कटाक्ष

lease lease : अपना थाना तो संभलता नहीं और,ED का छापा और साहब का कैमरा..ED के बाद सीडी और वीडियो,कोटा और सोटा…

🔷 अपना थाना तो संभलता नहीं और…

जिले के कुछ रॉयचंद टाइप टीआई थाना तो संभाल नहीं पा रहे और दूसरे जिले में झंडा फहराने चले हैं। जी हां यह सोलह आने सच है कि जिले के थानेदारों के एरिया में एक से बढ़कर अनसुलझे केस हैं। बाउजूद इसके दूसरे जिले जाकर जीत का जश्न सेलिब्रिट कर रहे हैं।

बात रायगढ़ के बैंक रॉबरी की है। दिनदहाड़े हुई डकैती को पकड़ने सात मुल्क तो नहीं लेकिन, सात जिले की पुलिस जुटी थी। प्रदेशभर के काबिल पुलिस जब एक साथ एक्टिव हुए तो डकैतों को धर दबोचा भी गया। गिरफ्तारी के बाद जब फोटो शूट और नाम चमकाने की बारी आई तो एक नए नवेले थानेदार ने अपना और कोरबा जिला के एक टीआई का नाम प्रेस रिलीज डालकर कर श्रेय लूट लिया।

उनके इस काम करे कोई इनाम पाए कोई ..की नीति का थानेदारों के ग्रुप में चर्चा होती रही और एक थानेदार ने कह भी दिया अपना थाना तो संभल नहीं रहा और चले दूसरे जिले में झंडा फहराने..! उनकी यह बात सही भी है क्योंकि बैंक रॉबरी के बाद रायगढ़ के उन अफसरों की मेहनत और लगन पर बिना काम किए लोगो को श्रेय जाना एक प्रकार का तमाचा है।

हालांकि उनके इस एक्स्ट्रा ऑर्डनरी कारनामे की जमकर आलोचना हो रही लेकिन उससे क्या काबिल निरीक्षकों में नाम आ गया तो आलोचना का क्या.. ! अब वे ये गाना ” कुछ तो लोग कहेंगे , लोगो का काम है कहना” …गुनगुना रहे हैं।

🔷ED का छापा और साहब का कैमरा…

“चोर की दाढ़ी में तिनका “ की कहावत जिले के एक साहेब पर बखूबी फिट ही नहीं है बल्कि सुपरहिट है। बात कुछ यूं है, ईडी का छापा पूर्व आयुक्त के घर पड़ा तो असर इन पर हुआ। वे अपने चेम्बर में लगे कैमरे को आनन फानन में निकलवाकर राहत की सांस लेने लगे।

कैमरा हटवाने की खबर जब डिपार्टमेंट के गलियारों में आम हुई तो लोग कहने लगे ” चोर की दाढ़ी में तिनका” इसी को कहते है। साहब की एक खासियत भी है कि वे लोगों से मेल मुलाकात कम करते हैं। लेकिन, जब कोई डील की बात हो तो सप्लायरों के साथ जरूर बैठते हैं। शेष कार्य यानी ऑफिस के मीटिंग से लेकर कहने रहने और सहने के लिए अपने जूनियर अफसर को अधिकृत किया है।

डिपार्टमेंट के गोपनीय सूत्रों की माने तो ये जनाब पीएससी घोटाले में मुख्य किरदार निभाने वाले अफसर के साहब रिलेटिव हैं। तभी तो वे  ठाठ से नौकरी करते हुए चैन की बंशी बजा रहे हैं । खुफिया सूत्रों से मिली जानकारी पर गौर करे तो साहब पीएससी सलेक्शन में एक कलेक्टर के भाई को डिप्टी कलेक्टर बनाने में साहब अहम कड़ी की भूमिका का निर्वहन किए हैं।

उड़ती खबर की माने तो जब से कोरबा में ईडी की एंट्री हुई है तब साहब को डर तो सता ही रहा था और रही सही कसर पीएससी चयन प्रक्रिया ने पूरी कर दी है। क्योंकि जिस अंदाज में साहब का नाम की चर्चा में उछाल मार रहा है उससे वे मुश्किल में फंसते दिख रहे हैं। हालिया चर्चा यह भी है कि साहब की जमीन खरीदी एकाएक हेडलाइन बनी हुई है। बहरहाल उनके हेडलाइन की गूंज ऊर्जाधानी से जल्द राजधानी में सुनाई देने वाली है।

🔷ED के बाद सीडी और वीडियो..

प्रदेशभर में हुए ईडी के छापों के बाद राजनीति में सीडी यानी वीडियो की एंट्री हो गई है। वैसे तो सीडी का जमाना नहीं रहा सो उनकी जगह वीडियो और ऑडियो क्लिप ने ले लिया है। बात अगर हाई प्रोफाइल सीट कोरबा विधानसभा की करें तो इस सीट में वीडियो क्लिप का अहम रोल रहने वाला है।

हाईटेक प्रचार -प्रसार के बीच एडिटेड वीडियो क्लिप और ओरिजन क्लिप की पहचान भले ही जनमानस को न हो पर वीडियो क्लिप किसी भी पार्टी की छवि को खराब करने के लिए काफी है। लोकल वर्सेस पॉवरफुल नेता के बीच जल्द ही वीडियो क्लिप वॉर शुरू हो गया है। कहा तो यह भी जा रहा कि परिवर्तन यात्रा के लिए सजे मंच और ऑडिएंश के लिए खाली कुर्सी का वीडियो विपक्षी खेमा का एक ट्रेलर था। अभी पूरी पिक्चर बाकी है जिसमे भाजपा के पूर्व महापौर के कार्यकाल के भी कुछ वीडियो होने की बात चर्चा में है।

वैसे तो कोरबा विधानसभा में हौले हौले से सियासी रंग चढ़ता जा रहा है। कांग्रेस मजबूत ब्रांडिंग के दम पर अभी भाजपा से आगे दिख तो रही है। लेकिन, राजनीति में महारत नेता जी को इस बात भलीभांति समझ है कि सिर्फ ब्रांडिंग से काम नहीं चलने वाला क्योंकि वोट तो जनता देगी। लिहाजा जनता भी राजनीति के दांव पेंच कों समझते हुए कवि कुमार की कविता “सच दिखलाने वाला खंभा छवि प्रबंध हो जाये तो” …की लय पर मुस्करा रहे है।

वैसे तो चुनावी रण को जीत में परिवर्तित करने के लिए प्रत्याशी साम-दाम-दंड का फार्मूला अपनाते हैं। सो इस चुनाव में भी जैसे जैसे चुनावी रंग चढ़ता जाएगा वैसे वैसे आरोपों-प्रत्यारोपों का दौर शुरू हो जाएगा। खबरीलाल की माने तो चुनावी रण में विजयश्री वरण करने प्रत्याशियों का डर्टी सीडी यानी वीडियो भी आने वाला है।

जिसमे आधा सच और आधा फंसाने वाला महाझूठ होगा। बहरहाल जनता बेसब्री से चुनाव तिथि की घोषणा होने की प्रतीक्षा कर रही है। जनमानस भलीभांति जानता है कि हर नेता चुनाव आते ही मतदाता के आगे नतमस्तक हो जाता है और चुनाव जीतने के बाद कान में रुई डालकर बहरा बन जाता है। सो नेताओं से आस उन्हीं को है जिन्हें गलत तरीके से करोड़पति बनना है। बाकी बचे जनमानस के लिए चुनाव एक उत्सव जैसा है। तो मस्ती इस उत्सव को सेलिब्रिट कीजिए और आने वाले वीडियो क्लिप का मजा लीजिए।

🔷कोटा और सोटा

चुनाव करीब आ रहे हैं और प्रदेश की राजनीति में आरक्षण का कोटा और अनुशासन का सोटा को लेकर खासा बवाल मचा हुआ है। संसद में महिला आरक्षण विधेयक पास होने के बाद दलों की महिला नेत्री खासी उत्साह में दिख रही हैं। महिला आरक्षण विधेयक पास होने का श्रैय लेने में कांग्रेस आगे निकल चुकी है। हाल ही में कांग्रेस की प्रदेश प्रभारी कुमारी सैलजा ने तो यहां तक कह दिया कि उनकी पार्टी हर संसदीय क्षेत्र से दो महिलाओं को अपनी उम्मीदवार बनाएगी। जिसके बाद कांग्रेस में महिला आरक्षण का मुद्दा गरमा गया है।

कांग्रेस में टिकट के लिए मची हायतौबा के बीच उन 40 सीटों पर उम्मीदवारों का पसीना छूटने लगा है जहां नए चेहरों को मौका दिए जाने की बात सीएम और डिप्टी सीएम कर रहे हैं। इन सीटों के दावेदार अपनी अपनी सीटों पर उन महिला उम्मीदवारों की तलाश में लग गए हैं जो उनका पत्ता काट सकती हैं। लेकिन चुनाव के दौरान कोई बगावत न हो इसके लिए कांग्रेस ने अनुशासन कमेटी का सोटा तैयार कर लिया है। खैर जो भी हो कांग्रेस में कब क्या हो जाए और टिकट किसे मिलेगी ये तो आखिरी वक्त पर दिल्ली से ही तय होना है कि इस बार कोटा चलेगा या सोटा।

🔷पट्टे पर पट्टा

80 के दशक में अभिताभ बच्चन की एक फिल्म पर्दे पर आई थी सत्ते पर सत्ता…जिसमें बिगबी के सात भाईयों की कहानी थी। कुछ वैसी की चुनावी मूवी इन दिनों कोरबा में रिलीज होने वाली है..पट्टे पर पट्टा। जिसमें बिगबी का रोल जिला प्रशासन को निभाना है। पट्टा बांटने वाले और पट्टा पाने वाले लीड रोल में नजर आने वाले हैं।

इस मूवी में राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल के हीरो वाले किरदार में होंगे उनके अपोजिट रोल पूर्व महापौर निभाने वाले हैं। उनका कहना है कि पट्टा वितरण का स्वागत तो है लेकिन सबको मिले, नहीं तो…। सिर्फ चिन्हित कर कुछ लोगों को पट्टा दिया गया तो फिर आंदोलन के लिए तैयार रहे।

चुनावी मूवी की स्टोरी कलेक्टर कार्यालय से जारी गाइडलाइन को लेकर लिखी गई उस स्क्रीप्ट से शुरु होती है जिसमें 6 सौ स्क्वेयर फिट का पट्टा देकर बाकी काबिज जमीन से सरकार बेदखली की बात कही गई है। अपोजिशन का कहना है कि सरकार की गाइडलाइन ही कंफ्यूज है। हमने पिछले दिनों घंटाघर में सभा करके झुग्गियों में रहने वालों से आवेदन पत्र भी भरवाए गए थे। उन सभी को पट्टा मिलना चाहिए।

दरअसल पट्टा वितरण के लिए जारी गाइडलाइन में जो शर्तें रखी गईं है उससे सत्ता से जुड़े कई छुटभाइया नेताओं और उनके चिन्हित लोगों को पट्टा मिलने से रहा जो चुनाव के लिहाज से नुकसान पहुंचा सकता है। अब देखने वाली बात ये होगी कि जिला प्रशासन इस मामले से कैसे निपटता है।

          ✍️अनिल द्विवेदी , ईश्वर चन्द्रा

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