कटाक्ष

छत्‍तीसगढ़ में ”सूर्य” ग्रहण,सीडी से नहीं ईडी से डर…रेंजर बने रिमोट,खाकी रंग में टेंशन की सफेदी..उम्मीद की एक किरण

सीडी से नहीं ईडी से डर लगता है साहब…

दबंग मूवी के अभिनेत्री सोनाक्षी सिन्हा का वो डायलाग “थप्पड़ से डर नहीं लगता साहब, प्यार से लगता है” को ब्यूरोक्रेटस बदल कर कहने लगे है  अब सीडी से डर नहीं लगता साहब ईडी से लगता है। सही भी है परिवर्तन प्रकृति का नियम है और बदलाव से ही जीवन में विविधता आती है। एक समय था जब लोग सीडी से डरने लगे थे। सीडी कांड ने कई गुल खिलाये हैं अब  ईडी सूबे के रसूखदारों को डरा रहा है। जिस तरह तालाब के पानी कमी होने से छोटी बड़ी मछलियां फड़फड़ाने  लगती है ठीक उसी तरह ईडी के प्रभाव से अधिकारी से लेकर व्‍यापारी  फड़फड़ाने लगे हैं।

कौन नापेगा और कौन जाएगा, यह तो भविष्य के गर्त में है लेकिन, चोर के दाढ़ी में तिनका वाली कहावत की तरह जिनके मन में दाग है वे बचने के लिए बिल की तलाश कर रहे हैं। सीडी की तरह ईडी का भी अजीब माया है। एक बार जिसको रिकार्ड कर लेता है उसकी पिक्चर दिखा के रहता है। पिक्‍चर तैयार है और रिलीज का इंतजार है। हां चौराहों में चर्चा इस बात की भी है कि शहर के कोयले की आग के तपिश में कितने लोग तपने वाले हैं। ये तो समय बताएगा, पर ईडी को करीब से जानने वाले  अपनी तो जैसे तैसे कट जाएगी…. आपका क्या होगा जनाबे अली..! गाना गुनगुना रहे हैं।

छत्‍तीसगढ़ में ”सूर्य” ग्रहण,

 

इस बार ज्‍योतिष गणना के अनुसार दिवाली पर खग्रास सूर्य ग्रहण की बात पंचांग में कही गई थी, मगर छत्‍तीसगढ़ में समय का फेर थोड़ा जल्‍दी आ गया। दिवाली से पहले ही सूर्य ग्रहण आ धमका। ग्रहण की काली छाया प्रदेश के आईएएस अफसर, नेता, कारोबारी, सप्‍लायर, ठेकेदार, ट्रांसपोर्टर्स सभी पर पड़ी। इस वर्ग के सभी जातक अपनी अपनी कुंडली योग के अनुसार सूर्य ग्रहण से प्रभावित हुए हैं। इस वर्ग के जातक को इस बार जोरदार दिवाली मनने की उम्‍मीद थी मगर दिवाला मन गया।

ज्‍योतिष के जानकारों के अनुसार सूर्य ग्रहण का प्रभाव सभी के लिए लाभ वाला नहीं होता, कुछ को लाभ तो कुछ का सब कुछ लूट ले जाता है।  ज्‍योतिषियों के अनुसार सूर्य ग्रहण की छाया से छत्‍तीसगढ़ में ईडी का प्रभाव बढ़ रहा है। ईडी की छापेमारी के पीछे भी ग्रहण का ही असर है। इस वर्ग के जातकों के लिए बड़े के आशीर्वाद लेने से ग्रहण का बुरा प्रभाव टल सकता है। साथ ही लक्ष्‍मी पूजा से ग्रहण के दुष्‍प्रभाव को कम करने में मदद मिलती है। तो जातक जल्‍दी से अपनी कुंडली जांच लें, और जान लें सूर्य ग्रहण से बचने के उपाए।

नोट-यहां कुंडली विचार किया जाता है।

पता-डॉट कॉम….l

 रेंजर बने रिमोट औऱ रेंज रायपुर तक

जंगल विभाग में रेजर और रेंज की कहानी काफी पुरानी है। वैसे यह बात सभी लोग जानते हैं कि  हाथी प्रभावित जिला होने के कारण वनांचल क्षेत्र के रहवासी परेशान हैं। हाथियों को नियंत्रित करने के लिए रेंजरों के देख रेख में हाथियों के गले मे कॉलर आईडी लगाया गया था और रिमोट रेंजरों के हाथ मे थे। हाथियों के गले से कॉलर आईडी तो फ्लॉप हो गया। लेकिन, रिमोट अभी भी  रेंजरों के हाथों में हैं हां ये अलग है कि अब रिमोट का रेंज रायपुर ओर है। तभी तो कोरबा डिवीजन के कुछ ऐसे रेंजर है जो रिमोट कंट्रोल बनकर काम कर रहे हैं। उन्हें रायपुर में बैठे उनके आका चला रहे हैं। इतना ही नहीं वे समय समय पर सेवा शुल्क लेने कोरबा भी आ धमकते हैं।

खबरीलाल की माने तो वन मंडल के दो रेंजर जो कम पढ़े लिखे है उन्हें रायपुर से ऑपरेट किया जा रहा है। एक रेंजर को कोरबा डिवीजन में बाबू रहे रिटायर्ड कर्मचारी चला रहे है तो दूसरे को पूर्व डीएफओ रहे आईएफएस अधिकारी जंगल में दौड़ा रहे हैं। वन विभाग के गलियारों में हो रही रही चर्चा की माने ये दोनों रेंजर अपने आकाओ के दम पर रेज चला रहे हैं।   लिहाजा इन जंगल के राजाओ से बड़े अधिकारी भी उलझने में कतराते हैं।

उच्च अधिकारियों से मिले आशीर्वाद के दम पर इठलाते ग्रामीणों को धमकाते और सरकारी धन को दबाते नौकरी बजा रहे हैं।  कहा तो यह भी जा रहा कि  एक रेंजर के आका पिछले सन्डे को फन डे कोरबा पहुंचे थे और उनके चहेते रेंजर से गुफ्तगू कर नजराना लेकर वापस लौट गए।

 

ईडी की रेड से खाकी रंग में टेंशन की सफेदी..

 

कोयला ट्रांसपोर्टिंग में लेवी वसूली को लेकर ईडी का शिकंजा कसता जा रहा है। एसईसीएल की खदानों से  टैक्स चोरी के जांच की आंच अब खाकी तक पहुंचने वाली हैं। तत्कालीन सरकार बनने के बाद कोयलांचल थानों में पदस्थ रहे सभी थानेदारो की कुंडलियां  खंगाली जा रही हैं। लिहाजा कोयले की नगरी में काले कारोबारियों पर पड़े छापे ने खाकी को टेशन में डाल दिया है।

ऐसे में दर्री सर्कल के अंतर्गत आने वाले थानों के थानेदारों का टेंशन बढ़ना ही था क्योंकि खदान में होने वाली सारी गतिविधियों पर नजर से ही उन्हें नजराना मिलता था। हालांकि थानेदारों ने नजराना को कब जबराना में बदला उसे वे ही जानते हैं , पर जिस अंदाज में कोयले की लूट हुई उससे वे भी सेन्ट्रल एजेंसी के रडार में हैं। खबरीलाल की माने तो ये थानेदारो के रातों की नींद उड़ गई है और तो और साहब खाकी के कुछ खिलाड़ी नींद में सपना भी ईडी के रेड की देख रहे हैं।

दरसअल कोयले की खान और देश की शान कहे जाने वाले एसईसीएल से निकलने वाली कोयला की चोरी में कोयलांचल के कुछ थानेदारों ने हाथ साफ करते हुए खूब मलाई खाई हैं। एसईसीएल के तीन थानों में पदस्थ रहे थानेदारों के ठाठ -बाठ से ही पता  लगता है कि कुछ ही समय में ही करोड़ो के मालिक बने हैं। जिस कदर इन थानेदारों ने कोयला के अवैध कारोबारियों से सांठगांठ कर सरकारी संपत्ति को लुटा है जाहिर है उससे आज नही तो कल सेंट्रल एजेंसी की जांच के राडार में आएंगे। लिहाजा थानेदार अपने को सेफ करने जी जान ला लगा रहे हैं। वैसे कहा तो यह भी जा रहा है कि  जिले के एक ईमानदार एसआई के कोयला कारोबारियों से रहे संबंधों की जाँच होने वाली है।

 

उम्मीद की एक किरण

राज शर्मा की कविता “विपदा घेरे अंधियारा करे, षड्यंत्र रचे सब ओर. उम्मीद की जब दिख जाए, फिर जगमग चहुं ओर”! कोरबा के वर्तमान परिदृश्य में यह कविता सटीक बैठती है। जिस यंग आईपीएस से महज मिलने के लिए कतार लगी हो तो इसे लोगों के उम्मीद की किरण कहा जाना लाजमी होगा।

हम बात कर रहे हैं उम्मीद के किरण की। जो तमाम बाधाओं के बावजूद अपने आदर्शों पर टिके हुए, बड़ी ईमानदारी से अपना काम करते रहे हैं। वे न तो राजनेताओं या उनकी पैरवी करने वाले रसूखदारों की धमकियों से डरते हैं और ना ही बेवजह होने वाले तबादलों से। तभी तो उनसे मिलने वालों का कार्यालय में तांता लग रहा है।

हालांकि उनकी पोस्टिंग स्थाई नहीं है पर उनसे उम्मीद लाखों रहवासियों को हैं। जब वे एडिशनल के पद पर पदस्थ थे, तब खाकी का खौफ अपराधियों पर दिखता था और उनकी पोस्टिंग से लोग फिर पुराने दिन याद कर ताजा कर रहे हैं। पुलिसिंग के दो कार्यकाल में खाकी के दामन में लगे दाग किसी से छुपा नहीं है। थाने चौकियों में लग रही बोली से पुलिस की छवि खराब हुई। अब कड़क मिजाज ऑफिसर की नियुक्ति के बाद कोरबा पुलिस पब्लिक का हितैषी बनने का प्रयास कर रही है। यही वजह है उनके स्थाई पोस्टिंग के लिए शहर के लोग प्रार्थना करने में लगे हैं।

  ✍️अनिल द्विवेदी, ईश्वर चन्द्रा

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