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Adulteration in faith! सुपरकॉप का जुगाड़ भारी या अफसर से यारी,निगम अफसर शहर को बना रहे कबाड़..2010 के आईपीएस अफसरों के गर्दिश में सितारे, इनके हिस्से का दाना अफसरों को खाना है…

🔶सुपरकॉप का जुगाड़ भारी या अफसर से यारी…

कोयलांचल के एसएसआई का जुगाड़ कप्तान के आदेश पर भारी पड़ रहा है। सस्पेंशन के आदेश के 12 दिन बाद भी रक्षित केंद्र में दर्शन दुर्लभ होने से विभाग में ही सुगबुगाहट है.. “सुपरकॉप का जुगाड़ भारी है या अफसर है यारी..!”

बात कोयलांचल के सस्पेंड होने वाले एएसआई और आरक्षक की है जो सस्पेंसन के 12 दिन बाद भी आमद देने रक्षित केंद्र नहीं पहुंचे हैं।

हां ये बात अलग है कि साहब सस्पेंड होने के कुछ दिन बाद मंत्री के दरबार में माथा टेकने जरूर गए थे। जिसका फ़ोटो सोशल मीडिया में वायरल हुआ है। स्वाभाविक है जुगाड़ से सरकार और व्यापार चल सकता है तो पुलिस विभाग की क्या बिसात..?

ठीक भी है जिस तरह से कप्तान का आदेश हवा में उड़ रहा है उससे शमी कपूर अभिनीत फिल्म  “राजकुमार” का एक गाना याद आता है ” आगे पीछे हमारी सरकार यहाँ के हम है राजकुमार ” क्योंकि गॉडफादर हो तो हर कोई उड़ान भर लेता है जैसे तेज हवा के झोंकों से हल्की पॉलीथिन…!

तो पुलिस महकमके के चाणक्यो का कहना है भाई जी।आदेश निकाले ही इसलिए जाते है कि सामने वाला ज्यादा ताकतवर हुआ तो यू टर्न मार लो या आदेश को शिथिल कर दो। यह सस्पेंशन आदेश भी या तो शिथिल है या फिर..!

🔶अवैध निर्माण की बाढ़, निगम अफसर शहर को बना रहे कबाड़…

शहर में अवैध निर्माण कार्यों की बाढ़ आ गई है और निगम अफसर बिना नियम के बन रहे निर्माण कार्य से वसूली कर शहर को कबाड़ बनाने मे लगे हैं।

शहर का मुख्य मार्ग हो या निगम की दुकानें सभी जगहों पर अवैध निर्माण बढ़ गया है। सड़क किनारे के दुकानदार गैलेरी में कब्जा कर शटर आगे बढ़ाकर दुकान की साइज बड़ा कर रहे हैं इससे दुकानदार को फायदा तो रहा लेकिन सड़क दिनोंदिन संकरी होती जा रही है।

अब बात बुधवारी बाईपास की की जाए तो सड़क पर बड़ी गाड़ियों की पार्किंग और ऑक्सीजोन में गुमटी और ठेले वालों का कब्जा है। सड़क पर बढ़ते दबाव और जगह- जगह हो रहे अवैध निर्माण कार्यों से शहर की सुंदरता कबाड़ का स्वरूप ले रही है।

हम जिन सड़क और दुकानों की जिक्र कर रहे हैं उसी सड़क पर निगम के आयुक्त से लेकर तमाम बड़े अफसर भी चलते हैं। हिम्मतवाले अवैध कब्जेदारों के सामने निगम अधिकारियों की हिम्मत नहीं होती है कि कोई कार्रवाई की जाये। हां निगम के तोड़ू दस्ता टीम और निर्माण शाखा के अफसर अवैध निर्माण करने वाले दुकानदार/ मकान मालिक को रास्ता जरूर बता देते हैं किस मंत्री के पास नारियल चढ़ाने से उसका काम होगा।

निगम अफसरों के इस सेफ गेम से दो के लाभ होते हैं,  रास्ता बताने का दक्षिणा और उच्च अधिकारियों के दबाव से मुक्ति भी। शहर के समझदारों की माने तो निगम अफसरों की नीति अपना काम बनता तो … जनता की है। जिसके कारण शहर के मुख्य मार्ग में अवैध कब्जों की बाढ़ से शहर कबाड़ में बदल रहा है।

🔶2010 के आईपीएस अफसरों के गर्दिश में सितारे

 

छत्तीसगढ़ में आईपीएस के होम कैडर वाले अफसरों के सितारें इस वक्त गर्दिश में चल रहे हैं। पिछला साल तो ठीक ठाक गुजरा। भारतीय पुलिस सेवा के 2010 बैच के 7 अधिकारियों को सिलेक्शन ग्रेड प्रदान किया है। इनमें अभिषेक मीणा, सदानंद कुमार, गिरजा शंकर जायसवाल, सुजीत कुमार, अरविंद कुजुर और शंकर लाल बघेल के पूर्णकालिक आईजी बनने का रास्ता साफ हो गया।

इसके बाद अगला साल यानि 2024 होम कैडर वाले 2010 के आईपीएस अफसरों के लिए अनलक्की साबित हुआ। वैसे आईपीएस में बड़े जिलों में कप्तानी करने को लक्की माना जाता है, एसपी पोस्टिंग होने से कुछ कर दिखाने का मौका भी होता है। लेकिन इस मामले में 2010 के आईपीएस सदानंद कुमार और गिरजा शंकर जायसवाल को उनके सितारे धोखा दे गए।

बलौदाबाजार में एसपी पदस्थ रहे सदानंद कुमार पिच में उतरते ही बोल्ड हो गए। वहीं मुंगेली में कप्तानी पारी खेल रहे गिरजाशंकर जायसवाल को बिन रन बनाए मैदान से बाहर होना पड़ा। इसी बैच के अन्य अफसर अभिषेक मीणा, सुजीत कुमार, एमएल कोटवानी, एमआर आहिरे, अरविंद कुजूर, शंकर लाल बघेल, दुखूराम आंचला और बीपी राजभानू पीएचक्यू में अच्छी पोस्टिंग का इंतजार कर रहे हैं।

कुल मिलाकर 2024 का साल होम कैडर वाले 2010 के आईपीएस अफसरों के लिए अभी तक अनलक्की ही रहा। आने वाले समय में नगरीय निकाय चुनाव के बाद आने वाली एसपी पोस्टिंग में सरकार की नजरे इनायत हुई तो बाकी का समय ठीकठाक गुजर जाएगा।

🔶पक्षी तो बहाना है असल  हिस्से का दाना अफसरों को खाना है..

एशियन बिल स्टार्क पक्षियों की सुरक्षा के नाम पर वन विभाग अफसर बेजुबान पक्षियों के हिस्से का दाना खुद चुग रहे हैं। जंगल विभाग की इस महती योजना को लेकर जनचर्चा है ‘मर रहे पक्षी और पल रहे अधिकारी..!

बात प्राचीन मंदिर कनकेश्वर धाम की है जहां हर वर्ष हजारों की संख्या में लाखों मील की दूरी तय कर एशियन बिल स्टार्क कनकी में आते हैं।

गांव के किसान इन्हें देवदूत मानते हैं, क्योंकि ये पक्षी मानसून का सन्देश लेकर आते हैं और किसानों में खुशहाली आ जाती है। पिछले कुछ वर्षों से पक्षियों की संख्या में कमी होने लगी है। असुरक्षा और शिकार के कारण पक्षी काल के गाल में समा रहे हैं। वन विभाग सुरक्षा के नाम पर अपने स्वार्थ सिद्धि के निहितार्थ योजनाएं बना रहा है। पहले बरसाती बिजली से बचाने तड़ित चालक लगवाया गया, फिर भी मौत का क्रम नहीं रुका तब जाली लगाकर सुरक्षित रखने की बात कही।

इसके बाद भी जब एशियन बिल स्टार्क की मौत का क्रम घटने के स्थान पर बढ़ता ही रहा तो अब हैलोजन लगाकर पक्षी के हिस्से का दाना को अफसर चुगने का प्लान बना रहे हैं। जंगल विभाग के प्लान की गहराई समझने वाले जानकर ग्रामीण मानते हैं  “पक्षी तो मर ही रहें हैं ! हां अधिकारी पक्षियों के नाम पर अवश्य पल रहे हैं।”

🔶 आस्था में मिलावट!

आंध्र प्रदेश के विश्व प्रसिद्ध तिरुपति मंदिर में दिए जाने वाले लड्डू प्रसादम में जानवरों की चर्बी मिलाने से भक्तों की आस्था डगमगा गई है। देश के प्रसिद्व मंदिरों में भक्तों को दिए जाने वाले प्रसाद की पवित्रता को लेकर सवाल उठ रहे हैं। हिन्दू संगठन सनातन बोर्ड गठन की बात कर रहे हैं।

प्रसाद में मिलावट को लेकर देश में बहस हो रही है। इसका असर तीन अक्टूबर से शुरू हो रहे नवरात्रि पर्व पर दिखने लगा है। अब भक्त मंदिरों में प्रज्जवलित होने वाले ज्योति कलश में घी और तेल की शुद्वता के बारे में पूछताछ कर पूरी तसल्ली कर लेना चाहते हैं कि ज्योति कलश में प्रयुक्त होने वाला घी और तेल किस कंपनी के हैं।

हालांकि छत्तीसगढ़ में सरकार ने घी आपूर्ति करने वाली कंपनियों की जगह इस बार देवभोग घी का इस्तेमाल करने का सुझाव दिया है। बाकी रही तेल की बात तो इस बार ब्रांडेड कंपनियों की पूछपरख बढ़ी है। जरूरत इस बात की है कि सरकार को केवल घी और तेल की शुद्वता ​के लिए फिक्रमंद नहीं होना चाहिए बल्कि खाने पीने की जिन ​चीजों में मिलावट हो रही हैं उसे रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जानें चाहिए।

✍️ अनिल द्विवेदी, ईश्वर चन्द्रा

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