प्रतीकात्मक तस्वीर
रायपुर। ऊर्जाधानी कोरबा से न्यायधानी बिलासपुर होते हुए प्रदेश की राजधानी रायपुर तक, स्कूलों को कारोबार में तब्दील कर चुके शिक्षा के व्यापारियों की मनमानी आम हो चली है। खास बात यह है कि पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश के जबलपुर में ऐसे ही लालची स्कूल संचालकों पर सरकार ने कार्यवाही का हंटर चलाया है। जबलपुर कलेक्टर की एक ही जबरदस्त कार्यवाही में कुल 80 रसूखदारों को आरोपी बनाते हुए एफआईआर दर्ज किया गया, जो पूरे मध्यप्रदेश के लिए एक उदाहरण बन गया है। अब कुछ ऐसे ही एक्शन की उम्मीद छत्तीसगढ़ में भी की जा रही है। जिसके लिए न केवल मांग उठने लगी है, बल्कि पालकों की निगाहें साय सरकार पर टिक गई हैं कि अब उन्हें भी ऊंचे बेनर की महंगी पढ़ाई के लिए संचालकों की धौंस से आजादी दिलाने कोई पहल होगी।
उल्लेखनीय होगा कि स्कूल की फीस, किताबें व यूनिफार्म के नाम पर पालकों को लूटने वाले जबलपुर के 11 प्राइवेट स्कूल संचालक गिरफ्तार किए गए और 80 पर एफआईआर दर्ज की गई है। वर्तमान दौर में शिक्षा को कारोबार बना चुके प्राइवेट स्कूल में बच्चों को पढ़ाना यानी लूट में खुद लुट जाने के जैसा है। प्राइवेट स्कूल संचालक न केवल मोटी फीस वसूलते हैं, बल्कि चुनिंदा दुकानों से किताब- कापी और ड्रेस खरीदने के लिए बाध्य करके भी लूटते हैं। स्कूल संचालकों की इन मनमानी पर पहली बार मध्य प्रदेश में बड़ी कार्यवाही हुई है। जबलपुर कलेक्टर के मुताबिक इन स्कूलों ने अभिभावकों से अपराधिक घटना चक्र को अंजाम दिया है।
इसलिए जबलपुर शहर के 9 थानों में इन स्कूल संचालकों के खिलाफ धारा 420, 471 और 472 के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। इस पूरे मामले में 80 लोगों को आरोपी बनाया गया है।इसे देखते हुए यहां भी ऐसी ही कार्यवाही की मांग छत्तीसगढ़ में भी उठने लगी है। जबलपुर की शैली में छत्तीसगढ़ में भी स्कूल संचालकों से पैसा वापस लेकर पालकों को लौटने की मांग कलेक्टर से की जा रही है। समाजिक कार्यकर्ता कुणाल शुक्ला ने इस संबंध में रायपुर कलेक्टर को पत्र लिखा है। इस में शुक्ला ने जबलपुर कलेक्टर की शैली में निजी स्कूलों द्वारा फीस के नाम पर डाली जा लूट पर अंकुश लगा कर स्कूलों से वसूली करके पालकों को उनका पैसा वापस दिलाने का आग्रह किया है।
11 स्कूल 21 हजार बच्चे औ 81.30 करोड़ एक्स्ट्रा फीस वसूले..
जबलपुर कलेक्टर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि जिला प्रशासन के पास निजी स्कूलों की मनमानी, फीस वृद्धि और निश्चित दुकान से ही यूनिफॉर्म स्टेशनरी की खरीदारी का दबाव बनाने की शिकायतें आ रही थी। जिसके तहत जिला प्रशासन ने जबलपुर जिले के सभी स्कूलों की जांच पड़ताल शुरू की। इस जांच पड़ताल में शहर के नामी 11 स्कूलों में बड़ी गड़बड़ी का खुलासा हुआ है। कलेक्टर ने बताया कि जबलपुर के 11 स्कूलों ने 21 हजार बच्चों से 81 करोड़ 30 लाख रुपए की अतिरिक्त फीस वसूली है। इतना ही नहीं इन निजी स्कूलों ने पुस्तक विक्रेताओं और प्रकाशकों के साथ मिली भगत करके करोड़ों रुपए का वारा न्यारा किया है। कलेक्टर ने कहा कि मध्य प्रदेश में साल 2018 में निजी स्कूलों की फीस वृद्धि को लेकर नियम बना दिए गए थे, लेकिन इन निजी स्कूल संचालकों ने फीस वृद्धि के नियमों को दरकिनार कर मनमानी तरीके से फीस बढ़ा दी। जबलपुर के क्राइस्ट चर्च बॉयज स्कूल, ज्ञान गंगा स्कूल, स्टेम फील्ड इंटरनेशनल स्कूल, लिटिल वर्ल्ड स्कूल, चैतन्य स्कूल सेंट ऑलोसी स्कूल, सालीवाडा सेंट ओलोसी घमापुर, सेंट ओलाइसी सदर और क्राइस्ट चर्च घमापुर शामिल हैं।
निजी स्कूलों की लूट पर लगाम कसें नहीं तो कार्ट की शरण लेंगे: कुणाल
सामाजिक कार्यकर्ता कुणाल शुक्ला ने रायपुर कलेक्टर से मांग की है कि वे छत्तीसगढ़ अशासकीय फीस विनियमन अधिनियम 2020 के तहत निजी स्कूलों में फीस समिति का गठन एवं फीस निर्धारण एवं अन्य का प्रावधान किया है, इसके तहत निजी स्कूलों द्वारा मचाई गई लूट पर कार्यवाही करें। नहीं तो वे इस मामले को लेकर न्यायालय की शरण में जाएंगे। उल्लेखनीय यह भी होगा कि कुछ दिनों पूर्व राज्य सरकार ने प्राइवेट स्कूलों पर शिकंजा कस दिया है। सीबीएसई के खराब नतीजों पर गौर करें तो मोटी फीस और पुस्तक, यूनिफार्म में कमीशन के बाद भी छत्तीसगढ़ देश में 33वें नंबर पर है। सरकार ने इसे संज्ञान में लिया। स्कूल शिक्षा विभाग को शिक्षा के अधिकार अधिनियम में भी स्कूलों द्वारा खेला किए जाने कि शिकायत मिल रही थी। लिहाजा, विभाग के सचिव सिद्धार्थ परदेशी ने कलेक्टरों को कार्रवाई करने पत्र लिख दिया। उन्होंने सिलसिलेवार कलेक्टरों को उनका अधिकार बताते हुए कहा है, कि इसमें आप कार्रवाई कीजिए।
कलेक्टरों को पत्र, निजी संस्थाएं बताएं आरटीई के 5 वर्षों में ड्राप आउट
विष्णुदेव साय सरकार शिक्षा सत्र की शुरुआत में ही आरटीई को लेकर सख्ती शुरू कर दी है। स्कूल शिक्षा सचिव सिद्धार्थ कोमल परदेशी ने कलेक्टरों को पत्र लिखकर आरटीई वाले बच्चों की ड्राप आउट रिपोर्ट तलब की है। कलेक्टरों को लिखे पत्र में स्कूल शिक्षा सचिव परदेशी ने कहा है कि जिले के गैर अनुदान प्राप्त विद्यालयों के प्रबंधक व प्राचार्यों की एक बैठक बुलाकर यह समीक्षा करें कि उनके विद्यालय में कितने विद्यार्थियों ने आरटीई के तहत प्रवेश लिया था। उनमें से कितने बच्चे पढ़ाई छोड़कर ड्राप आउट हो गए हैं। इसकी एक रिपोर्ट भी मांगी है। सचिव ने कलेक्टरों को बीते 5 वर्षों में ड्राप आउट हुए बच्चों की जानकारी प्राप्त कर समीक्षा करें करने के लिए भी कहा है। सचिव ने कहा है कि ड्राप आउट रोकने की दिशा में समुचित पहल करने का कष्ट करें जिससे कि आपके जिले में आरटीई के मंशा के अनुरूप सभी बच्चे अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूर्ण कर सकें।