प्रतीकात्मक तस्वीर
कोरबा। दिब्यांग सर्टिफिकेट से नौकरी कर रही एक शिक्षिका ने फिर से दिब्यांग चेकअप कराने से इंकार कर दिया है। सूत्र बताते है कि उनके दिब्यांग सर्टिफिकेट में गड़बड़ी की शिकायत पर बिलासपुर कमिश्नर ने सर्टिफिकेट के साथ मेडिकल जांच कराने का आदेश दिया है।
इसे दुर्भाग्य कहें या नियती, पैर-हाथ की दिव्यांगता, आंखों की रोशनी अथवा पहले ही कानों में अपेक्षाकृत श्रवण शक्ति की अल्पता लेकर जन्म लेने वालों से अब उनकी नौकरी का हक छीनने का कारोबार चल रहा है। ऐसा हम नहीं कह रहे, बल्कि दिव्यांग संघ द्वारा प्रशासन से की गई शिकायत से जाहिर हो रहा है। संघ का कहना है कि इस तरह दिव्यांगजनों के हक पर डाका डालने वाले कोरबा के 8 ऐसे ही लोगों पर श्रवण बाधित अभ्यर्थियों के कोटे में भर्ती होकर शिक्षाकर्मी की नौकरी हथियाने का आरोप लगाया गया है। इन्हें फर्जी करार देते हुए दिव्यांग संघ ने शिक्षाकर्मियों की शिकायत बिलासपुर के संभागायुक्त से की गई थी। संभागायुक्त ने मामले में कोरबा कलेक्टर को मेडिकल अनफिट की जांच कराने के निर्देश दिए हैं।
शासन ने श्रवण, दृष्टि या फिजिकल एबल्ड लोगों को दिव्यांग कहकर संबोधित करने के साथ शासकीय सेना में कुछ पद भी रिजर्व किए हैं, ताकि उन्हें भी अपनी आजीविका की राह बनाकर परिवार के लिए सक्षम बनने का समान अवसर मिले। पर इस अवसर को भी कुछ लोगों ने मौके में बदलने कोई कसर नहीं छोड़ी। दुर्भाग्य तो यह है कि कुछ राशि के लालच में सरकारी महकमें के ही लोग ऐसे फर्जी लोगों को दिव्यांग हितग्राहियों के हक की शासकीय नौकरी हासिल करने में मदद भी पहुंचाते हैं। ऐसे ही फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी करने वालों के खिलाफ दिव्यांग संघ ने मोर्चा खोल दिया है। इसके विरोध में आगे आते हुए फर्जी विकलांग प्रमाण पत्र के सहारे नौकरी करने वालों की सूची सौंपकर बिलासपुर संभागायुक्त से कार्रवाई की मांग की गई थी। सबकुछ सुनाई देने के बाद भी श्रवण बाधित का फर्जी दिव्यांगता प्रमाण पत्र बनवाकर लोग सरकारी विभागों में मजे से नौकरी कर रहे हैं। संघ का कहना है कि दिव्यांग लोगों की विशेष भर्ती के दौरान वृहद स्तर पर श्रवण बाधित विकलांग प्रमाण पत्र बना है। इसके आधार पर सभी नौकरी कर रहे हैं। ऐसे लोगों के विकलांग प्रमाण पत्र की राज्य मेडिकल बोर्ड से जांच कराने की मांग की गई है।
महिला व्याख्याता ने किया मेडिकल जांच से इंकार
इस संबंध में मिली जानकारी के अनुसार दिव्यांग संघ की ओर से बिलासपुर कमिश्नर से की गई शिकायत के बाद कोरबा कलेक्टर को मेडिकल अनफिट की जांच कराए जाने के लिए पत्र लिखा गया है। दिए गए निर्देश के अनुरुप कलेक्टर ने कोरबा जिले के मेडिकल ऑफिसर को पत्र लिखकर मेडिकल अनफिट की जांच कराने के निर्देश जारी किए हैं। कलेक्टर के आदेश पर मेडिकल ऑफिसर ने जांच के लिए शिक्षाकर्मी को बुलाया। बताया जा रहा है कि लिस्ट में शामिल 8 में से एक महिला व्याख्याता ने मेडिकल जांच में शामिल होने से इंकार कर दिया है।