कटाक्ष

Scoundrel of honesty : सब गोल माल भई सब गोल,खाकी के तेज बनाएंगे इमेज..एक तरफ कुंआ दूसरी ओर खाई,वाटर सप्लाई से मलाई…

सब गोल माल भई सब गोल..

टीवी सीरियल का ये टाइटल सांग ” गोलमाल है भाई सब गोलमाल है, हर सीधे रास्ते की एक टेढ़ी चाल है”…तो सभी ने गुनगुनाया है लेकिन ये सांग इन दिनों शहर के हर गली हर चौक में बजने लगा है…! दरसअल कमर्शियल काम्प्लेक्स में लगी आग में हर कोई हाथ सेंक रहा है।

प्रशासन की टीम ने जांच में सिर्फ शो रूम संचालक को दोषी पाया और उस एफआईआर की अनुशंसा की है। अब ये क्या बात हुई जिनका बिल्डिंग उनकी क्या जिम्मेदारी नहीं थी। सुरक्षा के मापदंडों को चेक करने…के।

चलो मान भी लो नजराना लेकर शोरूम का विस्तार की अनुमति निगम के नमूनों ने मौखिक दी थी तो बिजली विभाग की रिस्पॉन्सब्लिटी कुछ नहीं बनती, भार क्षमता बढ़ा तो नोटिस जारी कर फाइन क्या नहीं किया गया। फायर एंड सेफ्टी डिपार्टमेंट का जिम्मा सिर्फ सैलेरी लेना ही नहीं है , साल में एक सभी दुकानों का ऑडिट भी तो करना रहता है।

सो क्या वे सोशल रिस्पांसब्लिटी का निर्वाह किया या नहीं। इस तरह के तमाम तैरते सवालों के घेरे में जांच है। लेकिन, क्या करें अब तो शहर की स्थित ऐसी है कि सांस लेने के लिए भी लोगों को रकम खर्चा करना पड़ रहा है तो प्रशासन से निष्पक्ष जांच की उम्मीद करना थोथी है… ।

खैर जिस अंदाज में अपनों को बचाने प्रशासन की टीम जाल बुन रही है ,जिसमें जांच कर संचालक को दोषी ठहराया है उससे आम जन के पास सिवाय टाइटल सांग सब गोल माल भई सब गोल माल है गुनगुने के अलावा कुछ नजर नहीं आता है। सो पब्लिक बहस में पड़ने और किसी से उलझने से बचते हुए बस गोलमाल ही गुनगुना रही हैं।

खाकी के तेज बनाएंगे इमेज

वैसे तो थानेदार की चाल उसकी काबिलियत तय करती है लेकिन, वर्तमान समय मे खाकी की इमेज से ज्यादा तेज दौड़ाने वालों को अहमियत दी जा रही है। हाल में हुए थानेदारों की पोस्टिंग पर लोगों के जहन में एक सवाल कौंध रहा है वो है क्या तेज बना पाएंगे इमेज…!

पब्लिक का सवाल भी लाजमी है क्योंकि साहब अब तक छोटे थानों में थानेदारी कर शान की सवारी कर रहे थे। ये पहली दफा है जो उन्हें दीपका जैसे बड़े थाना का प्रभार दिया गया है। वैसे तो दीपका अपने आप में मिनी हिंदुस्तान है जहाँ देश के कोने कोने के लोग रहकर गुजर बसर करते हैं। यही वजह है दीपका एरिया में सबसे ज्यादा क्राइम भी होता है… ।

साल में एक दो बार तो गोली चलना आम बात है। लूट   तो पूछिये मत.. कोयला डीजल से लेकर हर तरह का लूट कोयलांचल में होता है। सो इन तमाम अनैतिक गतिविधियों के बाद भी दीपका में बिना दाग के थानेदारी कर अपनी इमेज बनाना सबसे बड़ी चुनौती है।

मतलब साफ है काजल के कोठरी से बिना दाग के दमदारी से थानेदारी करना जिगरा वाली बात है। ये बात सच है कोई मौका पाकर निखर जाता है और कोई बिखर जाता है । सो पुलिस के पंडित कहने लगे है क्या  तेज बना पाएंगे इमेज.. या ..फिर हो जाएंगे…!

एक तरफ कुंआ दूसरी ओर खाई...

एनएच के सड़क निर्माण करने वाले ठेकेदार के उतावलेपन से साहब की कुर्सी खतरे में आ गई है। साहब सच्चाई बयां भी नहीं कर पा रहे और छुपा भी नहीं पा रहे हैं। मतलब साहब की स्थिति एक तरफ कुआं दूसरे तरफ खाई की हो गई है। ये अलग बात है कि वे अपने खास लोगो को सच्चाई बताकर मन का बोझ हल्का कर रहे हैं।

मामला चाम्पा कोरबा नेशनल हाइवे में मचे बवाल का है। जहाँ पूर्व गृह मंत्री पर सारा आरोप मढ़ते हुए उन्हें बदनाम करने की साजिश रची गई। वो कहावत तो आपने सुनी ही होगी निकले थे हरि भजन को लोटन लगे कपास स्थिति मंत्री जी की हो गई। किसी दूसरे का अधिकार दिलाने के लिए अपनी अस्मिता को उन्होंने दांव पर लगाया तो इंद्रजाल फेंकने वाले सरकारी तांत्रिक मामले को उन्हीं पर उलट दिया और उन्हें बदनाम करने के लिए पटकथा लिख डाली।

जिस राइस मिल की जमीन को उन्होंने एनएच के लिए छोड़ दिया था। उन्हीं को माध्यम बनाकर उन पर आरोप लगा दिया गया। लेटर कहाँ से जारी हुआ था इसकी जानकरी लगने से पहले सोशल मीडिया में समाचार चल गया। लोगों तक वास्तविकता का पता चलती उससे पहले मंत्री जी मुफ्त में बदनाम हो गए।

बदनामी के दाग से भला किसे प्यार होता है सो पूर्वमंत्री ने भी हाथ पांव मारना शुरू किया और प्रशासन को ललकार डाला। चूंकि एनएच का काम सेंट्रल गर्वमेंट का है और ललकारने वाले भी ठहरे भाजपाई तो एनएच के अधिकारी के लिए एक तरफ और कुआं दूसरी तरफ खाई…! वाली स्थित हो गई है।

ट्रांसफर नो एप्लाई.. वाटर सप्लाई से मलाई..

निगम के वाटर सप्लाई से निकलने वाली मलाई ने साहब को कुर्सी से इस कदर बांध रखा है मानो “फेविकोल का जोड़ हो ” जो टूट नहीं रहा। साहब का ट्रांसफर प्रभारी अधीक्षण अभियंता के पद हुआ। लेकिन, साहब को कार्यपालन अभियंता का पद ही रास आ रहा है। लिहाजा साहब ने ट्रांसफर निरस्त करा लिया।

अब अगर वाटर सप्लाई से निकले मलाई की बात करें तो दो फेस में शहर के लोगो को शुद्ध पेयजल आपूर्ति करने का वादा था। इसके लिए बाकायदा 3 सौ 44 करोड़ खर्च भी किया गया। जिसमें घरों में कनेक्शन ,पानी टंकी के साथ पाइपलाइन का डिस्ट्रीब्यूशन शामिल था।

सूत्र बताते हैं कि निगम में काम के बदले नजराना देने का रिवाज इतना भारी है कि छोटे कामों में भी अधिकारियों की आलमारी खनक जाती है। ये तो 3 सौ 44 करोड़ की बात है सो आप ” नजराना” का अंदाजा लगा सकते हैं। कहा तो यह भी जा रहा है कि पाइपलाइन डिस्ट्रीब्यूशन के कामों की कहीं पोल खुल गई तो निगम के कई नमूने नप जाएंगे…!

लिहाजा साहब ट्रांसफर और प्रमोशन को नजरअंदाज कर वाटर सप्लाई की फाइल संभाल और छिपा रहे हैं। एक बात और वाटर सप्लाई के कार्य को पूरा हुए लगभग दो साल हो गए हैं। इसके बाद भी न विभाग के पास वैध कनेक्शन की सूची है और न ही मीटर रीडिंग का एक्ज़ेक्ट डाटा। मतलब साफ है सरकार से फंड मिला था जिसे कद्दू की तरह काटकर आपस मे बांट लिया गया है। अब पोल खुलने का डर सताने लगा है।

ईमानदारी की रेवड़ी

बिलासपुर में कल आम आदमी पार्टी की महारैली हुई। पार्टी की महारैली विधानसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी के शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देखी जा सकती है जिसे हाल ही में पंजाब में जीत मिलने के बाद राष्ट्रीय पार्टी होने का दर्जा मिला है। अब छत्तीसगढ़ में आम आदमी पार्टी अपनी इंट्री के लिए बेताब है।

बिलासपुर में जिस तरह से पार्टी के दोनों सीएम अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान ने कांग्रेस और बीजेपी पर हमला बोला उससे साफ है कि आम आदमी पार्टी छत्तीसगढ़ में अपने लिए राजनैतिक जमीन तलाश कर रही है। हालांकि पार्टी कार्यकर्ता और जनता अरविंद केजरीवाल को सुनने के लिए जुटी थी। मगर, महारैली में केवल दिल्ली और पंजाब मॉडल की ही बात होती रही। ​छत्तीसगढ़ के विकास में पार्टी का विजन क्या होगा इस पर कोई बात नहीं हुई।

आप नेताओं ने छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया और कांग्रेस व बीजेपी को निशाने पर लिया। खुद को ईमानदार बता कर जनता को बिजली, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधा मुफ्त में देने की बात कही। केजरीवाल ने कहा, भगवान ने छत्तीसगढ़ को देने में कोई कसर नहीं छोड़ी। कोयला, लोहा हर खनिज संपदा है यहं पर। बस केवल एक कमी की, ईमानदार नेता, ईमानदार पार्टी नहीं दी। अगर उनकी पार्टी को मौका मिला तो वो ईमानदार सरकार के साथ रेवड़ी बांटने वाली सरकार बनाएंगे।

केजरीवाल ने दिल्ली मॉडल की बात करते हुए यहां तक कह दिया कि हॉ मैं मुफ्त की रेवड़ी बांट रहा हूं। मगर गौर करने वाली बात ये है कि छत्तीसगढ़ की तुलना दिल्ली और पंजाब जैसे विकसित राज्यों से करना क्या सही होगा। छत्तीसगढ़ की समस्या इन दोनों राज्यों से अलग है। नक्सलवाद छत्तीसगढ़ को विरासत में मिला है। किसानों की बात तो ठीक है पर छत्तीसगढ़ के आदिवा​सी समाज की समस्याओं को भी समझना होगा। केवल ईमानदारी की रेवड़ी बांटने से तो छत्तीसगढ़ का भला होने से रहा। आम आदमी पार्टी को इस पर भी गौर करना होगा।

 

     ✍️अनिल द्विवेदी, ईश्वर चन्द्रा

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