कोरबा

Spearhead Team : कोरबा में ‘मानव-हाथी संघर्ष नियंत्रण टीम’ गठित…! प्रेस क्लब सचिव नागेन्द्र श्रीवास को मिली अहम जिम्मेदारी

मानव-हाथी संघर्ष पर बनेगी 'कटघोरा मॉडल' की मिसाल

कोरबा, 12 अक्टूबर। Spearhead Team : कटघोरा वनमंडल क्षेत्र में दिनोंदिन बढ़ रहे मानव-हाथी संघर्ष (Human-Elephant Conflict – HEC) की गंभीरता को देखते हुए वनमंडलाधिकारी कुमार निशांत (भा.व.से.) के निर्देश पर एक विशेष ‘Spearhead (Rapid Response) Team’ का गठन किया गया है। इस दल का उद्देश्य संघर्ष की स्थिति में तुरंत राहत, बचाव, समन्वय और जनसहभागिता के माध्यम से प्रभावी नियंत्रण करना है।

इस दल में वन विभाग के अधिकारियों के साथ-साथ पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, पशुचिकित्सकों और ‘हाथी मित्रदल’ के अनुभवी सदस्यों को भी शामिल किया गया है।

टीम को मिली जमीनी जिम्मेदारियाँ

जारी आदेश के अनुसार, टीम की कमान उपवनमंडलाधिकारी संजय त्रिपाठी को सौंपी गई है। कुल 15 सदस्यीय टीम में परिक्षेत्र अधिकारी, सहायक कर्मचारी, वन रक्षक, पशुचिकित्सक, पत्रकार और हाथी मित्र शामिल हैं। यह टीम संघर्ष की सूचना मिलते ही मौके पर पहुंचेगी, घायलों को सुरक्षित स्थान पर ले जाएगी, हाथियों को बिना क्षति पहुंचाए सुरक्षित दिशा में मोड़ेगी, और सभी गतिविधियों का डिजिटल दस्तावेजीकरण (फोटो, वीडियो, GPS लोकेशन सहित) किया जाएगा।

कोरबा प्रेस क्लब सचिव नागेन्द्र श्रीवास को टीम में अहम स्थान

वन विभाग द्वारा गठित इस विशेष टीम में कोरबा प्रेस क्लब के सचिव एवं वरिष्ठ पत्रकार श्री नागेन्द्र श्रीवास को भी सदस्य के रूप में शामिल किया गया है। यह कोरबा पत्रकारिता जगत के लिए गर्व की बात है।

श्री श्रीवास पिछले 25 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं। उन्होंने दैनिक संवाद साधना, नवभारत, और वर्तमान में हरिभूमि में सेवा दी है। वे न केवल क्राइम बीट में प्रभावशाली रिपोर्टिंग के लिए जाने जाते हैं, बल्कि वन एवं पर्यावरण विषयों पर भी निरंतर सक्रिय हैं। उनकी रिपोर्टिंग के चलते कई बार समय रहते मानव-हाथी संघर्ष जैसी घटनाओं को टाल दिया गया है।

मानवता के साथ कार्य करेगा वन विभाग

वनमंडलाधिकारी कुमार निशांत ने अपने आदेश में कहा कि टीम की प्राथमिकता जीवन की सुरक्षा, संघर्ष की रोकथाम और पारदर्शी मुआवजा प्रक्रिया होगी। साथ ही दल को ग्रामीण क्षेत्रों में जनजागरूकता, संवाद, भीड़ नियंत्रण और प्रशिक्षण कार्यक्रमों के आयोजन की जिम्मेदारी भी दी गई है।

कटघोरा मॉडल बन सकता है उदाहरण

यह संयुक्त प्रयास जिसमें पत्रकार, अधिकारी, विशेषज्ञ और स्थानीय लोग शामिल हैं न केवल संघर्ष की घटनाओं को कम करेगा बल्कि एक संवेदनशील, त्वरित और सहभागी प्रशासनिक मॉडल के रूप में उभर सकता है। स्थानीय ग्रामीणों और सामाजिक संगठनों ने इस पहल का स्वागत किया है, क्योंकि इसमें उन लोगों को जोड़ा गया है जो जमीनी हकीकत को नज़दीक से जानते हैं और पहले से सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।

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