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IAS, IPS and now IFS: पुलिस की कार्रवाई, साँप भी मर जाए और,दवा खरीदी, निधि के लिए बदले..श्रीमान जी का बदला मन, बुआ को देने पहुंचे वचन…भई वाह…मान गए महंत जी…।

🔶 पुलिस की कार्रवाई, साँप भी मर जाए और लाठी भी ना टूटे

जिले में कबाड़ियों पर हो रही पुलिस की कार्रवाई को जनमानस “साँप भी मर जाए और लाठी भी ना टूटे”के मुहावरे से जोड़ रहे हैं। दरअसल कड़क कप्तान के राज में खुलेआम कबाड़ का धंधा कर पाना मुमकिन ही नहीं नामुमकिन है। सो धंधा तो गंदा है पर क्या करें धंधा हैं कहते हुए स्क्रेब कारोबारी बीच का रास्ता निकालकर काम कर रहे हैं।

ताजा मामले में वनाच्छादित क्षेत्र का है जहाँ कबाड़ दुकान को सील कर कबाड़ कारोबार पर लगाम लगाया गया लेकिन, अगले ही दिन वही कबाड़ कारोबारी बगल के दुकान में धंधा सजा लिया। बात साफ है कि शिकायत मिलने पर कार्रवाई भी की गयी और दुकान फिर से सजाने की ढील भी। यही हाल दर्री क्षेत्र का है जहाँ प्लांट को काटकर स्क्रेब निकाला जा रहा। जिसमें बिल कम मॉल ज्यादा भेजा रहा है।

जाहिर है खाकी का साथ और बिल की बात पर आपसी सेटलमेंट के तहत काम हो रहा है। जिले के आउटर में जिस ढंग से कंस्ट्रकशन साइड से सामान चोरी हो रही है उससे स्पष्ट है कि कबाड़ का धंधा मंदा है लेकिन चल जरूर रहा है। अगर बार शहरी क्षेत्र की जाए तो राताखार में सिया संग जय राम की अलख जोरों पर है। इन स्क्रेब कारोबारियों को पुलिस का साथ भी है औऱ नहीं भी। पुलिस की कार्रवाई शिकायत पर होगी लेकिन कबाड़ कारोबारियों को बताकर। तो चर्चा तो बनती है तभी तो शहर में जनचर्चा चल पड़ी है। वीर सिपाहियों की कार्रवाई कि  साँप भी मर जाए और लाठी भी ना टूटे।

🔶 सवा करोड़ की दवा खरीदी, निधि के लिए बदले थे विधि

पहले कहा जाता था ईमानदार वो है जिसे बेईमानी करने का मौका न मिला हो, और बेगुनाह वो है जिसे जुर्म करने का मौका न मिला हो। आजकल ये बात बदल चुकी है.. आज ईमानदार वो है जिसकी बेईमानी पकड़ी नहीं गई और बेगुनाह वो है जिसका जुर्म पकड़ा न गया हो। ठीक यही दशा पॉवर सिटी में हुए डीएमएफ घोटाले की है जो अफसर पकड़े नहीं गए वो बेगुनाह हो गए और जिनका जुर्म अभी पकड़ा नहीं गया वे अभी भी ईमानदार बनकर सरकार के चाकर बने ठाठ से हैं।

बात आपदा को अवसर में बदलने वाले पूर्व आईएएस अफसरों की है। जो डीएमएफ से डेढ़ करोड़ की दवा खरीदी कर विधि के लिए निधि को ही बदल डाला। खरीदी में पारदर्शिता रखने का बकायदा एक आईएएस अफसर को जिम्मा सौंपा गया। हालांकि वे भी अफसर आपदा को अवसर में बदलने निधि एकत्र करने के लिए विधि को बदलकर कागजों में जमकर खरीदी की।

सूत्रधारों की माने तो दवा की खरीदी हुई तो थी बांटने के लिए लेकिन, बाद में उसे फेंकना पड़ा था। स्पष्ट है कि मात्र अवसर को रकम में बदलने खरीदी की गई। कहा तो यह भी जा रहा कि अब जब कोरबा में पदस्थ रहे अफसर ईडी की राडॉर में हैं तो दवा खरीदी करने अफसरों और कंचन के सहयोगी महाराज अब ईडी से बचने के लिए दवा और जुगाड़ की तलाश है। ईडी के हौले – हौले कार्रवाई को लेकर जनमानस  जुबिन नौटियाल का गीत “नियति भेद नहीं करती,जो लेती है वो देती है, जो बोयेगा वो काटेगा ।ये जग कर्मों की खेती है” को गुनगुना रहे हैं।

🔶 श्रीमान जी का बदला मन, बुआ को देने पहुंचे वचन

 

श्रीमान जी का बदला मन तो बुआ को एमपी उनके गांव जाकर वचन देने पहुंचे। जिसकी चर्चा करते हुए वन विभाग के कर्मचारी कहने लगे हैं कि ठीक से जांच होगी तो नौकरी तो जाएगी ही महाराज को बड़े घर में भी जाना पड़ सकता है।

हम सद्विचारों वाले श्रीमान की बात नहीं कर रहे। श्रीमान जी संज्ञा रूप में भी कहा जाता है। हम जिस श्रीमान जी की बात कर रहे है वे नौकरी पाने के लिए बुआ से दस्तखत करा कर फर्जी दत्तक पुत्र बन गए औऱ फूफा के स्वर्ग सिधारते ही वारिस बनकर वन विभाग में नौकरी हथिया ली।

जब बात बुआ को पता चली उन्होंने मुँह बोले पुत्र यानी महाराज की शिकायत विभाग को भी की, लेकिन वन विभाग में तो जंगल और बाबू दोनों का राज है। सो शिकायत फाइलों में दफन होकर रह गई। अब जब मुख्यालय में फिर शिकायत हुई तो नियुक्ति सम्बंधित दस्तावेज प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया। जांच में कही फर्जी दत्तक पुत्र और नियुक्ति की फाइल न खुल जाए कहते हुए महाराज पहुंच गये बुआ को मनाने और असली बेटे का हक जताने।

हालांकि उनके फर्जी दत्तक पुत्र और नियुक्ति का दस्तावेज़ तो बोतल के जिन्न की तरह बाहर आने ही वाला है और श्रीमानजी के मासूम सूरत से नाकाम हटाकर असली चेहरा उजागर होने ही वाला है। तभी तो विभाग के कर्मचारी आपसी खुसुर-फुसुर करते कह रहे हैं कि महाराज की चतुराई और दत्तक पुत्र से नौकरी का पर्दा जल्द ही उठने वाला है। श्रीमानजी को रामराम करने वाले उनके करीबी साथी  रेंजर और डिप्टी रेंजर तो भोली सूरत और दिल खोटे की गीत गुनगुना रहे हैं।

🔶 भई वाह…मान गए महंत जी…।

 

 

रायपुर दक्षिण विधानसभा उप चुनाव के लिए कांग्रेस उम्मीदवार तय करने के लिए कल आशीर्वाद भवन में पूरे दिन कार्यकर्ताओं का हाईवोल्टेज सम्मेलन चला। सम्मेलन में विधायक की टिकट पाने की दौड़ में शामिल सभी नेता अपने समर्थकों के साथ पहुंचे थे। दावेदारी के लिए शक्ति परीक्षण की पूरी तैयारी थी।

मगर सम्मेलन की शुरुआत में ही नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने इसे भांपते गए और ऐसा प्रस्ताव दे दिया ​कि सभी दावेदार चारो खाने चित हो गए। महंत ने कहा कि चुनाव जितने के लिए कार्यकर्ताओं का विश्वास बहुत जरूरी है। यदि कार्यकर्ता को अपने नेताओं, और साथियों पर विश्वास नहीं है, तो वह चुनाव नहीं जीत सकता। इसके लिए जरूरी है कि पहले उनकी बातें सुनी जाए जो चुनाव लड़ना चाहते हैं।

इसके बाद वहीं हुआ जिसकी स्क्रिप्ट पहले ही लिखी जा चुकी थी…मंच बारी बारी से प्रमोद दुबे, एजाज ढेबर, कन्हैया अग्रवाल और आकाश शर्मा हम एक हैं का नारा लगाने लगे। इस दौरान मंच पर बैठे पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज, पूर्व सीएम भूपेश बघेल, ताम्रध्वज साहू, रविन्द्र चौबे के चेहरों के भाव हर पल बदलते रहे।

बैठक के आखिर में पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने एक्स पर पोस्ट करते हुए साफ किया कि रायपुर दक्षिण विधानसभा से टिकट के लिए नाम फाइनल कर केंद्रीय नेतृत्व को भेजने के लिए प्रदेश अध्यक्ष बैज और नेता प्रतिपक्ष डा. महंत को अधिकृत किया गया है। जिसके बाद राजीव भवन में कांग्रेसी चटखारे ले रहे हैं कि भई वाह…मान गए महंत जी…इस कहते है 6 बॉल वाले ओवर में अठ्ठा मारना…।

 

🔶 आईएएस ,आईपीएस और अब आईएएस…

 

रविवार को अखिल भारतीय वन खेलकूद प्रतियोगिता का समापन हुआ और इस प्रतियोगिता में छत्तीसगढ़ के खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 97 गोल्ड, 44 सिल्वर, 33 कांस्य पदक के साथ कुल 731 प्वाइंट्स लेकर रिकॉर्ड जीत हासिल की और छत्तीसगढ़ को ओवरऑल चैंम्पियन साबित कर दिखाया। ये खबर राज्य ब्यूरोक्रेसी में खासा चर्चा में रही क्योंकि इससे पहले बड़े खेल के लिए केवल आईएएस और आईपीएस अफसरों को ही एक्सपर्ट माना जाता था अब आईएफएस अफसरों ने भी ये साबित कर दिया कि बड़े खेल के लिए वो आईएएस और आईपीएस से पीछे नहीं हैं मौका मिला तो वो भी ओवरऑल चैंम्पियन बनकर दिखा सकते हैं।

वैसे भी राज्य के ब्यूरोक्रेसी में कई ऐसे अफसर हैं जो अपने आप में सभी खेलों में ओवरऑल चैंम्पियन साबित हैं। हालां​कि कई मर्तबा ये अपनी खेल भावना से सरकार की किरकिरी करा बैठे हैं। ब्यूरोक्रेसी के कुछ बड़े खिलाड़ी इस वक्त ईडी की मेहबानी से जेल में बंद हैं। मगर फिर भी इस खेल में कोई हारना नहीं चाहता..हर कोई अपने आप को ओवरऑल चैंम्पियन साबित करना चाहता है।

असल में वन खेलकूद प्रतियोगिता में भी पर्दे के पीछे कई बड़े खिलाड़ी बिना मैदान में आए मैदान मार गए, जिसकी जोरदार चर्चा है। खबर है कि कुछ घाघ किस्म के नेता इनका बहीखाता जुगाड़ कर सूचना का अधिकार का पुलिंदा तैयार कर चुके हैं। करें भी क्यों ना इस खेल में वो भी तो खिलाड़ी हैं…उन्हें भी मौका मिलना चाहिए।

   

      🖋️अनिल द्विवेदी, ईश्वर चन्द्रा

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