यार ने ही लूट लिया “थाना” यार का…
शहर के टीआई तराना छेड़ते मजाकिया लहजे में ” यार ने ही लूट लिया थाना यार का..!” सुनकर अपना मन हल्का कर रहे हैं। दरअसल बड़े साहब ने कोयलांचल से उन्हें एल्युमीनियम नगर का थानेदार बनाया था। संयोग कहें कि साहब ने प्रभार लिया और 26 जनवरी का झंडा फहराते हुए डंडा गाड़ने का प्रयास कर ही रहे थे कि बड़े साहब का तबादला हो गया और हो गई नए साहब की पोस्टिंग!
नए साहब ने अपने हिसाब मैदान तैयार किया औऱ एल्युमिनियम नगरी में नए थानेदार की पोस्टिंग कर दी। तब से शहर थानेदार का मन हल्का करने की शैली सही भी है क्योंकि एल्युमिनियम नगरी के थानेदार उनके करीबी दोस्त थे और उन्हीं ने हाई प्रोफाइल जेक लगाकर अपने दोस्त को हटाकर खुद कुर्सी पर बैठ गए।
लिहाजा उनका हमराह दोस्तों पर से विश्वास उठ गया है और ” मतलबी है लोग यहाँ पर मतलबी जमाना सोचा साया साथ देगा निकला वो बेगाना”.. गाकर पँचायत वाले थाने में बैठकर मन बहला रहे हैं।
सुलगते DMF की आंच में झुलसेगा वन विभाग
जिला खनिज न्यास कोरबा में लगी आग बैकुंठपुर, जशुपर और दुर्ग में धधक रही है। ये आग ऊर्जाधानी के वन विभाग में पहुँचने वाली है। वैसे तो गर्मी के प्रारंभिक चरण में ही जंगल में आग लगना भी शुरू हो चुकी है। लेकिन, DMF की आंच कहीं आग वन विभाग में पहुंची तो धधकते की आग लपटों में विभाग में अंगदी पांव वाले मानचित्रकार का चित्र राख में बदलते समय नहीं लगेगा।
सूत्रों की माने तो विभागीय ,कैम्पा और डीएमएफ मद के कार्यो में भी जमकर बंदरबांट हुई है। विभागीय कार्यों के घोटाले में वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी की भूमिका संदेह के दायरे में है। खबरीलाल की माने तो मार्च महीने में मिले विभागीय एलाटमेंट का वारा न्यारा करने सप्लायरों को डिपार्टमेंट के ध्रुवतारा ने सेट कर रखा है।
डिपार्टमेंट में चल रहे जंगल राज का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी की पोस्टिंग तो बिलासपुर डिवीजन में है लेकिन, काम कोरबा में कर रहे हैं। कहा तो यह जा रहा है कि मानचित्रकार के पास फर्जी बिलो का अंबार लगा है।
जंगल के शेरों की माने तो मार्च क्लोजिंग में शासन से मिले फंड को यूज करना होता है। एलाटमेंट यूज न करने पर संबधित अधिकारी पर पेनाल्टी लगने की बात कही जाती है। सो काम हुआ हो या न हुआ हो.. बिल लगाकर रकम निकालने रेंजर और ठेकेदार वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी के चक्कर लगा रहे हैं और साहब ईडी की लपटें से बचने हनुमान चालीसा जप रहे हैं..!
तुम्हीं ने दर्द दिया तुम्हीं दवा देना
हर मर्ज की दवा अलग होती है….लेकिन अगर मरीज अपना मर्ज वैद्य को नहीं बताएगा तो फिर उसका इलाज मुश्किल हो जाएगा…और मर्ज अगर नासूर बन गया तो फिर आह निकलते देर नहीं लगेगी। कुछ ऐसा ही हाल कोरबा का है। कहने को तो कोरबा आदिवासी जिला है पर राजनीति से लेकर प्रशासन तक सभी हाई प्रोफाइल कुर्सी में स्थानीय लोगों का टोटा है।
अब पुलिस महकमें की ही बात करें तो कोरबा जिले में पुलिस के आला अफसरों ने कई सफल अभियान चलाए…इनमें से कुछ अभियान तो रिजल्ट ओरिएंटेट भी रहे। पर इसमें आदिवासी समाज की दर्द को समझने की कमी नजर आई। गौर करें तो जिला पुलिस बल में कई थानों में आदिवासी समाज के कई अफसर सालों से पुलिसिंग में बड़ा रोल निभा रहे हैं मगर बड़े थानों में उन्हें थानेदारी करने का मौका कम ही मिला।
पुलिस के पंडितों की माने तो जिले में 17 थाना और 3 चौकी है। जिसमें निरीक्षक स्तर के वर्तमान में सामान्य वर्ग के 9 अफसर थानेदारी कर रहे है वहीं 7 अधिकारी अन्य पिछड़ा वर्ग के हैं। मगर इनमें एसटी वर्ग के किसी अफसर को मौका नहीं मिला। जरूरत इस बात की है कि कोरबा जैसे आदिवासी बहुल्य जिले में इस वर्ग के अफसरों को थानेदारी करने का मौका देना कहीं ना कहीं इस वर्ग के मर्ज में मरहम लगाने जैसा होगा। और पुलिस मुख्यालय और जिले के कप्तान को ही इसकी पहल करनी होगी।
तेरे पास क्या है… भाई मेरे पास….
छत्तीसगढ़ में रविवार को भी बैंक खुल रहे। बैकों में पूरे दिन महिलाएं लाइन में लगकर महतारी वंदन योजना की राशि के लिए अपने अपने अकांउट की केवाईसी कराती रही। महतारी वंदन में महतारी की लंबी लाइन से बीजेपी को लोकसभा चुनाव में बेडापार होने का पूरा भरोसा हो गया है। बीजेपी को यकीन हो चला है कि महिलाओं का एक नया वोट बैंक इस बार पार्टी बंपर जीत दिलाने में कामयाब होगा।
आपको याद होगा दशको पहले अभिताभ बच्चन की फिल्म दीवार बाक्स आफिस में गजब हिट हुई थी। उसमें एक डायलाग में जिसमें अभिताभ बच्चन.. शशि कपूर से पूछते हैं मेरे पास कार है बंगला है दौलत है तेरा क्या है….जवाब में शशि कपूर करते हैं मेरे पास मां है भाई। कुछ ऐसा ही हाल इस वक्त सूबे की राजनीति का हो गया है। बीजेपी अपने 11 उम्मीदवारों में से तीन महिला उम्मीदवार को मैदान में उतार दिया है जबकि कांग्रेस अभी भी चेहरों को फैसला नहीं कर पाई है।
हालांकि कांग्रेस में जिसके पास कार , बंगला और दौलत हो और जो चुनाव में अपनी अंटी से पैसा खर्च कर सके उसकी तलाश कर रही है। मगर..सूबे में केंद्रीय जांच एजेंसियों की जिस अंदाज में छापेमारी चल रही है उसमें कोई फंसना नहीं चाहता। खैर जो भी हो ये तो दीवार फिल्म का क्लाईमेक्स सीन है असल पिच्चर तो अभी बाकी है जो कांग्रेस के लोकसभा उम्मीदवारों की लिस्ट सामने आने के बाद पर्दे पर नजर आएगी।
दिल्ली के भाजपा सांसद का दर्द कोरबा लोकसभा में भी छलक रहा
कोरबा लोकसभा की टिकट पर टकटकी लगाने वाले भाजपा नेताओं को जोर का झटका धीरे से लगा है। महिला नेत्री को मिले टिकट के बाद टिकट के दावेदार अपने को ठगा महसूस कर रहे है। मोदी की गारंटी पर चुनाव लड़ने वाले नेताओं की सक्रियता से गुटीय समर्थक पिछले कुछ दिनों से इस कदर सक्रिय थे जैसे टिकट उनका पक्का ही है। यही नही शहर के एक खद्दरधारी नेताजी ने तो सर्वे में सबसे टॉप होने का डंका भी बजवा दिया था।
इसके बाद जब राष्ट्रीय नेतृत्व की महिला पर पार्टी हाईकमान ने विश्वास जताया तो टिकट पर टकटकी लगाने वाले नेता मायूस नजर आए। यह भी बात सच है कि नाराज नेता खुलकर विरोध भी नहीं कर पा रहे और समर्थन भी..! मतलब उनकी स्थिति ऐसी है खुलकर ठहाके भी नही लगा सकते और आंसू भी नही बहा सकते..!
अब जब कुछ कर ही नहीं सकते तो भाजपा के ही एक वरिष्ठ नेता रमेश विधूड़ी के दर्द को आत्मसात कर पार्टी समर्पण कर सकते हैं लेकिन वोटों का अर्पण करेंगे कि नहीं यह तो रामजी जाने। दिल्ली के सांसद बिधूड़ी ने टिकट कटने पर कहा है – “कई बाहर से आए मेहमानों के लिए नई चादर बिछाई जाती है जबकि घर के लोग पुरानी चादर पर ही सोते हैं… ये तो मेहमान हैं। हम तो घर के लोग हैं। घर की इज्जत रखनी है, घर के विचार को आगे बढ़ाना है, घर के मान सम्मान को बढ़ाना है, उसके लिए काम करना है और हम उसके लिए काम करने वाले लोग हैं।