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कौन बनेगा खाकी के हारे वीर जवानों का सहारा..!
खाकी के वीरों के लिए हारे का सहारा श्याम हमारा की रोल अदायगी कर रहे अफसर की रिलीविंग के बाद वीर सिपाही हताश है और उन्हें ऐसे अफसर की तलाश है जो पहले वर्दीधारियो की सुने, गुने और फिर तीर कलम चलाए..!
“पत्थर की चमक है न नगीने की चमक है,चेहरे पे सीना तान के जीने की चमक है। पुरखो से विरासत में हमे कुछ न मिला था जो दिख रही वो खून पसीने की चमक है..” कवि की इन पंक्तियों को आत्मसात करने वाले एएसपी रिलीव हो गए। साहब की सूझबूझ से जिले की पुलिस को लगातार धार मिलता रहा और वे सभी वीर सिपाहियों के लिए एक आईडियल रूप में काम रहे थे। या यूँ कहे कि साहब विभाग में कप्तान औऱ थानेदारो के बीच के सेतु थे जो हर हारी बाजी जीत परिवर्तित करने की समझ रखते थे..! उनके ट्रांसफर के बाद पुलिस विभाग में कर्मचारी अपनी बात रखने के लिए एक सेतु तलाश रहे है, जो बड़े साहब तक वीर सिपाहियों की राज की बात पहुंचा सके। मतलब विभाग के हारे वीरों का हीरो बन सके। वैसे तो बड़े साहब के चार मजबूत स्तम्भ हैं जो चारो दिशाओं से एंट्री होने वाली हर नकारात्मक ऊर्जा को डायवर्ट करते है लेकिन घर मे बैठे ऐसे भेदी को भी भाव देना जरूरी है जो नीर के साथ अपने वीर की बात निडरतापूर्वक रख सके। सो एएसपी के जाने के दर्द साथ हारे का सहारा श्याम हमारा वाले साहेब की तलाश विभाग में चालू आहे।
25 में पोस्टिंग से निकलती है महीनों मलाई
खाकी के हमराज-हमप्याला कहे जाने वाले विभाग में 25 हजार दो और मलाई वाले डिपार्टमेंट में पोस्टिंग का आदेश लो.. की विष्ठा नीति बड़ी निष्ठा से निभाई जा रही है। इसके अलावा मासिक सेवा शुल्क अलग से..! नगर के जवानों की पहली पसंदीदा जगह माइनिंग है क्योंकि खनिज विभाग में तैनाती यानी कैश फ्लो का बड़ा स्रोत माना जाता है। सो मंझे हुए सिपाही खनिज में पोस्टिंग कराकर अपना और अपने अधिकारियों के हाथ गीले करने में लगे हैं।
डिपार्टमेंट के सिपाहियों का दूसरा पसन्दीदा स्थान है यातायात। यातायात में भी बहुतायत चाय-पानी संग पेट्रोल-पानी चलते रहता है, सो स्वाभाविक रूप से सैनिक यातायात में हाथ हिलाते और ट्रैक्टर मालिकों के साथ बैठकर मुस्कुराते नजर आ ही जाते हैं। वैसे तो शोर तो इस बात का भी है कि 5 महीने के लिए होने वाले पोस्टिंग में विभाग के बड़े साहब एक महीना बोनस के रूप में देते हैं। जिससे सैनिक इस रहस्य को बिना लीक किए अपना काम करते रहें और अफसर को नजराना देते रहे।
आईपीएल की तर्ज पर होने वाली ऑक्शन में शामिल होने के लिये सैनिक पहले अफसर के रूल फॉलो करने लगते हैं। सूत्रधार की माने तो वर्तमान में 10 सैनिक माइनिंग की सेवा में नए पोस्टिंग करा कर मेवा खा रहे है। अगर बात ट्रैफिक की जाए तो यहां भी 6 वीर सिपाही सड़क पर सीटी बजा रहे हैं और थाने में लगभग 20 सैनिक “आएगा-आएगा..आएगा आने वाला ” गुनगुनाते हुए गेट की ओर टकटकी लगाए ताकते हैं। मतलब यह कि खेला करने वाले सूने में भी मेला लगा जाते हैं।
कौन बनेगा ” सभा”पति, करोड़पति…
सदी के महानायक अमिताभ बच्चन के प्रसिद्ध शो “कौन बनेगा करोड़पति” की प्रतिछाया में शहर का धनपति कौन बनेगा सभापति की चर्चा छेड़ दिए है।
दरअसल नगर निगम में हुए प्रचण्ड बहुमत के बाद सभापति के लिए चाणक्यों ने जोड़ तोड़ शुरू कर दी है। वैसे तो पार्टी को मिले बंपर जनादेश से चाण्डाल चौकड़ी का गणित बिगड़ गया है। बाउजूद इसके किंग मेकर की रोल अदा करने शहर के धनपति सभापति के लिए दांव लगाने को तैयार है।भाजपा के मेयर के बाद सभापति पर सत्ता के साथ विपक्षी खेमे की नजरे टिकी है क्योंकि अब तक जब भी निगम में महिला महापौर बैठी है तब- तब सभापति का कद बड़ा रहा है। सो इस कार्यकाल में भी सभापति पॉवर हाउस की भूमिका में रहेंगे। कहने का आशय यह है कि सभापति ही निगम की सत्ता का पॉवर सेंटर रहेगा। जहां से अफसरों और ठेकेदारों को करंट सप्लाई होगा। इस लिहाज से सभापति कौन होगा ये कौन बनेगा करोड़पति के शो कम रोचक नही है। कहा तो यह भी जा रहा है कि सभापति की कुर्सी के लिए दिग्गज नेता पार्षद चुनाव लड़े है। हालांकि सभी सभापति के दावेदार चुनाव जीत चुके तो ऐसे में कुर्सी के लिए अपनो से चालबाजी और दगाबाजी करना होगा तभी तो सभा के पति बन पाएंगे। ऐसे में चुनावी उत्सव की सप्लीमेंट्री पर सभापति के होने वाले शो के लिए शहर सजधज के साथ तैयार है।
दिल्ली से आया तार..लालबत्ती भी तैयार!
प्रदेश के 10 नगर निगम, नगरपालिका और नगर पंचायतों में बीजेपी की एक तरफा जीत के बाद दिल्ल्ली से बधाई वाले तार आने लगे हैं। निकाय चुनाव में शानदार प्रदर्शन पर पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा का बधाई संदेश रायपुर पहुंचा है। जिसमें मोदी गांरटी और प्रदेश के सुशासन को जीत का श्रैय दिया गया है।
इसके बाद से ही विष्णुदेव कैबिनेट विस्तार की अटकलें फिर तेज हो गई हैं। खबरीलाल की माने तो विधानसभा के बजट सत्र से पहले या उस दौरान भी कैबिनेट में खाली पड़े दो पदों पर नए मंत्रियों को शपथ दिलाई जा सकती है। दिल्ली से जिस तरह से सीधे सीएम हाउस बधाई पहुंच रही हैं उससे साफ है कि पार्टी का शीर्ष नेतृत्व प्रदेश सरकार के कामकाज से संतुष्ट है।
यानि कैबिनेट विस्तार और निगम मंडलों में नियुक्ति के लिए स्थानीय स्तर पर जो नाम तय होंगे उसी पर हाईकमान की मुहर लगेगी। वैसे भी नगरीय निकाय चुनाव की बंपर सफलता से मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय राजनीतिक कद दिल्ली में बढ़ गया है। अब उन्हें अपने पंसदीदा मंत्रियों की टीम चुनने की पूरी आजादी होगी।
रेवड़ी, चेपटी और दूध मलाई
बाबूभाई की दुकान पर सुबह से ही भीड़ लगी थी..देहाड़ी कमाने वाले बस्ती के लोग रोजमर्रा की खरीदारी करने दुकान पहुंचे थे.. तभी किसी ने रेवड़ी के दाम पूछ लिया..बाबूभाई भी चौंके मगर ग्राहक को भगवान मानकर वो रेवड़ी वाली आलमीरा ढूढ़ने लगे..असल में मकर संक्रांति के बाद रेवड़ी की डिमांड कम हो गई थी फिर उससे डिब्बे को समाने सजा रखने की जरूरत नहीं रह गई थी।
रेवड़ी खोजने में परेशानी हो रही थी और दुकान में भीड़ बढ़ती जा रही थी..रेवड़ी खरीदने वाले के चेहरे में खिसयाने के भाव आते इससे पहले भीड़ में से किसी ने पूछ लिया भइया रेवड़ी तो मकर संक्रांति में खाई जाती है अब तो फाल्गुन लग चुका है। अभी तो चुनाव निपटे हैं और फाल्गुन का मौसम भी है ऐसे मौसम में भला रेवड़ी भी कोई खाने की चीज है।
लाइन में खबरीलाल भी खड़े थे…वो रेवड़ी लाल की बात को आगे बढ़ाते हुए हुए कहा.. अरे भाई चुनाव और रेवड़ी का कोई फिक्स टाइम होता है क्या..? चुनाव और रेवड़ी तो साथ साथ चलती है। तभी किसी ने कहा..रेवड़ी वाला चुनाव तो निपट गया अभी तो चेपटी और सेफ्टी वाला चुनाव है.. अब तो बाबूभाई से नहीं रहा गया उसने भीड़ को टरकाने वाले अंदाज कहा, इसका क्या मतलब..गोल गोल मत घुमाओ सीधे सीधे पाइंट पर आओ…दुकानदारी का टाइम है।
अब तो सीधे पाइंट पर बात होने लगी। भीड़ में से किसी ने बताया अपने शहर निगम चुनाव में एक वार्ड इतनी चेपटी बंटी की वार्ड के नुक्कड़ पर खाली बोतल खरीदने वाले दो दो कबाड़ी दुकान खोल बैठे हैं। लेकिन, वहां पर दो मिल्क पार्लर भी खुली हैं उनका क्या..रंग में भंग डालते हुए एक चेपटी प्रेमी उलट सवाल दाग दिया। रेवड़ी से शुरु हुई बात अब मिल्क पार्लर पर जाकर रुकी।
अब तो हर कोई जानना चाहता था…माजरा क्या है..तो किसी ने बताया एक दुकान चेपटी वाली पार्टी की थी तो दूधवाली दुकान दूसरे पार्टी की ओर से खोली गई। वोटिंग तक दोनों दुकानों में जमकर भीड़ रही। चेपटी के बाद दूध और उसके साथ रेवड़ी.. मजा करा दिया..बड़े से लेकर बच्चों तक का पूरा इंतजाम पार्टी वालों ने करा दिया।
मगर जीता कौन..सवाल जब यहां पहुंचा तो चेपटी वाले एक एक कर वहां से खिसकने लगे..मतलब साफ था..दूध वाली पार्टी यहां से जीत गई। धीरे.धीरे ये बात पूरे शहर में फैल गई,और लोग फाल्गुन उत्सव वाले मूड में इसका जमकर मजा ले रहे हैं।