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DMF and CAG: थानेदार की सोलेशन से रिद्धी की सिद्धि,शराब घोटाला का जिन्न..दत्तक जमीनपुत्र और बेनामी संपत्ति,विकसित भारत में ” विकास”..

थानेदार की सोलेशन से रिद्धी की सिद्धि..

संकल्प से सिद्धि तो सुनी होगी लेकिन सोलेशन से सिद्धि और रिद्धी में वृद्धि की बात नहीं सुनी होगी। बात सोलेशन से सिद्धि और रिद्धी में वृध्दि का संकल्प लेने वाले नदी उस पार जिला के हकदार वाले थानेदार साहब की है। कप्तान ने नशे के विरुद्ध अभियान चलाने का निर्देश क्या दिया बिगड़ैल पुलिस अफसरों की बल्ले बल्ले हो गई है।

बात यूँ है कि धन्ना सेठों का नगर कहे जाने वाले नगर थानेदार ने ऑटोपार्ट्स के दुकान में पहले दो डिब्बा पंचर जोड़ने वाला सोलेशन खरीदवाया और फिर छापेमारी कर दी।  सोलेशन को नशा का कारोबार चलाने की बात कहते हुए लगे बोली लगाने थाना नहीं जाना तो … हथकड़ी नहीं लगवानी तो .. !

थानेदार की मनः स्थिति को टटोलते हुए ऑटो पार्ट्स के दुकानदार ने भी दमदारी दिखाई और थानेदार की क्लास लगाई। मामला बिगड़ता देख थानेदार खाली हाथ वापस तो लौट गए लेकिन जनमानस के मन मस्तिष्क एक अनुत्तरित प्रश्न छोड़ गए। क्या साफ नीयत के साथ चल रहे नशा मुक्ति अभियान भी बिगड़ैल पुलिस अफसरों के कमाई की भेंट चढ़ गई है। वैसे तो पुलिस का धर-पकड़ अभियान भी विवादों से परे नहीं रह गया है।

सूत्रों की माने तो थानेदार कप्तान की नजर में नंबर बढ़ाने के लिए फर्जी कार्रवाई से गुरेज नही कर रहे हैं। वैसे भी काका हाथरस कह गए हैं ” शान-मान-व्यक्तित्व का करना चाहो विकास,गाली देने का करो, नित नियमित अभ्यास ! नित नियमित अभ्यास , कंठ को कड़क बनाओ,बेगुनाह को चोर, चोर को शाह बताओ !!

दत्तक जमीनपुत्र और बेनामी संपत्ति की तलाश..

ट्राइबल जिला कोरबा में दत्तक जमीन पुत्रों की बेनामी संपत्ति की तलाश शुरू हो गई है। ये दत्तकपुत्र सफेदपोश नेताओं के अलावा वीआईपी लोगो के निवेश का जरिया हैं जो काली कमाई को आदिवासियों के नाम खरीदकर सफेद बना रहे हैं। खबरीलाल की माने तो शहर से 20 किमी के राउंडर की जमीन ऐसे आदिवासी दत्तकपुत्रों के नाम है जो किसी दुकान या शोरूम में बतौर नौकर हैं।

इन भोले भाले आदिवासियों को यह भी पता नहीं है कि इनके नाम करोड़ों की बेशकीमती जमीन भी है। सूत्र बताते हैं कि शहर के धन्ना सेठों और ब्यूरोक्रेट ट्राइबल जमीन के सबसे बड़े निवेशक हैं। बात पर्यटन स्थल की करें तो यहाँ भी रिसोर्ट की जमीन आदिवासी के नाम से है।

खुफिया सूत्रों की माने सरकार बदलने के बाद ऐसे आदिवासियों की तलाश की जा रही है जो काले कारोबारियों का मोहरा बनकर नाम के जमींदार हैं। जानकारों की माने तो जो बेनामी जमीन आदिवासियों के नाम पर रजिस्टर्ड हैं उन्हें जल्द ही पूछताछ के लिए तलब किया जा सकता है। सेंट्रल एजेंसी की टेढ़ी नजर ने आदिवासियों की जमीन पर राज कर रहे सेठों और काले कारोबारियों को टेंशन में डाल दिया है।

विकसित भारत में ” विकास”

केंद्र सरकार के चल रहे विकसित भारत अभियान में विकास की एंट्री हो चुकी है। राजनीति के चाण्क्यों की माने तो लोकसभा चुनाव में भाजपा विकास पर फोकस कर रही है। कहा तो यह भी जा रहा है कि हाईकमान से विकास को मिले सिग्नल से भाजपा कार्यकर्ताओं में जोश भर गया है। अब अगर बात कुछ उजड़े चमन नुमा नेताओं की करें तो ऐसे लोग टिकट की कतार में है लेकिन मिल जाए तो…! क्योंकि इनका काम ही चार आना दे… वाला है।

यही नहीं उनके बारे में उन्हीं के नेता उन्हें चंदा मामा कहते हैं। पार्टी के एक नेता तोल मोल कर बोलने वाले भी है जो टिकट के लिए फिल्डिंग जमाकर रखे हैं। इसके बाद भी पार्टी के अदना सा कार्यकर्ताओ को लोकसभा सीट पास दिख रही है। इन सबके बीच विकसित भारत में विकास का नाम रेस में सबसे आगे माना जा रहा है।

खैर मार्च के प्रथम सप्ताह में दावेदारों की सूची जारी होने की बात कही जा रही है। जिसमें विकास की बात पर पार्टी भरोसा जताता है या पैराशूट प्रत्याशी को दावेदार बनाता है। यह तो टिकट पर टिक लगने के बाद ही समझ आएगा। तब तक विकास के साथ भाजपा की बात करने में भलाई है।

बोतल से बाहर आया शराब घोटाला का जिन्न

छत्तीसगढ़ में हुए शराब घोटाला का बोतल में बंद जिन्न बाहर आ चुका है। पहले ही इस​की चपेट में आए कई नेता कारोबारी और अफसर जेल की सजा काट रहे हैं। लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले ईडी की चार्जशीट के हवाले से जिस तरह एसीबी और ईओडब्ल्यू ने शराब घोटाला के आरोपियों के 13 ठिकानों पर एक साथ छापे मारी की उससे साफ हो गया है कि मामले की फाइल फिर चल पड़ी है। और नई सरकार इसे अंजाम तक पहुंचाने का इरादा रखती है।

पिछली सरकार के कार्यकाल में डीजीपी पद से हटाए गए सीधे सादे और कड़क मिजाज के अफसर डीएम अवस्थी ने जिस तरह दो लाइन की नोटशीट भेज कर रायपुर एसपी से फोर्स मांगा उससे पुलिस अफसरों को भी इस बात का अंदाजा नहीं था कि उन्हें क्यों तलब किया गया है। सुबह जब वो आमद देने पहुंचे तो सीधे उन ठिकानों की ओर रवाना कर दिया गया, जहां उन्हें छापेमारी में शामिल होना था।

चर्चा इस बात की है कि शराब घोटाला मामले में पुलिस के कुछ आला अफसरों को बड़ा हिस्सा पहुंचा गया है। इन अफसरों को पूछताछ के लिए ईडी ने तलब भी किया था, मगर कार्यवाहीं पूछताछ के बाद आगे नहीं बढ़ पाई। अब एसीबी और ईओडब्ल्यू ने अब अपने स्तर पर इसकी जांच शुरु की है तो इन अफसरों की सांस फूलने लगी है।

छापे की कार्यवाही इतने गुपचुप तरीके से हुई कि किसी का भनक तक नहीं लगी। ऊपर से एसीबी और ईओडब्ल्यू की कमान जब डीएम अवस्थी जैसे कड़क अफसर के हाथ में हो तो फिर आगे क्या होना है इसकी चर्चा शराब ठेकेदार, पुलिस मुख्यालय और शराब घोटाला के आरोपियों के बीच चल रही है। हैरानी नहीं होनी चाहिए अगर लोकसभा चुनाव से पहले कुछ लोग भी इसकी लपेट आ जाएं। अभी तो सीबीआई की इंट्री होना बाकी है।

DMF और CAG

छत्तीसगढ़ को सर्वाधिक खनिज रायल्टी देने वाला जिला कोरबा इस फिर जिला खनिज न्यास मद में बंदरबांट किए जाने को लेकर चर्चा में है। लेकिन इस बार किसी दफ्तर या अफसर के घर रेड को लेकर नहीं बल्कि CAG की ऑडिट को लेकर चर्चा में है। पिछले महीने भर से कोरबा में डेरा बैठी CAG की ऑडिट टीम दस्तावेजों को खंगाल रही है।

डीएएफ फंड के अलाटमेंट में अब तक हुई जांच में कोरबा जिले में जिला खनिज न्यास मद में कराए गए कार्य में करीब 1200 करोड़ की गड़बड़ी का खुलासा हो चुका है। CAG की टीम कलेक्टोरेट में इस बात की जांच कर रही है कि 2015 से लेकर अब तक जो भी कार्य DMF के मद से कराए गए हैं, उसमें कितने कायदे से हुए और कितने फायदे के।

वैसे तो कोरबा जिले में DMF फंड में गड़बड़ी की गूंज विधानसभा में तक में हो चुकी है। मगर अब मामला बिलासपुर हाईकोर्ट तक पहुंच गया है। लिहाजा हिसाब किताब लगाने के लिए सरकार को CAG की ऑडिट को तैनात करना पड़ा। खबरीलाल की माने तो खनिज न्यास के कामकाज में टीडीएस कटौती नहीं की गई तथा ऑडिट भी नहीं कराया गया। खर्च की गई राशि का कोई हिसाब किताब भी नहीं रखा गया है। ऐसे में CAG की ऑडिट से DMF की मलाई खाने वालों पर गाज गिरना तय है।

  ✍️अनिल द्विवेदी, ईश्वर चन्द्रा

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