कोरबा। आदिवासी जमीन को सामान्य बनाकर खरीदने वाले जवाहर अग्रवाल को हाईकोर्ट से बेल मिल गई है।
दादर के आदिवासी की जमीन को यादव की जमीन बताकर कूटरचित दस्तावेजों के द्वारा रजिस्ट्री करने वाले जवाहर अग्रवाल को कोर्ट ने 7 साल की सजा सुनाई थी।
बता दें कि तुलसी मार्ग निवासी जवाहर अग्रवाल ने दादर के आदिवासी की जमीन को यादव की बताकर गलत तरीके से रजिस्ट्री करा ली थी। मिसल रिकॉर्ड के साथ जमीन के असली मालिक ने अपने पुरखे की जमीन के लिए विशेष न्यायालय में केस दायर किया था। विद्वान न्यायधीश ने दोनों पक्षों के तर्क सुनने के बात न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किए गए साक्ष्यों के आधार पर जमीन की रजिस्ट्री फर्जी मानते हुए क्रेता जवाहर अग्रवाल और उनके साथी राजेंद्र यादव को 7 साल की सजा सुनाई थी। कोर्ट के निर्णय आने के बाद जवाहर अग्रवाल ने जमानत के लिए हाईकोर्ट में अर्जी लगाई थी।
सजा काट रहे श्री अग्रवाल की उम्र, अपराध की प्रकृति और उनके द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों को आधार मानकर प्रकरण के गुण-दोषों पर बिना किसी टिप्पणी किये हाई कोर्ट ने जमानत के लिए स्वीकृति दी है
लेकिन इस दौरान ट्रायल कोर्ट के द्वारा नियत पेशी में अनिवार्य रूप से उपस्थित होना पड़ेगा।
पढ़े आदेश PDF में
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