बंदूक वाले थानेदार की कोरबा में सरकार…
वैसे तो प्रदेश में भाजपा की सरकार है, पर कोरबा पुलिस में गैर जिला के बंदूक वाले थानेदार की चल रही है।
बात सन्नाटा के साथ बात कर रहे आरक्षक से उपजे विवाद का है। गैर जिला के एक बंदूक धारी थानेदार ने उर्जाधानी में सिंघम स्टाइल में इंट्री की और सन्नाटा को लेकर शहर में बवाल काट दिया। सीएसईबी में पदस्थ आरक्षक की कनपटी में बंदूक तानते हुए सन्नाटा से संबंध औऱ घूमने पर प्रतिबंध की बात कहते हुए एक के बाद एक थप्पड़ जड़ दिया।
वीर सिपाही ने अपने ऊपर हुए अन्याय की आवाज को बुलंद करते हुए विभाग के मुखिया यानी कप्तान को अपनी व्यथा बताने चिट्ठी लिखकर दुखड़े का इजहार किया। चिट्ठी की सूचना वायरल होते ही साहब भड़के और उल्टा अपने मातहत कर्मचारी को अनुशासनहीनता का आरोप जड़ते हुए सस्पेंड कर बंदूकधारी थानेदार को बचा लिया।
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दूसरा मामला एक महिला आरक्षक का है , मैडम ने भी कप्तान को चिट्ठी लिखकर सीएसईबी में एक आशियाना दिलाने गुहार लगाई थी। उनके चिट्ठी पर उन्हें मकान दिलाने सीएसईबी को पत्र भी भेजा गया लेकिन अचानक क्या हुआ कि उन्हें भी सस्पेंड कर दिया गया जबकि एसईसीएल-सीएसईबी में कई पुलिसकर्मी आज भी कब्जा जमाए बैठे है जो गैर जिला में ड्यूटी कर रहे है। जिस अंदाज में आरक्षक और महिला आरक्षक पर त्वरित कार्रवाई हुई उसे लेकर महकमे के वीर सिपाही कहने लगे है क्या करें भाई.. “बंदूक वाले थानेदार की कोरबा में सरकार चल पड़ी है।
संजय की दूरदर्शिता, धृतराष्ट्र के नहीं आई काम
महाभारत का एक पात्र संजय जिन्हें दिव्य दृष्टि मिली थी। वे नेत्रहीन धृतराष्ट्र को कुरुक्षेत्र में होने वाली युद्ध को जीवंत दृष्यमान देख ताजा घटनाक्रम से अवगत कराते थे। शिक्षा विभाग में भी एक संजय हैं जो दिव्य दृष्टि रखते है कि किस शिक्षक की नियुक्ति में क्या गड़बड़ी है। ये बात और है कि उनकी दिव्य दृष्टि के बाद भी शिक्षकों ने अपनी जाली दस्तावेजों के सहारे चार साल से भी ज्यादा नौकरी कर ली।
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अब जाकर संजय को याद आया कि इनकी डिग्री तो फर्जी है और उसने धृतराष्ट्र विभाग को इसकी सूचना दी। महाराज ने भी आव देखा न ताव और शिक्षक को निलंबित करने का आदेश जारी कर दिया। शिक्षक तो ठहरे विलक्षण प्रतिभा के धनी। फिर क्या था नहले पर दहला मारते हुए कोर्ट की शरण ले ली और विभाग को अपने आदेश पर अफसोस करते हुए उसे फिर से बहाल करना पड़ा। ये तो वही बात हुई “चौबे गए छब्बे बनने और दुबे बनकर लौटे “।
गोया कि संजय की दिव्य दृष्टि धरी की धरी रह गई। अब देखना यह है कि बचे तीन शिक्षकों का क्या होता है। साहेब की दिव्य दृष्टि पर तंज कसते हुए शिक्षक कहने लगे है संजय की पराजय से फर्जी दस्तावेजों के सहारे नौकरी करने वालो शिक्षकों की जीत भी सुनिश्चित है।
नेता जब ठेकेदार हो जाये तो..
“राजा अंधा हो जाए तो, सेवा जब धंधा हो जाए तो… ” की पंक्ति को शहर के लोग उलट अंदाज में गाते फिर रहे हैं…नेता जब ठेकेदार हो जाये तो सड़क का बंटाधार जो जाए तो… ।
दरअसल बात नगर निगम के दस करोड़ी सड़क की है। नेता जी ने ठेकेदार बनकर सड़क की ऊपरी सतह पर डामर चढ़ाकर काले काम में काली कमाई तो कर ली लेकिन सड़क का बंटाधार कर दिया।
जो भी नागरिक सड़क से गुजर रहा वो भ्रष्टाचार के गीत गुनगुना रहा है। ये बात अलग है कि सड़क निर्माण में जितने दोषी ठेकेदार हैं उससे ज्यादा अफसर भी हैं। बाउजूद इसके टेक्निकल टीम पर कार्रवाई न करना, भ्रष्ट अफसरों को संरक्षण देने जैसा है।
हालांकि जब सड़क उखड़ने की बात जब हेडलाइन बनी तो ठेकेदार को दोषी मानते हुए परफार्मेंस गारंटी और सिक्युरिटी डिपाजिट की राशि को आयुक्त ने राजसात कर लिया। नेता भी राजसत की काट ढूंढकर कोर्ट की शरण पहुंच गये और अपने ऊपर लगे आरोपों को वापस निगम पर धकेल दिया।
शह-मात के खेल में जनमानस ठेकेदार और शहर के नेताओं को कोस रहे तो कभी भ्रष्ट अफसरों को..! दुकानदार भी सड़क से लगातार उड़कर दुकानों में घुस रही धूल से त्रस्त हैं। लगातार खड़बुचरे सड़क पर लोग वाहन के स्लिप होने से गिरकर घायल हो रहे हैं और “आह” “हाय” अब ये हाय किसे लगेगी ये भगवान जानें। किसी दिन सड़क पर दोपहिया वाहन के स्लिप होने से कोई गिर गया और पीछे से आ रहे किसी वाहन के नीचे आकर मर गया तो जिम्मेदार कौन होगा..? किसको लगेगी मृतक के परिजनों की हाय…?
इन सबके बीच सड़क सुधार में बाधा बारिश के कारण है क्योंकि बरसात में सड़कों के काम पर रोक लग जाती है। सो अभी अक्टूबर तक टूटी फूटी सड़कों पर चलना आम लोगो की मजबूरी है। इसे देखते हुए शहर के गणमान्य जन कहने लगे हैं नेता जब ठेकेदार बन जाये तो सड़क का बंटाधार हो जाये तो…चौराहों पर अभय पुकारो, चोर चोर चोर चोर……!
लिस्ट अभी बाकी है साहेब..
दो दिन पहले प्रदेश की विष्णुदेव सरकार ने 20 आईएएस अफसरों के प्रभार बदल दिए कुछ पोस्टिंग देकर नई जगहों पर रवाना कर दिया गया। एक झटके में कोरिया, महासमुंद और बीजापुर के कलेक्टर बदल दिए गए। मगर जिन जिलों के कलेक्टरों ने सावन सोमवार का उपवास पूरे भक्तिभाव से किया वो बच निकले।
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लेकिन इस बार सावन पूरे पांच सोमवार वाला है..यानि 3 गुजरा 2 अभी बाकी है। ऐसे में इस माह फिर एक लिस्ट निकल सकती है। महानदी भवन में चर्चा है कि मुंगेली और जगदलपुर कलेक्टर के अलाव सीएम के गृह जिले के कलेक्टर को भी बदला जा सकता है।
चर्चा है कि आईएएस अफसरों की एक लंबी सूची जारी होने के बाद कुछ अफसरों के खिलाफ स्थानीय नेताओं में नाराजगी देखी गई है। हालांकि जिनके खिलाफ शिकायतें हुई थीं वो अपनी कुर्सी बचाने में कामयाब रहे। मगर सांय सांय वाली सरकार में कब तबादला आदेश जारी हो जाए..अंदाज लगाना मुश्किल है।
योग संयोग और महायोग..
छत्तीसगढ़ के डीजीपी अशोक जुनेजा को भारत सरकार की कैबिनेट कमिटी ने छह महीने का एक्सटेंशन दे दिया है। छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से 2 अगस्त को उनके एक्सटेंशन का प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा और 4 अगस्त की शाम को कमिटी का आदेश जारी हो गया। इसी के साथ आईपीएस लाबी में इस बात की चर्चा चल पड़ी कि शीर्ष पदों पर पोस्टिंग और प्रमोशन के लिए लंबी प्रशासनिक पारी के अलावा किस्मत का साथ हो तभी ऐसा मौका मिलता है।
इस मामले में डीजीपी अशोक जुनेजा की किस्मत ज्यादा तेज निकली। वो 11 नवंबर 2021 को प्रभारी डीजीपी बने थे। इसके करीब 10 महीने बाद 5 अगस्त 2022 को पूर्णकालिक डीजीपी बनाए गए। पूर्णकालिक डीजीपी बनाए जाने के बाद दो साल का कार्यकाल का नियम होने से उन्हें 13 महीने का पहले ही लाभ मिल चुका है और उसके बाद फिर छह महीने का एक्सटेंशन…यानि किस्मत के खेल में ये योग संयोग और महायोग..का ही कमाल है। अब डीजीपी अशोक जुनेजा अगले 6 माह तक डीजीपी बने रहेंगे।
इससे पहले 2021 में भी अशोक जुनेजा को किस्मत का ऐसा साथ मिला कि वरिष्ठता क्रम में राज्य कैडर के पांच अफसर उनके ऊपर होने के बाद भी उन्हें नया पुलिस महानिदेशक बना दिया गया। अब उन्हें छह महीने का एक्सटेंशन दे दिया है। ब्यूरोक्रेसी में चर्चा है कि बस्तर में नक्सल मोर्चे पर मिली कामयाबी और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के प्रयासों से उन्हें एक्सटेंशन मिला है। उम्मीद की जानी चाहिए कि अशोक जुनेजा अपनी इस पारी में सरकार की उम्मीदों पर खरे उतरेंगे।
✍️अनिल द्विवेदी, ईश्वर चन्द्रा