कोरबा। जब कोई इमरजेंसी हो तो अस्पताल जाने निकले किसी मरीज के लिए एक एक पल कीमती हो जाता है। कई बार देरी के चलते मरीज अस्पताल की दहलीज पर दम तोड़ देते हैं। वक्त कितना कीमती है यह जानते हुए भी शहर के दो बड़े अस्पतालों के बाहर सिर्फ ढाई सौ मीटर की दूरी पर हर रोज सकड़ों मरीज डॉक्टर के पास पहुंचने कड़ी जद्दोजहद करने मजबूर हैं। वजह है मेन रोड से अस्पताल तक के पहुंच मार्ग की बदहाल दशा और बेहिसाब गड्ढे। यहां बात कोसाबाड़ी चौक स्थित न्यू कोरबा हॉस्पिटल और कृष्णा मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल की हो रही है। निजी ही सही पर बिल्डर ने अस्पताल के लिए जमीन तो बेच दिए पर न तो नालियां बनवाई और न ही सड़क जैसी बुनियादी अनिवार्य जरूरत करना जरूरी समझा। नतीजा ये कि वर्षों से यहां आने वाले मरीजों को बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
कोसाबाड़ी चौक से मंगलम विहार कॉलोनी तक के लिए कुछ समय पहले सड़क निर्माण के लिए कवायद भी शुरू की गई थी। इसी बीच किसी कारण सड़क निर्माण की भूमि को विवादित बताकर काम को रोक दिया गया। इसी कॉलोनी से लगी हुई कोरबा की बड़ी निजी अस्पताल, मेडिकल स्टोर, ब्लड बैंक स्थित है। जहां हर रोज सैकड़ो मरीज व उनके परिजन हिचकोले खाती कच्ची सड़क से गुजरते है। कई बार अस्पताल पहुंचने वाले गम्भीर मरीजों को इससे काफी नुकसान होता है। इस संबंध में नगर निगम आयुक्त प्रतिष्ठा ममगाई की माने तो राजस्व विभाग में सीमांकन लंबित है, जिसके बाद सड़क निर्माण पूरा करा लिया जाएगा। जबकि अस्पताल संचालकों की माने तो मरीजों को ध्यान रख सड़क का अस्थायी निर्माण कर बार निजी मद से किया गया है, लेकिन एक समय के बाद सड़क वापस से ख़राब हो जाती है। अब खासकर बारिश के दिनों में मंगलम विहार कॉलोनी के लोगों की समस्या और बढ़ेगी। गड्ढों में बारिश का पानी भरा रहेगा और कीचड़ से पूरा मार्ग सराबोर होगा। खास बात यह है कि मार्ग पर प्रकाश व्यवस्था का भी अभाव है। अंधेरे के कारण रात में हादसे होने का खतरा बना रहता है। दूसरी ओर अव्यवस्था के कारण लोगों के घरों में जहरीले जीव जंतुओं के घुसने का भी खतरा बना हुआ है।
बड़े फायदे के लिए आवासीय जमीन पर प्लॉट काटकर बेच दिया और भूल गया बिल्डर
इस मार्ग की मरम्मत संभवतः इसलिए यह कहकर नहीं कि जा रही हैं कि निजी जमीन पर हॉस्पिटल व आवासीय कॉलोनी बनी हैं। यह कहकर पल्ला झाड़ने वाले नेताओं और अधिकारियों को पब्लिक की सुविधा के लिए सड़क की मरम्मत के कुछ उपाय करने चाहिए। यहां प्लाट काटकर बेचने वाले बिल्डर पर भी जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए। लोगों का यह भी कहना है कि कैबिनेट मंत्री लखन लाल देवांगन, महापौर राजकिशोर प्रसाद, प्रशासन व निगम के अधिकारियों को बाइक पर खुद आकर मरीजों का दर्द महसूस करना चाहिए।
चंद मीटर सड़क की मरम्मत पर सीमांकन का रोड़ा
नगर निगम और राजस्व विभाग के बीच चल रही कश्मकश में सैकड़ों लोग हर रोज हलाकान हो रहे हैं। इस सड़क को मरम्मत का वर्षों से इंतजार है। सीमांकन के विवाद में उलझे सड़क से गुजरना लोगों के लिए कष्टकारी साबित हो रहा है। नगर निगम और राजस्व विभाग के बीच दो पाटों में सैकड़ों लोग हर रोज हलाकान होकर व्यवस्था को कोस रहे हैं।
नगर पालिक निगम और राजस्व अमले की उदासीनता से लोगों के लिए हर दिन की परेशानी का सबब बन गई है। पेचीदगी यह भी है कि सार्वजनिक सड़क पर पक्का निर्माण निजी रूप से नहीं कराया जा सकता है, इसलिए निगम को पत्राचार भी किया गया है। फिलहाल इंतजार है मामले में सीमांकन का, जिसके बाद सड़क निर्माण पूरा हो सके और लोगों को कच्ची सड़क से राहत मिल सके।
लोगों का कहना है कि टैक्स दे रहे हैं, फिर भी सुविधा नहीं
कोसाबाड़ी से मंगलमय विहार कॉलोनी के लिए पक्की सड़क की सुविधा नहीं होने से स्थानीय लोगों में गहरी नाराजगी है। लोगों का कहना है कि वह नगर निगम का खजाना अपनी मेहनत की कमाई से टैक्स के रूप में भर रहे हैं। निगम का भी दायित्व है कि कॉलोनी के लोगों को मूलभूत समस्या के तहत पक्की सड़क उपलब्ध कराए। पर नगर निगम और प्रशासन एक पक्की सड़क तक उन्हें उपलब्ध नहीं कर पा रहा है।
मरीजों को परेशानी, परिजन कर चुके हैं प्रदर्शन
मंगलम विहार कॉलोनी से लगे कोरबा के बड़े निजी अस्पताल, मेडिकल स्टोर, ब्लड बैंक स्थित हैं। इस वजह से हर रोज सैकड़ो मरीज व उनके परिजनों हिचकोले खाती कच्ची सड़क से गुजरना पड़ रहा है। खासकर अस्थि और प्रसव पीड़ा के मामलों में जर्जर सड़क के कारण मरीजों को अधिक समस्या होती है। कुछ समय पहले मार्ग पर एक मरीज को परेशानी हुई थी। जिससे आक्रोशित परिजनों ने मार्ग पर प्रदर्शन भी किया था। इसके बाद भी ना नगर निगम और प्रशासन के अधिकारियों की नींद खुली। गतरात्रि भी एक फैमिली मरीज लेकर अस्पताल आ रही थी, जिनकी कार गड्ढे पाटने के लिए डाली गई मिट्टी के कीचड़ में फंस गई थी। जिसके कारण मरीज और उनके परिजनों को खासी परेशानी उठानी पड़ी।