कटाक्ष

Rich from paddy: दिल का खिलौना हाय टूट गया, कोई लुटेरा आके..ग​ली गली में माफिया और…!कोयला डीजल का पैसा,दवा कड़वी पर जरूरी…

दिल का खिलौना हाय टूट गया, कोई लुटेरा आके लूट गया

कोरबा में फ़िल्म गूंज उठी शहनाई का ये गीत एक साहब पर बिल्कुल फिट बैठ रहा है। बताना होगा कि वे साहब सक्ती से कोरबा में शहनाई बजाने के लिए तो आये थे, लेकिन वे इसका राग अलापते उससे पहले ही उनकी शहनाई लूट गई। वैसे समझदार को इशारा काफी है। अगर नहीं समझे तो एक और गाना सुना देते है रेशमी सलवार कुर्ता जाली का ,काहे ढूंढे राह कोतवाली का..।

साहब ये नहीं समझ पा रहे है कि आखिर उनकी शहनाई को कौन लुटेरा उठाकर ले गया। बात यहीं खत्म हो जाती तो कुछ और था। इसी महकमे से जुड़ी एक और दस्ता भी हम आपको बताना चाहते हैं। एक साहब बाजार वाले हल्दी से मोह लगा बैठे थे। अब हल्दी बजार में कोई बड़ा व्यापारी आ गया है। ऐसे में इस छोटे व्यापारी का कारोबार डूबता नजर आ रहा है। अब गम में ये आहें भर रहे है.. दिल का खिलौना टूट गया कोई लुटेरा आके लूट गया है।

सरकार के नोटिफिकेशन जारी होने के बाद हल्दी वाले साहब की टेंशन बढ़ गई है। वैसे साहब के लिए समस्या भी है आखिर जाएं तो कहां जाए क्योंकि शहर की चौकी में चौकीदारी तो पहले ही पहरेदार तैनात कर लिए हैं। सो शहर की चौकी में आने का चांस कम बन रहा है। लिहाजा वे किसी थाने में जुगाड़ जमा रहे हैं जिससे थानेदारी तो न सही लेकिन शहनाई बजाने के लिए कोई कुर्सी ही मिल जाए।

हाय कोरबा तेरी यही कहानी…ग​ली गली में माफिया और…!

एकल शिक्षक स्कूल वाली परेशानी तो पहले शिक्षा विभाग में थी, अब ये परेशानी माइनिंग विभाग तक पहुंच गई है। जिले का माइनिंग विभाग भी एकल फील्ड इंस्पेक्टर के भरोसे चल रहा है। ऐसे में कोरबा जिले का खनिज किस तरह सुरक्षित है इसका अंदाजा आप स्वयं लगा सकते हैं। एक इंस्पेक्टर होने का फायदा खनिज माफ़िया भी उठा रहे हैं।

माफ़िया इतने होशियार है कि जब साहब को रेत चोरी की खबर सीतामणी की देते है और बरमपुर से रेत निकाल लेते हैं। ये खेल कोई नया नहीं है। फील्ड अफसर बदलते रहते हैं लेकिन, उनकी संख्या एक से नही बढ़ पा रही है। अगर बात अवैध उत्खन की करें तो वर्तमान में हर 4 किलोमीटर के भीतर रेत और मिट्टी की चोरी हो रही है। यही हाल कोयला तस्करी का है।

हालत ये है कि पाली के माइंस में तस्करी बंद होते-होते कुसमुंडा में शुरू हो जाती है। मतलब साफ है असहाय खनिज विभाग के अधिकारी अब खनिज माफियाओं के नतमस्तक नजर आ रहे हैं। बाकी जिले के खनिज की सुरक्षा भगवान भरोसे है…!

कोयला डीजल का पैसा लग रहा इन जमीनों पर 

केजीएफ 2 की तर्ज पर चले कोयला और डीजल के कारोबार से धनशोधन करने वाले कारोबारियो का धन अब निगम के प्लाट्स की शोभा बढ़ा रहा है। खबरीलाल की माने तो रविशंकर नगर के खाली प्लॉट की नीलामी में डीजल कारोबारी और कोयला के खिलाड़ियों ने ऊंची बोली लगाकर निगम के 8 से 10 प्लाट्स को खरीदा डाला है।

हां ये बात है कि इसमें प्लॉट तो समाज सेवा करने वाले एक सामाजिक कार्यकर्ता का भी हैं जो लोगों को जागरूक करने का काम करते हैं। बरहाल जमीन खरीदी में लगे कोयला और डीजल के पैसों की जानकारी आम होने के बाद ईडी की कोरबा वापसी तय है।

अब बात अगर अवैध कारोबार का करें तो अभी भी कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है। तभी तो कोरबा जिले की एक कोयला गाड़ी बिलासपुर खनिज विभाग ने पकड़ी है, जो सकरी थाना में रखी गई थी । मतलब साफ है धंधा तो चलेगा ही..! क्योंकि गंदा है, मंदा है पर ये हमारा धंधा है।

धान से धनवान….

धान का कटोरा छत्तीसगढ़ के नाम एक और रिकार्ड दर्ज हो गया। इस साल के धान खरीदी सीजन में प्रदेश देश में पहले स्थान पर आ गया। छत्तीसगढ़ में 22.93 लाख किसानों ने धान बेचा जबकि सरकारी मशीनरी अभी करीब 10 दिन और खरीदी करेगी, यानि ये आंकड़ा अभी बढ़ने वाला है।

सही मायने में ये प्रदेश के मेहनतकश अन्नदाता किसानों प्रदेश सरकार की किसान हितकारी योजनाओं की देन है। छत्तीसगढ़ की ये उपलब्धि
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल राजीव गांधी किसान न्याय योजना को जाता है। सीएम इस अवसर पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि देशभर में धान बेचने वाले सर्वाधिक किसान छत्तीसगढ़ से हैं।

मतलब किसानों की जेब में सबसे अधिक धन छत्तीसगढ़ के किसानों को गया है। आज छत्तीसगढ़ मंदी से अछूता है। बाजार गुलजार हैं। किसान धान से धनवान बन रहे हैं। तय है जब गांव का किसान खुशहाल और धनवान होगा तभी गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ का सपना साकार होगा।

दवा कड़वी पर जरूरी…

रायपुर के गुढियारी में एकता मैदान में पिछले तीन दिनों से चल रहे बागेश्वर धाम सरकार के दिव्य दरबार को लेकर सभी राष्ट्रीय चैनलों पर डिबेट हो रहे हैं। कोई बागेश्वर धाम के पीठाधेश्वर पं धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को ढोंगी बताने में लगा है तो कोई अंधविश्वास फैलाने का आरोप लगाने पर तूला है।

लेकिन इन सब​के बीच पं धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के पूछे सवाल पर सभी पैनालिस्ट की बोलती बंद हैं। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने उन्हें अंधविश्वास फैलना वाला बताने वालों से सवाल पूछा था कि जब दरगाह में चादरपोशी और चर्चों में कैंडल जलना आस्था है तो बागेश्वर धाम सरकार के दरबार में नारियल चढ़ाकर अर्जी लगाने को ढोंग कैसे ठहराया जा सकता है।

यानि दवा कड़वी पर ये जरूरी भी है। अब तो इस विवाद में मंत्री संतरी की इंट्री हो गई है। वैसे इस बात का समर्थन तो कतई नहीं किया जा सकता कि सार्व​जनिक कार्यक्रम में किसी चमत्कार की बात का प्रचार किया जाएं या राजनीति पर बात हो। लेकिन, एक धर्म विशेष के धार्मिक आयोजन में साधु संतों पर सवाल उठाया जाना भी सही नहीं है।

मर्ज गहरा तो कड़वी दवा तो पीनी ही होगी, मर्ज दूर करना हो तो दवा की कड़ुवाहट को बर्दाश्त तो करना ही होगा। जरूरत इस बात की है कि धार्मिक आयोजन में धर्म की ही बात हो…और लोगों को उसे स्वीकार करना होगा। जहां तक आस्था का सवाल है तो हर किसी की आस्था अलग अलग हो सकती है। इसमें किसी साधु संत पर सीधे सीधे आरोप लगाकर उनके भक्तों की आस्था को निशाना तो नहीं बनाया जाना चाहिए।

      ✍️ अनिल द्विवेदी , ईश्वर चन्द्रा

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