मनेंद्रगढ़। तेंदुपत्ता का सीजन खासकर वनांचल के ग्रामीणों के लिए किसी त्योहार से कम नहीं होता। इस बार छत्तीसगढ़ में कुल छह वनमंडल ने लक्ष्य की अपेक्षा के अनुरुप प्रदर्शन करते हुए शत-प्रतिशत संग्रहण किया है। इनमें मनेंद्रगढ़ भी एक है, जहां न केवल शत-प्रतिशत कार्य पूर्ण किया गया, बल्कि लक्ष्य से आगे जाकर 102.76 प्रतिशत संग्रहण किया गया है। वनमंडल के डीएफओ मनीष कश्यप ने बताया कि खराब मौसम और बार-बार हुई शाम की बारिश जैसी मुश्किल चुनौतियों को पार कर हमने यह उपलब्धि हासिल की है, जिसका सुखद परिणाम मिला है। मेहनतकश संग्राहकों और पूरी टीम की मदद से लक्ष्य से अधिक तेन्दूपत्ता का संग्रहण किया गया। हितग्राहियों को उनके परिश्रम की धनराशि भी हस्तांतरित की जा रही है।
तेंदूपत्ता को हरा सोना भी कहा जाता है और छत्तीसगढ़ के वन्य क्षेत्रों में रहने वाले ग्रामीणों की आय का एक प्रमुख साधन है। प्रदेश के 30 में से मात्र 6 वनमंडलों ने लक्ष्य का 100 प्रतिशत तेन्दूपत्ता संग्रहण किया गया। जिसमें से मनेन्द्रगढ़ वनमंडल एक है। इस वर्ष मनेंद्रगढ़ वनमण्डल में तेंदूपत्ता सीजन में मौसम काफी खराब रहा और कई जगह तो शाम के समय कई बार बारिश हुई। बावजूद इसके सभी फड़ को चालू रखा गया और ठेकेदारों को मनमानी नहीं करने दी गई। बारिश होने पर तेंदूपत्ता को सुरक्षित रखना कठिन हो जाता है इस वजह से ठेकेदार अपने सहूलियत के लिए फड़ को बंद कर देते हैं। इससे संग्राहकांे को नुकसान झेलना पड़ता है। पर सभी फड चालू रखे गए। परिणामस्वरूप मनेंद्रगढ़ में पूरे 22 दिन तक तेंदूपत्ता का संग्रहण हुआ। पूर्व की कांग्रेस सरकार में सिर्फ 10 दिन में ही तेंदूपत्ता की खरीदी बंद हो जाती थी। वनमंडल में 15 प्राथमिक वनोपज सहकारी समितियों के माध्यम से 220 फड़ों में 43.5 हजार मानक बोरा लक्ष्य के विरूद्व 44.7 हजार मानक बोरा का रिकार्ड संग्रहण किया गया। इस तरह संग्रहण लक्ष्य से बढ़कर 102.76 प्रतिशत संग्रहण किया गया है। मनेन्द्रगढ़ वनमण्डल से तेन्दूपत्ता संग्रहण का भुगतान 33.5 हजार संग्राहक परिवारों को 24.5 करोड़ ऑनलाईन पेमेंट सॉफ्टवेयर के माध्यम से सीधे खाते में किया जा रहा है। उल्लेखनीय होगा कि वर्ष 2021 के तेंदूपत्ता सीजन में भी विपरीत स्थिति के बावजूद पूर्व में भानुप्रतापपुर डीएफओ रहते मनीष कश्यप ने छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा तेंदूपत्ता का संग्रहण कराया था। उस समय मौसम खराब होने के साथ साथ कोरोना के दूसरे फेज का भी प्रकोप था। तब सबसे ज्यादा 68 करोड़ का भुगतान अकेले भानुप्रतापपुर वनमण्डल को हुआ था, जो राज्य में सबसे अधिक था।
प्रदेश में लक्ष्य के मुकाबले 92 प्रतिशत संग्रहण
इस वर्ष शासन द्वारा तेंदूपत्ता का खरीदी दर 4000 प्रति मानक बोरा से बढ़ाकर 5500 प्रति मानक बोरा किया गया। जिसके कारण ग्रामीणों ने अधिक उत्साह और मेहनत से तेन्दूपत्ता संग्रहण कर फड़ों में विक्रय किया है। संपूर्ण छत्तीसगढ़ में इस वर्ष 954 लॉट के माध्यम से तेन्दूपत्ता संग्रहण के लिए अग्रिम निर्वतन कर क्रेता नियुक्ति किया गया। इस वर्ष 16 लाख 72 हजार मानक बोरा तेन्दूपत्ता संग्रहण लक्ष्य के विरुद्ध 15 लाख 36 हजार मानक बोरा संग्रहण किया गया, जो लक्ष्य का 92 प्रतिशत है। तेन्दूपत्ता संग्रहण कार्य में प्रदेशभर के 12 लाख संग्राहक परिवारों को 845 करोड़ का भुगतान पेमेंट सॉफ्टवेयर के माध्यम से ऑनलाईन किया जा रहा है।
अकेले मनेंद्रगढ़ में 75 प्रतिशत फूडग्रेड महुआ संग्रहण
इस वर्ष अप्रैल में फूड ग्रेड महुआ के संग्रहण में भी मनेंद्रगढ वनमण्डल ने रिकॉर्ड बनाया था। पूरे प्रदेश का 75 प्रतिशत फूडग्रेड महुआ संग्रहण अकेले मनेंद्रगढ़ में ही हुआ था। महुआ का ज्यादा कीमत बढाने हेतु पेडों के नीचे जाली के माध्यम से संग्रहण किया जाता है। जिसे फूडग्रेड महुआ कहते हैं। इससे संग्राहकों को महुआ का ज्यादा कीमत प्राप्त होती है और अतिरिक्त रोजगार भी बनता है।
250 किसानों के 5000 पलाश के वृक्षों में प्रुनिंग
किसानों का अतिरिक्त आय बढ़ाने लाख पालन पर भी मनेंद्रगढ़ में इस वर्ष बड़ी तेजी से काम हो रहा है। 250 किसानों के 5000 पलाश के वृक्षों में प्रुनिंग का काम हुआ है जिसमें जुलाई और अक्तूबर के महीने में लाख बीज लगाया जायेगा।1 पलाश पेड़ में 1000 रुपए तक का लाख बीज लगाया जाता है। जिसमें किसानों को 4-5 हजार तक का आय होता है। मनेंद्रगढ़ में पलाश के पेड़ो की भरमार है। धान की खेती कुछ खास नहीं होती। इसलिए लाख की खेती वरदान साबित हो सकता है।