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Korba: तय नहीं स्टैंड और प्रति सवारी किराया.. परिवहन नियमों की धज्जियां उड़ा रहे ऑटो…

कोरबा। ऑटो और ई-रिक्शा। तय नहीं है स्टैंड। प्रमुख जगहों के लिए किराया की दरें भी निश्चित नहीं है। ऐसे में मनमाफिक किराया लिए जाने की जानकारियां सामने आने लगी हैं। यक्ष प्रश्न यह है कि कौन है जिम्मेदार, ऐसी स्थितियों के लिए ?

ऑटो और ई-रिक्शा की संख्या शहर की आबादी के हिसाब से ज्यादा मानी जाने लगी है। बढ़त की ओर ही है यह संख्या, लेकिन कुछ ऐसी जरूरी व्यवस्थाएं भी अब अनिवार्य समझी जाने लगीं हैं, जिसके प्रभावी होने से सुविधा हर लिहाज से पूर्ण हो पाएगी। मालूम हो कि महामारी के दौर में रोजी-रोटी के लिए शुरू हुआ यह क्षेत्र, अब व्यापक संभावनाओं वाला माना जा रहा है।

इसलिए सड़क पर

  1. बढ़ती आबादी, बढ़ते कारोबार और शैक्षणिक संस्थानों ने ऑटो और ई- रिक्शा को भरपूर अवसर दिया है। बाहर से आने-जाने वालों की वजह से इन साधनों को माकूल अवसर मिला है। ऐसे में रोज-रोज बढ़ रही है ऑटो और ई रिक्शा की संख्या लेकिन प्रशासन ने निश्चित जगह तय नहीं की। ऐसे में सड़क या सड़क के किनारे ही स्टैंड बन चुके हैं। अंदाजा लगाया जा सकता है कि सामान्य आवाजाही कितनी प्रभावित होती होगी। वैसे भी शहर की यातायात व्यवस्था ध्वस्त है।

तय नहीं शुल्क और सवारी संख्या

जो ऑटो और ई-रिक्शा चल रहे हैं, उसमें ली जा रही राशि को तय किराया नहीं माना जा रहा है क्योंकि सवारी की जरूरत पर किराया लिए जाने की जानकारियां मिल रहीं हैं जबकि संबंधित विभाग और अधिकारियों को सामंजस्य बिठाकर यह काम करना है, जिससे ऑटो चालक और सवारी के हित सुरक्षित रखे जा सकें। वैसे भी कई तरह के किराए लिए जाने की शिकायतें मिलने लगी है, और हां, एक ऑटो में कितनी सवारियां होनी चाहिए? यह भी तय नहीं है।

है यह भी जरूरी

ऑटो में मीटर और चालक का ड्रेस कोड। नियमानुसार अनिवार्य है लेकिन इसके पालन को लेकर, ना मालिक गंभीर हैं, ना चालक। चालकों का स्वास्थ्य परीक्षण निश्चित समय पर जरूरी है, पर इसके पालन को लेकर भी गंभीर नहीं है मालिक और चालक। प्रशासन कहें या परिवहन विभाग। इसकी बात न ही करें, तो ठीक होगा क्योंकि गंभीरता यहां भी सिरे से गायब है। ऐसी स्थिति में व्यवस्थित या सुरक्षित यात्रा की बात बेमानी है।

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