छत्तीसगढ़

Land Valuation Process : सरकार का ऐतिहासिक निर्णय…! वर्ग मीटर दर खत्म…ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि मूल्यांकन अब हेक्टेयर दर पर…स्टाम्प शुल्क में बड़ी कमी

आम नागरिकों को होगा सीधा लाभ

रायपुर, 13 दिसंबर। Land Valuation Process : छत्तीसगढ़ राज्य सरकार ने भूमि मूल्यांकन प्रक्रिया को सरल, पारदर्शी और नागरिकों के हित में बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में, वित्त एवं वाणिज्य कर पंजीयन मंत्री ओपी चौधरी के मार्गदर्शन में राज्य सरकार ने पेरी-अर्बन और अन्य ग्रामीण क्षेत्रों में लागू वर्ग मीटर दर को पूरी तरह से समाप्त कर दिया है। अब इन क्षेत्रों में भूमि का मूल्यांकन केवल हेक्टेयर दर पर आधारित होगा।

ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि खरीदारी बनी सुलभ

पहले की व्यवस्था के तहत, 500 वर्ग मीटर तक की भूमि का मूल्यांकन वर्ग मीटर दर से किया जाता था, जबकि 500 वर्ग मीटर से अधिक भूमि का मूल्यांकन हेक्टेयर दर से किया जाता था। वर्ग मीटर दर हेक्टेयर दर से अधिक होने के कारण छोटे क्षेत्रफल वाली भूमि पर अधिक मूल्य और मुआवजा मिल जाता था, जबकि बड़े क्षेत्रफल की भूमि पर कम मूल्यांकन किया जाता था। अब इस विसंगति को समाप्त करते हुए, सभी ग्रामीण भूमि का मूल्यांकन एक समान हेक्टेयर दर से किया जाएगा।

न्यायसंगत मुआवजा और शुल्क में कमी

इस निर्णय से भूमि के वास्तविक क्षेत्रफल के अनुसार न्यायसंगत मुआवजा मिल सकेगा। उदाहरण के तौर पर, बालोद जिले के देवारभाट में 500 वर्ग मीटर भूमि का मूल्यांकन पहले 9 लाख 25 हजार रुपये था, जबकि 1000 वर्ग मीटर भूमि का मूल्यांकन 3 लाख 67 हजार रुपये था। नई व्यवस्था में 500 वर्ग मीटर भूमि का मूल्यांकन 6 लाख रुपये और 1000 वर्ग मीटर भूमि का मूल्यांकन 12 लाख रुपये किया जा रहा है, जो पूरी तरह तर्कसंगत और न्यायसंगत है।

स्टाम्प व पंजीयन शुल्क में उल्लेखनीय कमी

वर्ग मीटर दर के समाप्त होने से स्टाम्प और पंजीयन शुल्क में भी उल्लेखनीय कमी आई है। अब भूमि का मूल्यांकन वास्तविक और किफायती दरों पर किया जा रहा है, जिससे रजिस्ट्री की कुल लागत में कमी आई है। इससे पेरी-अर्बन और ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि खरीदना आम नागरिकों के लिए अधिक सुलभ हो गया है।

सीधा लाभ

उदाहरण के तौर पर, बालोद में 9 अक्टूबर 2025 को पंजीकृत एक दस्तावेज में ग्राम देवारभाट में 15 डिसमिल भूमि का मूल्यांकन पहले 7 लाख 90 हजार रुपये किया गया था, जिस पर 74 हजार 900 रुपये स्टाम्प और पंजीयन शुल्क देना पड़ता था। नई व्यवस्था लागू होने के बाद, उस भूमि का बाजार मूल्य घटकर 4 लाख 80 हजार रुपये हो गया, और स्टाम्प शुल्क मात्र 45 हजार 500 रुपये देय हुआ। इससे संबंधित पक्षकारों को सीधे 29 हजार 400 रुपये का लाभ हुआ।

भूमि खरीदारी और विकास को मिलेगा प्रोत्साहन

सरकार का यह कदम न केवल किसानों और भू-धारकों को राहत देगा, बल्कि रियल एस्टेट, आवास निर्माण और विकास कार्यों को भी प्रोत्साहित करेगा। भूमि लागत कम होने से इन क्षेत्रों में निवेश और विकास की संभावनाएं बढ़ेंगी। साथ ही, मूल्यांकन प्रक्रिया के सरलीकरण से नियमों की जटिलता कम होगी और नागरिकों के लिए प्रक्रियाएं अधिक सहज और पारदर्शी बनेंगी। राज्य सरकार का यह निर्णय ग्रामीण और अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों में निवास करने वाले नागरिकों (Land Valuation Process) के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह निर्णय न केवल आर्थिक दृष्टि से लाभकारी है, बल्कि यह भूमि और आवास से जुड़ी प्रक्रियाओं को किफायती, सुलभ और जनकल्याणकारी बनाने की दिशा में एक बड़ी पहल है। यह निर्णय किसानों, भू-धारकों और आम नागरिकों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है। सरकार का यह कदम भूमि मूल्यांकन प्रक्रिया को और अधिक न्यायसंगत और किफायती बनाने में सहायक होगा, जिससे हजारों लोग प्रत्यक्ष रूप से लाभान्वित होंगे।

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