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Sawan, bookie and “Mahadev” कड़क थानेदार पर कबाड़ की मार,सिंडिकेड गैंग के अधिकारी की जमीन खरीदारी..लोक पर तंत्र भारी, नेता मायावी…
⏺️ कड़क थानेदार पर कबाड़ की मार , दया कुछ…
सीआईडी का फेमस संवाद “दया कुछ तो गड़बड़ है..” कि शहर के चौक चौराहों में अचानक चर्चा होने लगी तो विभागीय अफसर भी चौंक गए कि कड़क थानेदार के रहते कैसे हो रहा कबाड़ पार ! दया कुछ तो गड़बड़ है…।
सूत्रधार की माने तो एल्युमिनियम नगरी से कबाड़ का काम शुरू हो गया है। सूत्र और धार देते हुए बताते हैं कि हाई “जैक” के बाद चल रहे कबाड़ से जुगाड़ के काम मे नेता अफसर और कारोबारी हम साथ साथ है कि शैली में काम कर रहे हैं। वैसे तो कबाड़ कारोबारी पुट्ठा खरीदने की बात कहते हुए एल्युमिनियम से लेकर तांबा का भी ” जय सिया राम, जय – जय … कहते गुनगुनाते हुए बड़े प्यार से सौदा कर बंद पड़े काम का बादशाह बन बैठे हैं।
कहा तो यह भी जा रहा कि जिले में सरकार बदलने के बाद से अवैध कबाड़ बंद हो गया था लेकिन, स्क्रेब कारोबारियों में जिस अंदाज से आपसी ख़ुसूर-फुसुर चल रही है उससे बालको से कबाड़ खरीदी पर मुहर लग रही है। सूत्र की माने तो कबाड़ के काम को शुरू कराने बालको से शुरुआत हो चुकी है..इससे अवैध कारोबारियों को जिले का काम शुरू होने की उम्मीद जग गई है। कबाड़ के काम की सुगबुगाहट ने महकमे में सनसनी मचा दी है और स्क्रेब कारोबारी के सुर में सुर मिलाते हुए जांबाज थानेदार कहने लगे है कड़क थानेदार औऱ कबाड़ का “कारोबार”..दया कुछ तो गड़बड़ है…!
⏺️सिंडिकेड गैंग के अधिकारी की जमीन खरीदारी…
कहते हैं जब चौकीदार ही चोर हो जाए तो लैला लूटने से कोई रोक नहीं सकता। इस युक्ति को जिले के एक राजस्व अधिकारी ने चरितार्थ करते हुए एक सिंडिकेट बनाकर जंगल की जमीनों की जमकर खरीदी की है।
मामला पर्यटन स्थल के आसपास के जमीनों का है, ग्राम प्रमुखों के जुबां पर राजस्व अधिकारी का नाम रटा रटाया है। कहा तो यह भी जा रहा है कि राजस्व अधिकारी सिंडिकेड गैंग के सक्रिय सदस्य रहे और इशारों पर गुमनाम जमीन खरीदी के दस्तावेजों को ठिकाने लगाने की पटकथा लिख चुके हैं। साहेब पर गिद्धदृष्टि नजर रखने वालों की माने तो सरकार की जांच एजेंसी कभी भी राजस्व अधिकारी पर नजर टेढ़ी कर सकती है। हालांकि अब तक बड़े भोलेपन के साथ अपने हाथ बढ़ाकर पुराने कारमानों को समेटने के प्रयास कर रहे हैं।