कोरबा। प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण जिले के चैतुरगढ़ क्षेत्र की ऊंची पहाड़ियों में दुर्लभ वन्यजीवों का बसेरा है। चारों ओर घने जंगल से घिरे इस क्षेत्र में हाल ही में छिपकली की दुर्लभ प्रजाति गीको मिलने की पुष्टि होने के बाद यहां की जैव विविधता में अनोखी विशेषता मानी जा रही है। अब इसी क्षेत्र में बीते दिनों एक दुर्लभ प्रजाति का सर्प भी देखा गया है। कुछ दिनों के अंतराल में दुर्लभ प्रजाति के दो सरिश्रृपों के मिलने से वन विभाग में हर्ष की लहर है और क्षेत्र में व्यापक शोध की जरुरत भी बताई जा रही है। रेंजर संजय लकड़ा ने बताया कि वन विभाग के मार्गदर्शन में सर्प मित्रों ने सांप को सुरक्षित रूप से जंगल में छोड़ दिया है। अगली कड़ी में इस सांप को लेकर शोध करने की तैयारी की जा रही है।
काफी दुर्लभ प्रजाति का होने की वजह से इसकी प्रजाति विलुप्त होती जा रही है, लेकिन चैतुरगढ़ के जंगलों में इस सांप को देखे जाने के बाद वन विभाग और प्राणी विशेषज्ञों ने खुशी जाहिर की है। इसका आकार और खूबसूरती के साथ पूर्व में प्राप्त लक्षणों को चिन्हांकित कर अन्य स्नेक से मैच करने का प्रयास किया जा रहा है। जांच के लिए तस्वीर खींचकर स्पेशलिस्ट के पास भेजी गई है। इसकी जानकारी वन विभाग के आला अधिकारियों को भी दी गई है। दरअसल यह दुर्लभ सांप चुनिंदा वन्य क्षेत्रों में ही देखने को मिला है। इस क्षेत्र में इनकी संख्या कितनी है और यह इलाका इस सांप के लिए सुरक्षति है या नहीं इस पर शोध करने की जरूरत है। वन विभाग की मदद से इस दुर्लभ प्रजाति के सांप को बचाने के लिए और उनकी संख्या जानने के लिए शोध करने की तैयारी चल रही है।