बलरामपुर। प्रदेश में पिछले कुछ समय से कानून व्यवस्था की स्थिति अत्यंत चिंताजनक हो गई है। बढ़ते अपराधों की घटनाएं न केवल आम जनजीवन को प्रभावित कर रही हैं, बल्कि प्रशासनिक ढांचे की कार्यप्रणाली पर भी प्रश्नचिन्ह लगा रही हैं। प्रदेश में विभिन्न प्रकार के अपराधों में वृद्धि देखी जा रही है, जिसमें हत्या, लूट, बलात्कार सहित अन्य गंभीर अपराध शामिल हैं। आंकड़े बताते हैं कि पिछले साल की तुलना में अपराध दर में वृद्धि हुई है। यह केवल एक संयोग नहीं है, बल्कि इसके पीछे कई सामाजिक, आर्थिक, और राजनीतिक कारण भी माने जा रहे हैं।
बता दें कि पुलिस कस्टडी में युवक की मौत के बाद बलरामपुर में शुक्रवार को भी बवाल जारी है। युवक की डेडबॉडी को पुलिस बलरामपुर से उसके गृहग्राम ले जा रही थी इस दौरान लोग फिर आक्रोशित हो गए। भीड़ ने पुलिसकर्मियों पर पथराव कर दिया। हालाँकि भीड़ में दिखाई दे रहे लोग दूसरे राज्यों से अकार छत्तीसगढ़ में बस गये हैं और अब इन्ही लोग यहाँ का माहौल ख़राब कर रहे है।
इधर उग्र भीड़ को क़ाबू करने पहुंची ASP निमिषा पांडे पर भी महिलाओं ने हमला कर दिया। इस दौरान एक महिला चप्पल से मारती नजर आई है। मृतक का शव लेने से परिवारजनों एवं बंगाली समाज ने इनकार कर दिया था। जिसके बाद पुलिस खुद डेडबॉडी को उसके गृहग्राम संतोषी नगर पहुंची है।
गुरुवार रात भी थाने में हुई थी तोड़फोड़
इससे पहले गुरुवार रात भी बलरामपुर थाने में लोगों की भीड़ ने हमला बोल दिया। देर रात तक हंगामे के बाद थाने और एसपी कार्यालय के सामने हाईवे पर कर प्रदर्शन कर रहे लोगों की भीड़ को पुलिस ने हटाया। एसपी ने बलरामपुर थाना प्रभारी और आरक्षक को सस्पेंड कर दिया है।
मृतक गुरुचरण मंडल के पिता शांति राम ने थाने से बाहर निकलकर कहा कि पुलिस ने उसके बेटे को मारकर लटकाया है, TI और SP तीन दिनों से गुरुचरण को पीट रहे थे। वहीं ASP शैलेंद्र पांडेय ने इन आरोपों को खारिज किया है। ASP ने कहा कि, सिर्फ पूछताछ के लिए बुलाया गया था उसने बाथरूम में जाकर फांसी लगा ली।
सूत्रों के मुताबिक़ महिला के लापता होने के मामले में पुलिस को अहम सुराग हाथ लगा था। जिसके बाद युवक ने ख़ुदकुशी कर ली। फ़िलहाल पुलिस का ध्यान अब शांति क़ायम करने की दिशा में है। लेकिन बड़ा सवाल है कि मृतक की लापता पत्नी अभी कहाँ और किस हाल में हैं। बलरामपुर थाने में पूछताछ के लिए बुलाए युवक की पुलिस हिरासत में मौत हो गईं। युवक की मौत के बाद जिले सहित क्षेत्र में तनाव है, लोग सड़को पर उतर कर आंदोलन कर रहे है। प्रदेश में कानून-व्यवस्था की स्थिति में सुधार लाने के लिए प्रशासनिक स्तर पर कई कदम उठाने की आवश्यकता है। लेकिन, प्रशासन की लापरवाही और भ्रष्टाचार ने स्थिति को और भी खराब कर दिया है। पुलिस और अन्य कानून-प्रवर्तन एजेंसियों की कमी और उनके ऊपर विश्वास का अभाव, अपराधियों को बढ़ावा देता है। वही राजनीतिक नेतृत्व का भी इस समस्या में बड़ा हाथ है। चुनावों के समय किए गए वादे और बाद में उनकी अनदेखी ने जनता का विश्वास तोड़ दिया है। राजनीतिक पार्टियों के बीच अस्थिरता और आपसी संघर्ष ने भी कानून व्यवस्था को प्रभावित किया है। जब राजनीतिक दल अपराधियों के साथ सांठगांठ करते हैं, तो इससे कानून-व्यवस्था की स्थिति और बिगड़ती है। इसके समाधान के लिए सभी स्तरों पर प्रयास करने की आवश्यकता है। प्रशासन, समाज और राजनीतिक नेतृत्व को एक साथ मिलकर काम करना होगा ताकि इस समस्या का स्थायी समाधान निकाला जा सके। अगर हम अभी कदम नहीं उठाते हैं, तो भविष्य में स्थिति और भी बिगड़ सकती है। सभी को इस दिशा में जागरूक होकर सक्रियता दिखानी होगी।