषेक शांडिल्य प्रमोट होकर आईजी बनने वाले हैं। वहीं हाल ही में केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति से लौटे अभिषेक शांडिल्य ने पीएचक्यू में जॉइनिंग दे दी है। मगर उनकी पोस्टिंग नहीं हुई है।

महकमें में चर्चा है कि पीएचक्यू के हाई रैंक वालों अफसरों को मैदानी पोस्टिंग देने की तैयारी है। कहा जा रहा है कि आईजी, और एसपी स्तर के अफसरों के प्रभार बदले जा सकते हैं।

✍️अनिल द्विवेदी, ईश्वर चन्द्रा

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