कोरबा। कब्जे का खेल किस कदर हावी है, यह तो जग जाहिर है। आलम यह है कि अब अवैध प्लॉटिंग कर जमीनें बेच देने वाले दलाल ही वाजिब भूस्वामियों पर कब्जा करने का आरोप लगाने लगे हैं। यह अनोखा मामला खरमोरा से सामने आया है, जिसमें कुल छह जमीनों की प्लॉटिंग कर दलालों ने बेच तो दी, पर खरीदारों को रास्ता नहीं दिया। दलालों के फेर में कहीं अपनी जमीन कब्जे की भेंट न चढ़ जाए, इस डर में कुछ भूस्वामी दीवार खड़ी कर उसे सुरक्षित कर रहे हैं। इस पर अवैध प्लॉटिंग की जमीन खरीदने वाले अब ये आरोप लगा रहे हैं आम रास्ते को अवैध तौर पर कब्जा किया जा रहा है।
खरमोरा एरिया में जमीन दलालों का यह अजीब कारनामा सामने आया है। पहले तो बिना रास्ते की जमीन को प्लाटिंग कर बेच दी गई और अब रास्ता नहीं मिलने पर सामाजिक भवन और निजी खातेदारों पर रास्ता रोकने का आरोप लगाया जा रहा है। उल्लेखनीय होगा कि खरमोरा के कन्नौजिया राठौर समाज के सामुदायिक भवन में जाने के लिए समाज के 8 खातेदारों ने अपनी जमीन रास्ता के छोड़ा। जिससे समाज के लोग सामुदायिक भवन में आना जाना कर सके। निजी जमीन में सामुदायिक भवन बनने की वजह से रास्ता भवन के बाद बंद किया गया है। न कि आम रास्ते को बंद किया गया।
आरोप बेबुनियाद- राठौर
एसईसीएल कोरबा निवासी सावित्री राठौर पति पुरुषोत्तम राठौर ने जो आरोप लगाया है वह बेबुनियाद है । यह कहना है नगर निगम के तोड़ू दस्ता प्रभारी योगेश राठौर का। उन्होंने कहा कि देव प्रसाद राठौर पिता स्व. सेवक राम, बाबूलाल राठौर पिता स्व. घसिया राम, मिट्ठा लाल राठौर पिता स्व. तीजराम राठौर, हीरा साय राठौर पिता स्व. पूनाराम राठौर, नंद किशोर साव पिता लोचन साव, विजय कुमार पिता देव प्रसाद राठौर, राम सरकार राठौर पिता रामलाल राठौर, योगेश कुमार राठौर पिता उमाशंकर राठौर व अन्य सभी ने समाज के भवन में जाने के लिए अपनी निजी भूमि को छोड़ा है न कि वह कोई आम रास्ता है।
सामुदायक भवन के लिए 8 खातेदारों ने छोड़ी थी अपनी जमीन
इस मामले में जानने योग्य बात होगी कि पहले तो बिना रास्ते की 12 टुकड़े में जमीन को प्लाटिंग कर बेच दी गई और अब रास्ता नहीं मिलने पर सामाजिक भवन और निजी खातेदारों पर रास्ता रोकने का आरोप लगाया जा रहा है। यहां कन्नौजिया राठौर समाज के सामुदायिक भवन में जाने के लिए समाज के 8 खातेदारों ने अपनी जमीन रास्ता के छोड़ी थी। जिससे समाज के लोग सामुदायिक भवन में आना जाना कर सकें। खुद अपनी भूमि से आम रास्ते के लिए जगह छोड़ने वालों पर अनर्गल आरोप लगाकर जमीन दलालों द्वारा न केवल गुमराह कर रहे हैं, स्वेच्छा से समाज के लिए जमीन देने वालों को भी परेशान होने विवश किया जा रहा है।