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Kho..kho and kabaddi : खाकी के दामन दाग, छुपाऊ कैसे.जब माननीय को आया गुस्सा और..सप्लायरों के मन में लड्डू फूटा, मछली जल की रानी..

खाकी के दामन दाग, छुपाऊ कैसे…

ओल्ड इज गोल्ड  ” लागा चुनरी में दाग, छुपाऊँ कैसे! चुनरी में दाग, छुपाऊँ कैसे, घर जाऊँ कैसे…” को इन दिनों लोग शहर में अपने अंदाज में गाते फिर रहे हैं ” लागा खाकी के दामन में दाग छुपाऊ कैसे …!

दरअसल पुलिस कस्टडी हुए मौत की बात ऊर्जाधानी से लेकर प्रदेश की राजधानी में हिलोरे मारने लगी। पुलिस के दामन में लगे दाग को साफ करने एसपी लेबल के अफसर घटना को सुलझाने लिए हर पल समीक्षा करने लगे। इसके अलावा स्क्रिप्ट राइटरों को मैनेज के लिए सक्ती से एक सुपर कॉप जो पूर्व के दो पुलिस अधीक्षकों की नजर में नकारा थे उन्हें स्पेशल ड्यूटी में कोरबा तैनात किया गया। जो शहर के स्क्रिप्ट लिखने वालो से सतत संपर्क साधकर पुलिस हिरासत में हुई मौत पर अलग रंग चढ़ाने की कोशिश में लगे रहे।

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हालांकि घटना गूगल इंजन में इस कदर सर्च कर चुका था कि सुपर कॉप का मैनेज सिस्टम कुछ खास छाप नहीं छोड़ पाया। खबरीलाल की माने तो प्रदेश स्तर के एक वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक औऱ एक बड़े जिले एसपी ने भी अपने संपर्कों को कैश कराते हुए लोगों को समझाने का प्रयास किया। पुलिस का डर और जाबांजो का पब्लिक के प्रति परिवर्तित व्यवहार को भांपते हुए पुलिस के पंडित कहने लगे हैं दाल में कुछ काला नहीं पूरी दाल ही काली है !

शहर के गणमान्य नागरिक तो यह भी चर्चा कर रहे हैं आखिर ऐसा क्या है जिससे पुलिस के आला अफसर छुपाने के लिए पूरी ताकत झोंक कर प्रकरण को सामान्य घटना साबित करने जुटे हैं। बड़े अफसरों के माथे पर पड़ रहे बल को समझते हुए महकमे के लोग आपस मे खुसुर- फुसुर करते हुए.. पर्दे में रहने दो पर्दा ना हटाओ… पर्दा जो उठ गया तो भेद खुल जाएगा.. का गीत गुनगुना रहे है।

जब नेताजी को आया गुस्सा और..

नगर निगम के अफसरों की खोटी कार्यशैली से आक्रोशित माननीय ने अधिकारियों को खूब खरी खोटी सुनाई..! दरअसल मामला एक भाजपाई के फर्म को ब्लैक लिस्टेड करने का है। आयुक्त ने निर्माण कार्य में कोताही बरतने वाले ठेकेदारों पर कार्रवाई तो कर दी। लेकिन, कार्रवाई उल्टा गले की फांस बन गई। मामला माननीय के पास पहुंच गया ।

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भाजपा कार्यकर्ता ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि निगम में इस कदर भ्रष्टाचार है कि बिना चढ़ावा दिए वर्क ऑर्डर नहीं हो रहा है। सो काम समय पर हो कैसे…!  यही नहीं निगम के बाबू के नखरे अलग.. वगैरह वैगरह..कार्यकर्ता की व्यथा सुनकर नेताजी ने लगाया निगम के अधिकारियों को फोन और कमीशन 22 परसेंट… की बात कहते हुए खूब लताड़ लगाई।

फिर क्या अफसरों ने निर्माण शाखा के बाबूओं की सुध ली और कड़े शब्दों में चेतावनी देते हुए कहा कि गलत रिपोर्ट प्रस्तुत कर किसी भी ठेकेदार को परेशान किया तो खैर नहीं। अब इस घटना से जुड़े जानकारों की माने तो आयुक्त ठेकेदारों को ब्लैक लिस्टेड कर उल्टा फंस गई हैं। अब देखिए आगे होता है क्या…!

DMF पर चर्चा, सप्लायरों के मन में लड्डू फूटा..

डिस्ट्रिक्ट मिनिरल फंड की मीटिंग होते ही डिपार्टमेंट में सप्लाई करने वाले अफसर और नेता के बीच सेतु का काम करने वाले सप्लायरों के मन में लड्डू फूटने लगा है। सप्लायर और प्रोजेक्ट बनाने वालों के मन में लड्डू फूटना भी स्वाभाविक है। सो तराना का याराना निभाने तत्कालीन सरकार के समर्थक नई स्कीम बनाकर फाइल लेकर कलेक्टोरेट के चक्कर लगा रहे हैं।

वैसे तो डीएमएफ केजीएफ यानी कोलार गोल्ड माइंस से कम नहीं है। सोने की इस खान को गलत तरीके से खोदने वाले अधिकारियों की देर सबेर निपटना तय माना जाता है। भाजपा कार्यकाल में शुरू हुए डीएमएफ स्रोत के पहले सूत्रधार सेंट्रल एजेंसी के रडार से उबर नहीं पाए। इसके बाद महिला आईएस जिन्होंने “सोन चिरई” के माध्यम से अंडे को सोना बनाया था उन पर भी जांच की आंच देर सबेर पहुंचना तय है।

एक कलेक्टर ने तो पूर्व के अधिकारियों के कार्यों का आंकलन करते हुए सोने की खान से सोना निकालने अलग राह निकाला और खरीदी के लिए शिक्षा विभाग के सिंह को किंग बना डाला था।भाजपा सरकार ने सरकारी स्कूलों के छात्रों को नाश्ता देने की घोषणा की है तब से राशन सप्लाई का काम लेने प्रशासन के चक्कर लगा रहे हैं।

ये बात अलग है कि अभी डीएमएफ के काम मात्र ट्रेलर के तौर पर स्वीकृत हुए हैं पूरी पिक्चर अभी बाकी है। तभी तो डीएमएफ से डमरू बजाने वाले भगवान भोलेनाथ की शरण में जल चढ़ाकर सप्लाई का काम दिलाने अर्जी लगा रहे हैं।

मछली जल की रानी…..

मछली जल की रानी है..जीवन उनका पानी है…हाथ लगाओ डर जाएगी…और इसके आगे की लाइन तो आपको पता होगी। ये उस दौर की बात है जब कान्वेंट की जगह बाल मंदिर हुआ करते थे और वहां बच्चों को ट्विंकल ट्विंकल लिटिल स्टार की जगह ये कविता सबसे पहले सिखाई जाती थी। मछली जल की रानी है..ये कविता आज के पीएचई के अफसरों पर एकदम सटीक बैठती है।

जी हां हम बात कर रहे हैं पिछले सप्ताह पीएचई विभाग के आधा दर्जन इंजीनिय​रों के सस्पेंशन की। जल जीवन मिशन के काम में लापरवाही बरतने वाले अफसरों पर सरकार ने हाथ लगाया और पानी से बाहर निकाल फेंका…।

दरअसल केंद्र सरकार के जल जीवन और अमृत मिशन योजना में पिछली सरकार के मंत्री और अफसरों ने जमकर भ्रष्ट्राचार किया और घर घर पीने का साफ पानी पहुंचाने की सरकार की योजना पिछड़ गई। केंद्र ने जांच बैठाई, विधानसभा में भी मामला उछला था और तब के मंत्री के जवाब देते समय पानी पानी हो रहे थे। कुछ अफसरों को पदों से हटाया गया था…।

फिर इलेक्शन आ गए और विभाग के अफसर फिर मजे लेकर पानी में तैराने लगे। अब जब केंद्र और राज्य में एक ही पार्टी की सरकार है तो उम्मीद की जा रही थी कि विभाग के अफसर लापरवाही छोड़कर काम पर लग जाएंगे। मगर ऐसा नहीं हुआ आखिरकार सरकार को इस अफसरों का संस्पेशन आर्डर निकालना पड़ा।

आज से विधानसभा सत्र शुरु होना है और दूषित पानी पीने की वजह से फैलने वाले डायरिया से लोगों की मौत का जवाब सरकार से मांगा जाएगा। सरकार की किरकिरी कराने वाले ऐसे अफसरों को निलंबित कर सत्ता पक्ष भले ही सदन में विपक्ष के सवालों से अपने बचाव रास्ता खोज लिया, मगर ऐसे लापरवाह अफसरों की लिस्ट लंबी है…सरकार भी क्या करें..मछली जल की रानी जो ठहरी..। विभाग के कुछ अफसर अभी नोटिस पीरियड में हैं.. आगे आगे ​देखिए होता है क्या..।

खो..खो और कबड्डी…

छत्तीसगढ़ के पारंपरिक खेल खो..खो और कबड्डी राजनीतिक दलों के पंसदीदा खेल बन गए हैं। बीजेपी और कांग्रेस में इन खेलों में चैंपियन बनने की होड़ लगी है। पिछले साल नंवबर में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 70 विधायकों वाली कांग्रेस को सत्ता से खो कर दिया और कांग्रेस वाले आपस में कबड्डी…कबड्डी खेल कर खुद चित हो गए। लोकसभा का हाल भी कुछ ऐसा ही रहा।

प्रदेश की सरकार भी अब अपना नंबर बढ़ाने के लिए छत्तीसगढ़िया ओलंपिक की जगह खेल महोत्सव मनाने वाली है। यानि खेल वही नजरिया अलग..। इसी साल और आने वाले साल के आखिर तक सत्ता और विपक्ष के बीच तीन मैच और खेले जानें हैं। नगरीय निकाय के बाद पंचायत और उसके बाद सहकारी चुनाव होने है। मतलब खो..खो और कबड्डी का मुकाबला होना है।

इस साल हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी कांग्रेस के सभी 11 खिलाड़ी को खो..खो करने से चूक गई…उनकी खिलाड़ी मैदान में बची रह गई..ज्योत्सना भाभी..कोरबा में इस बार कबड्डी में बीजेपी खुद निपट गई। नगरीय निकाय के चुनाव में ऐसा ही हाल न हो इसके लिए पार्टी के रेफरी अपने अपने खिलाड़ियों को नए वार्मअप के लिए तैयार कर रहे हैं।

हालांकि कांग्रेस में अभी ​केवल जिताऊ की तलाश हो रही है मगर बीजेपी की पूरी तैयारी है। पार्टी के सीनियर नेता, विधायक और भावी मंत्री कार्यकर्ताओं को ये समझाने में लगे हैं कि इस बार कबड्डी नहीं खेलना है खो खो की बारी है। रायपुर में बृजमोहन अग्रवाल कोरबा में पवन साय और अन्य जिलों में संगठन प्रभारी इसी काम में लगे हैं..पार्टी जिसे भी टिकट देगी उसे जिताएं।

आने वाले चुनाव में कौन किस पर भारी पड़ेगा इसके लिए थोड़ा इंतजार जरूरी है..वैसे खेल वही जीतता है जो आखिरीदम तक हार बिना मैदान में डटे रहे। और खो..खो और कबड्डी तो हमारे पारंपरिक खेल हैं इसलिए दांव पेंच लगाने के लिए तैयार रहे।

 

      ✍️अनिल द्विवेदी, ईश्वर चन्द्रा

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