कटाक्ष

Heavy on Patwari government : चांदी के चमचे और चमचों की चांदी.थानदारों का लिस्ट,किसे मिलेगा गिफ्ट…16 को छोड़ 17 पर दांव,हादसों का शहर

चांदी के चमचे और चमचों की चांदी

आदिवासी विभाग में चमचों की चांदी हो गई है। ठेकेदार सुनते उन्हीं की हैं जिनके जेब में हैं गांधी! पुराने समय में राजा के दरबार में चाटुकार और भाट होते थे, चाटुकार राजा के हर अच्छे बुरे काम की प्रशंसा करते थे। तारीफ करते थे और तारीफों के पुल में अपना जीवन यापन करते थे। यहां तक कि राजा की प्रशंसा कर राजा का प्रिय बनने की कला भी चाटुकारिता से आती थी।

इस राजशाही परंपरा को आज भी ट्राइबल डिपार्टमेंट के अधिकारी बखूबी निभा रहे हैं। तभी तो मानचित्रकार को करोड़ों की फाइल थमाकर साहेब ने बता दिया कि चरण चुम्बन में इनकी बहुत श्रद्धा है। 18 बड़े काम यानी 50 सीटर हॉस्टल निर्माण सिर्फ अकेले मानचित्रकार के बूते हैं। 35 करोड़ के काम की मॉनिटरिंग वो भी 50 से 60 किमी की दूरी पर कैसे कर लेते हैं साहब ही बता पाएंगे।

वैसे तो कंपोजिट बिल्डिंग परिसर में होने वाले कार्य की क्वालिटी भगवान भरोसे है। वहीं दूसरी ओर दूर दराज के कार्य वो भी आदिवासी विभाग के, वो सब भी भगवान भरोसे हैं। वैसे तो ड्रॉप्स मेन के हुनर को देखकर विभागीय ठेकेदार कहने लगे हैं अब तक हमने एक टिकट में दो पिक्चर तो सुना था। लेकिन, साहब तो एक टिकट में अठारह अठारह पिक्चर देख रहे हैं। ये तो साक्षात अन्तर्यामी हैं जो धुनी लगाकर काम का गुणवत्ता परीक्षण कर लेते हैं।

थानदारों का लिस्ट,किसे मिलेगा गिफ्ट…

एसपी कार्यालय से निकलने वाली ट्रांसफर लिस्ट का थानेदारों को बेसब्री से इंतजार है। कहा तो यह भी जा रहा है लाइन में बैठे कुछ थानेदार अभी फील्ड में पोस्टिंग न हो इसके लिए  “राम” दरबार मे हाजिरी लगा रहे हैं। वैसे कप्तान फील्ड में पोस्टिंग कर किसे गिफ्ट देंगे और किसे शिफ्ट ये तो राम जाने…!

लेकिन, टीआई पोस्टिंग के लिए आकाओं की परिक्रमा लगाकर मनचाहा जगह जाने की जुगत जमा रहे हैं। वैसे तो इलेक्शन कमीशन के एक्शन मोड में आते ही तीन साल से टिके खाकी के खिलाड़ियों की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। हाल ही में पुलिस मुख्यालय से जारी लिस्ट के बाद जिले का तीन थाना खाली हो गया है।

 कहा यह भी जा रहा है कि जिले कई थानेदार अभी चुनाव आयोग के रडार में हैं। ऐसे में जिले के रिक्त पड़े थाने के लिए जिला स्तर पर एक लिस्ट जारी होने की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। ट्रांसफर लिस्ट जारी होने की खुसुर फुसुर के बाद लाइन में बैठे थानेदारों की बेचैनी बढ़ गई है।

क्योंकि जो थाना खाली हुआ है वहां जाना कोई नहीं चाहता। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर वनांचल के थानों में पोस्टिंग होगी किसकी! वैसे भी वनांचल में बैठे थानेदार ट्रांसफर सूची पर टकटकी लगाए बैठे हैं और गाना गुनगुना रहे हैं इन्तहा हो गई इंतज़ार की,आई ना कुछ खबर मेरे …!

 16 को छोड़ 17 पर दांव

कहते है जब बॉस मेहरबान हो तो कर्मचारी भी बलवान बन जाता है। ये पंक्ति नगर निगम की अफसर शाही पर खूब जंचती है। दरअसल निगम के कर्मचारी की प्रमोशन की राह तकते तकते आंखों में पानी आ गया है और निगम की परिपार्टी ऐसी है कि बॉस किसी एक पर मेहरबान हो जाते हैं औऱ उन्हें आउट ऑफ गाइडलाइन में जाकर प्रभारी बना देते हैं।

बात हम दर्री जोन की कर रहे हैं। साहेब वही केके की कृपा से प्रमोशन सूची में वरीयता सूची को दरकिनार कर 17वें नम्बर पर दांव लगाया है। सूत्र बताते हैं साहेब भी कर्मचारियों के बीच शतरंज का गेम खेलकर अपना काम बनता तो ऐसी तैसी कराए जनता की तर्ज पर काम कर रहे हैं।

साहेब की कथनी और करनी में जमीन आसमान का अंतर है। वे काम पर कम और दाम पर ज्यादा फ़ोकस करते हैं। कहा तो यह भी जा रहा की निगम परिपार्टी में काबिलियत और सीनियरिटी से नहीं बल्कि दबाव, प्रभाव और अभाव की रास लीला की राजनीति हावी है। तभी तो कैमिकल इंजीनियर इंटीरियर का काम कर रहा और नेता ठेकेदारी!

हादसों का शहर

राजधानी रायपुर में पिछले 36 घंटों में तीन बड़ी घटनाएं 36 गढ़ की स्मार्ट पुलिसिंग को आइना दिखाने के लिए काफी हैं। शहर के वीआईपी करिज़मा अपार्टमेंट के पांचवीं मंजिल के एक फ्लैट की खिडक़ी खुली थी, परिवार सूकून के साथ बैठा था। तभी एक गोली फ्लैट की खिडक़ी को तोड़ती हुई निकली। गनिमत है कि कोई गोली की जद में नहीं आया। अब तो इस शहर में घर पर सुरक्षित होने का दावा भी नहीं किया जा सकता।

दूसरी घटना शहर के तेलीबांध मेनरोड की है। जहां दो युवकों के दो गुटों में पुलिस की मौजूदगी में खुलेआम मारपीट होती रही। सड़क से गुजरने वाले लोग इसे देखते रहे। सड़क पर खून बह रहा था और पुलिस की बीच बचाव करती रही। आखिर के हाथ इतने कमजोर कैसे हुए ?

तीसरी घटना शहर के रईसजादों की है जो बीती आधी रात बाद शंकर नगर के दूरदर्शन केन्द्र के सामने मुख्य मार्ग में कार खड़ी कर रोड में डांस कर रहे थे, जिसका एक वीडियो भी वायरल हुआ था। जब वीडियो वायरल हुआ तो 5 लोगों पर प्रतिबंधात्मक कार्यवाही की गई।

शंकर नगर शहर का वो पाश इलाका हैं जहां हर वक्त वीआईपी मूवमेंट होता रहता है। पुलिस के आला अफसर मंत्री विधायकों का काफिला भी यहीं से गुजरता है। सही मायने में रायपुर सिटी में नया क्राइम कल्चर तेजी से पनप रहा है। लेकिन पुलिस अभी भी पुराने कल्चर पर काम कर रही है। यानि जब कोई बड़ी घटना घट जाए तो कागजी कार्यवाही कर छुट्टी पाओ। अगर शहर का क्राइम ग्राफ ऐसे बढ़ता रहा तो जल्द ही राजधानी रायपुर को हादसों का शहर बनते देर नहीं लगेगी।

पटवारी सरकार पर भारी

राजधानी में पिछले महीने से पटवारी हड़ताल पर हैं और सरकार चुनावी मोड पर। पटवारी हड़ताल से राजस्व के काम प्रभावित हो रहे हैं। रेवेन्यू कोर्ट में फाइलों का अंबार लग गया है। कार्यकर्ता सम्मेलन में लगी सरकार पार्टी वर्करों को साधने में लगी है। हालांकि सरकार ने पटवारी हड़ताल को खत्म करने के लिए एस्मा कानून लागू कर दिया है। मगर पटवारी सरकार की सख्ती के आगे झुकने को तैयार नहीं है। आखिरकार पटवारियों की मांग के आगे सरकार ही झुकती दिखाई दे रही है।

हालांकि सरकार ने बीच का रास्ता निकाले के लिए जरूरी प्रमाण पत्र में पटवारी दस्तावेज की अनिवार्यता को शिथिल कर दिया है। लेकिन नामांकन और सीमांकन जैसे मामले अभी रूके हुए हैं। 10 जून के बाद वैसे भी नामांकन और सीमांकन नहीं होता। सहीं मायने में कहा जाए तो पटवारी ही सरकार पर भारी पड़ रहे हैं।

     ✍️अनिल द्विवेदी, ईश्वर चन्द्रा

Related Articles

Back to top button