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हेमंत सोरेन पर मंडराया था ‘सूरत जैसा’ खतरा, पुलिस-प्रशासन, ECI और सियासत के लिए सनसनी बना मुर्मू कौन है?

Jharkhand Elections: लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान गुजरात की सूरत लोकसभा सीट पर हुया सियासी वाकया झारखंड में दोहराया जा सकता था? पिछले हफ्ते एक अजीबोगरीब स्थिति के चक्कर में झारखंड में सत्तारुढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के नेता, मुख्यमंत्री और बरहेट विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हेमंत सोरेन की उम्मीदवारी को खतरे का सामना करना पड़ा.

हेमंत सोरेन को बरहेट में ‘सूरत जैसा मामला’ दोहराने का डर

सूरत में कांग्रेस उम्मीदवार के प्रस्तावक ने अपना नाम वापस ले लिया था. इसके चलते कांग्रेस उम्मीदवार की उम्मीदवारी रद्द कर दी गई थी. बाद में चुनावी मैदान में मौजूद दूसरे उम्मीदवारों ने भी अपना नामांकन वापस ले लिया और सूरत में भाजपा उम्मीदवार निर्विरोध निर्वाचित हो गए थे. कुछ देर के लिए झारखंड में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के लिए भी ऐसा ही डर देखने को मिला था. इससे पूरे झारखंड में सनसनी फैल गई थी.

भाजपा के संपर्क में थे हेमंत सोरेन के प्रस्तावक मंडल मुर्मू

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, अटकलें लगाई गईं कि हेमंत सोरेन के प्रस्तावक मंडल मुर्मू भाजपा के संपर्क में हैं और वह जेएमएम छोड़ सकते हैं. इससे जेएमएम समेत पूरे इंडिया गठबंधन के बीच हड़कंप मच गया क्योंकि इसका साफ मतलब था कि हेमंत सोरेन की उम्मीदवारी को खतरा हो सकता था. इस घटना के बार प्रतिक्रियाओं की एक सीरीज शुरू हो गई. रविवार यानी 27 अक्टूबर को न केवल मंडल मुर्मू के वाहन का पीछा किया गया, बल्कि उन्हें कुछ समय के लिए ‘हिरासत’ में भी लिया गया.

चुनाव आयोग तक पहुंचा मुर्मू को हिरासत में लेने का मामला

रिपोर्ट के अनुसार, मंडल मुर्मू को भारतीय जनता युवा मोर्चा के दो अन्य नेताओं के साथ कुछ समय के लिए हिरासत में लिया गया और उन्हें डुमरी पुलिस स्टेशन ले जाया गया. हालांकि, यह मामला मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार तक भी पहुंचा, जिन्होंने बाद में इस घटना को लेकर झारखंड के मुख्य सचिव और डीजीपी को फटकार लगाई. सीईसी कुमार ने इस बात पर प्रकाश डाला कि इस घटना में आचार संहिता का पालन नहीं किया गया. लेकिन मुर्मू अचानक भाजपा और झामुमो के लिए इतने महत्वपूर्ण क्यों हो गए?

मंडल मुर्मू कौन हैं? भाजपा और झामुमो के लिए क्यों खास?

हेमंत सोरेन के नामांकन के प्रस्तावक मंडल मुर्मू एक जनजातीय समाज से संबंध रखते हैं. इस समुदाय को अंग्रेजों के खिलाफ 1855 के संथाल विद्रोह यानी हुल क्रांति के नायक सिद्धो-कान्हू का वंशज माना जाता है. झामुमो प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने दावा किया कि मंडल मुर्मू को कुछ अज्ञात लोग ले जा रहे हैं. हालांकि, मुर्मू ने इस दावे से इनकार करते हुए कहा कि सिर्फ इसलिए कि वह प्रस्तावक हैं, इसका मतलब यह नहीं है कि वह अन्य लोगों से नहीं मिल सकते.

निशिकांत दुबे ने सोशल मीडिया पर खींचा ECI का ध्यान

गोड्डा से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के सोशल मीडिया पोस्ट ने इस सियासी रहस्य को और गहरा कर दिया. निशिकांत दुबे ने लिखा, “हेमंत सोरेन जी ने सिद्धू कानो के वंशज मंडल मुर्मू जी को डुमरी थाने में गिरफ्तार किया. चुनाव आयोग को इस पर संज्ञान लेना चाहिए. 1855 में ब्रिटिश शासन को उखाड़ फेंकने वाले हुल क्रांति के नायक का परिवार बांग्लादेशी घुसपैठियों से लड़ने के लिए भाजपा नेताओं से बात करने रांची आ रहा था.”

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