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Ruckus in Congress…fullness in BJP:थानेदारों को कप्तान का संदेश कायदे में,80 कमर्चारी हायर,जो करते थे माउथ फायर..करोड़ो के डीजल घोटाले में अफसरों के सूखे कंठ,देवउठनी और महादेव…

थानेदारों को कप्तान का संदेश कायदे में रहोगे तो…

क्राइम मीटिंग में सख्त कप्तान ने थानेदारों को दो टूक में इशारा कर दिया है कि कायदे मे रहोगे तो फायदे में रहोगे.. नहीं तो बिना आदेश लाइन हाजिर होना पड़ेगा..! एसपी के सख्त तेवर से लंबा टीका मधुर वाणी और खुरापात टाइप के थानेदार टेंशन में हैं।

वैसे तो साहब के कोरबा पोस्टिंग के बाद विभाग के अफसरों के कामों में काफी तब्दीली आई है। विभाग में ऐसे भी कुछ अफसर हैं जो उच्च अधिकारी को अपना खास बताकर पब्लिक के बीच अपना सिक्का चलाने का प्रयास कर रहे थे। लेकिन, चल नहीं चलनी बंद हो गई है। ऐसे मैनेजर टाइप खाकी के खिलाड़ियों की भी बोलती बंद हो गई है। अब तो न एक स्टार का चल रहा न नंबर दो का…!

हालांकि कुछ अफवाहों का बाजार शहर में गर्म है वो ये की कुछ सिविलियन संबंधों की दुहाई देकर काम दिलाने का खयाली फुलाव पका रहे हैं। साहब के तेवर के बाद उल्टे सीधे काम करने वाले अफसर सही राह में चार्ज हो गए हैं। और दबी जुबां से कहने लगे हैं साहब कड़क मिजाज के है सो समझकर काम करना पड़ रहा है। पहले तो रस्सी को भी सांप बना देते थे अब ये सब नहीं चलने वाला!

लिहाजा थानेदार कहते फिर रहे है जैसा बाजा होगा वैसे ही डांस करना पड़ेगा जनाब! खैर साहब के सख्ती के बाद भी कुछ थानेदार अभी भी सिंडीकेट बनाकर कायदे को छोड़ फायदे वाले “पैकेज” वसूलने में लगे हैं। एसपी के सख्त तेवर के बाद भी चल रहे अवैध कामों को देखकर मन ही मन पब्लिक तो यही गुनगुना रही है कि नेचर और सिग्नेचर को बदल पाना इतना आसान नहीं है सर..!

80 कमर्चारी हायर,जो करते थे माउथ फायर...

विधानसभा के हवा का रुख बदलने भाजपा ने 80 पेड कर्मचारी को हायर किया था। जो भीड़ भाड़ वाले इलाके में प्रत्याशी के छवि को निखारने में जुटे रहे। ये हम नहीं बल्कि भाजपा के एक कद्दावर नेता जी का कथन है। उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि कांग्रेस की सल्तनत को बदलने 80 कर्मचारियों को 1 हजार रुपये पर “डे” के हिसाब से हायर किया गया था।

जो चौक चौराहों के पान ठेलों और चाय की टपरी में बैठकर भाजपा के पक्ष में टपर..टपर कर प्रत्याशी का गुण गा रहे थे। वैसे तो डिजिटल युग में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से कांग्रेस के नेताजी का पुराना ऑडियो को सोशल प्लेटफार्म पर वायरल किया गया। जिससे उनकी छवि धूमिल हो सके और मतदान का मन भ्रमित हो।

हाइप्रोफाइल सीट कही जाने वाली कोरबा की सीट में कांग्रेस प्रत्याशी को पैसा वाला और स्वयं को लो प्रोफ़ाइल का कैंडिडेट बनाकर इमोशनल रूप से मतदाताओं से जुड़ने का प्लान बनाया। जो काफी हद तक कारगर साबित हुआ है। जो सीट कांग्रेस की झोली में दिख रही थी उसे मतदान की तारीख आते आते भाजपा ने हवा रुख को बदल दिया।

शहर में साइलेंट वोटिंग और सेटिंग की चर्चा चुनाव के बाद जोरों पर है। हालांकि अभी यह कह पाना आसान नहीं कि इस स्टिकट वर्सेस बहरूपिया की लड़ाई में किसकी जीत होगी। बहरहाल 3 दिसंबर को क्लियर होगा कि भाजपा के माउथ पब्लिसिटी का प्लान सफल रहा या उनके प्लान को हाईजैक कर लिया गया।

करोड़ो के डीजल घोटाले में अफसरों के सूखे कंठ

वैसे तो डीजल घोटाले के नाम पर कुख्यात तमगा फारेस्ट डिपार्टमेंट के पास है लेकिन घोटाले की यह ट्राफी छीनकर अब निगम के पाले में पहुंच आ गई है। नगर निगम में सालों से डीजल के नाम पर बड़ा खेल चल रहा है। खबरीलाल की माने तो निगम के वाहनों के डीजल आबंटन में बड़ा रैकेट काम कर रहा है। डीजल चोरी के खेल में अफसर से लेकर ठेकेदार की भूमिका संदिग्ध है। सूत्रों की माने तो नगर निगम के वाहनों में डीजल तो 30 लीटर भरा जाता है लेकिन पर्ची 40 लीटर की बनती है। स्पष्ट है कि निगम के पास सैकड़ों गाड़ियां है जिनमें कम खपत डीजल की भारी भरकम पर्ची  बनाकर उच्च अधिकारियों के आंखों में धूल झोंका जा रहा है। यही नही सफाई ठेकेदार भी निगम के इस भ्रष्टचार के बहती नदी में हाथ धोकर..निगम सरकार को चूना लगा रहे है। कहा तो यह भी जा रहा है सफाई ठेकेदार निगम के जेसीबी का उपयोग कर अपना बिल बढ़ा रहे थे। इसकी खबर जब आयुक्त मैडम को लगी तो उन्होंने फौरन जेसीबी भेजने पर रोक लगा दी। इसके बाद एक के एक सफाई और डीजल घोटाले की परत खुलने लगी है। कहा तो यह भी जा रहा है कि आयुक्त ने अफसरों से विगत महीनों में किन-किन वाहनों पर कितना डीजल खर्च किया हुआ, इसका विभागवार विवरण प्रस्तुत करने के लिए कहा है। इसके साथ अफसरों के उपयोग के वाहनों पर व्यय होने वाले डीजल के भी लेखे की मांग की है। आयुक्त के तेवर से नगर निगम अफसरों के कंठ सूख गए हैं। बहरहाल निगम के कुछ अफसर और ठेकेदार सरकार बनने और आयुक्त के ट्रांसफर का इंतजार कर रहे है।

देवउठनी और महादेव

देवउठनी एकादशी के साथ देव 4 माह की योगनिंद्रा से जाग गए हैं। स्वाभाविक है कि देवों के देव महादेव भी जाग उठे हैं। चुनावी आचार संहिता के असर से योगनिंद्रा में चली गई ईडी भी जागते महादेव की भक्ति में डूबने लगी है।

ईडी वाले महादेव एप से जुड़े सभी भक्तों की खोजखबर लेने में लगे हैं। उम्मीद है कि आने वाले दिनों में महादेव की कृपा कुछ और भक्तों पर बरसने वाली हैं। ईडी को 3 दिसंबर के मुहूर्त का इंतजार है।

कार्तिक पूर्णिमा से एक दिन पहले ही कांग्रेस के कई बड़े नेता गुलाटी मारकर सीधे खारून नदी में कूद गए। इसके बाद महादेव का पूजन दर्शन किए ताकि महादेव की कृपा उनपर बनी रहे। अब महादेव की कृपा किस पर होनी है ये तो वो ही तय करेंगे। मगर देवउठनी का असर तो होना ही है और आने वाले दिनों में ये भी सामने आ जाएगा और कितने लोगों पर कृपा बरसने वाली है।

कांग्रेस में रार…बीजेपी में भरमार

प्रदेश में 6 दिन बाद ये तय हो जाएगा कि अगली सरकार किसकी बनेगी। हालांकि कि कांग्रेस और बीजेपी दोनों जीत का दावा कर रहे हैं। मगर, रोज रोज जो नए समीकरण सामने आ रहे हैं उससे हार जीत वाली सीटों का समीकरण उपर नीचे हो रहा है। जैसे मतगणना की तारीख करीब आ रही है, सीएम फेस को लेकर लोगों की दावेदारी सामने आ रही है।

कांग्रेस में भूपेश बघेल और डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव की दावेदारी सामने आई है, कोई तीसरा चेहरा फिलहाल मैदान में नहीं है। पिछली बार 4 लोगों ने मुख्यमंत्री पद के बनने के लिए दिल्ली तक जोर लगाया था। साहू समाज के ताम्रध्वज साहू और दिल्ली के करीबी कहे जाने वाले चरणदास महंत इस बार दौड़ से बाहर नजर आ रहे हैं।

कांग्रेस में साफ कह दिया है कि कांग्रेस की वापसी हुई तो बघेल ही अगले मुख्यमंत्री होंगे लेकिन, सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ने की बात कह टीएस सिंहदेव भी सीएम कैंडिडेट के लिए पीछे हटाने का तैयार नहीं हैं।

वहीं बीजेपी में सीएम कैंडिडेट की भरमार है। पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के अलावा चुनावी साल में प्रदेश का नेतृत्व संभाल रहे अरुण साव लंबी दौड़ में शामिल हैं। 15 साल पहले जब बीजेपी सत्ता में लौटी थी तब रमन सिंह पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष थे और सीएम का पद उन्हें नसीब हुआ था। अब उसी कहानी को दोहराने की स्क्रीप्ट लिखी जा रही है।

आज अरुण साव पार्टी में संभाल रहे हैं। इस नाते उनकी दावेदारी पुख्ता है। इसके अलावा बीजेपी लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए सीएम पद के लिए नया चेहरा देकर सभी को चौंकाना चाहती है। जो भी सीएम फेस के लिए कांग्रेस में रार मची है तो बीजेपी में चेहरों की भरमार है। अब अगली सरकार किसकी बनेगी और सीएम कौन होगा इसके लिए इंतजार करना होगा।

    ✍️अनिल द्विवेदी, ईश्वर चन्द्रा

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