कोरबा

Hight Court Order : कोरबा में बढ़ते प्रदूषण पर हाईकोर्ट सख्त, बाल्को और राज्य सरकार को नोटिस, सभी पावर प्लांट्स को पर्यावरणीय जिम्मेदारी निभाने का आदेश, अब 29 अक्टूबर को होगी अगली सुनवाई

कोरबा,11 अक्टूबर। Hight Court Order : छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में लगातार बढ़ते प्रदूषण को लेकर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। कमिश्नर की रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुए अदालत ने स्पष्ट किया कि शहर की वायु गुणवत्ता आम नागरिकों के जीवन के लिए खतरा बनती जा रही है। कोर्ट ने बाल्को और राज्य सरकार को नोटिस जारी करने के निर्देश दिए हैं और सभी पावर प्लांट्स को पर्यावरणीय मानकों का सख्ती से पालन करने का आदेश दिया है।

कोरबा में धूल, धुआं और अव्यवस्था का आलम

कमिश्नर की रिपोर्ट में बताया गया है कि कोरबा में 24 घंटे राख और कोयले की धूल का गुबार बना रहता है। पावर प्लांट्स और भारी उद्योगों से निकलने वाला प्रदूषण, ट्रैफिक अव्यवस्था और टूटी-फूटी सड़कों के कारण बढ़ते हादसे, नागरिकों की सुरक्षा और स्वास्थ्य पर गंभीर संकट।

कोर्ट ने टिप्पणी की कि यह स्थिति अब असहनीय हो चुकी है और तत्काल ठोस कदम उठाना अनिवार्य है। बाल्को को बनाया गया पक्षकार, मांगा जवाब हाईकोर्ट ने बाल्को (BALCO) को मामले में पक्षकार बनाते हुए पूछा है कि उन्होंने अब तक कौन-कौन से पर्यावरणीय उपाय लागू किए हैं। वहीं, राज्य सरकार को निर्देश दिया गया है कि वह कमिश्नर की रिपोर्ट की प्रतियां सभी संबंधित विभागों और उद्योगों को सौंपे और प्रदूषण नियंत्रण के लिए त्वरित कार्यवाही करे।

24 घंटे में जवाब और ठोस कार्यवाही का आदेश

हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यदि
प्रभावी नियंत्रण उपाय नहीं अपनाए गए,
तो अदालत को कड़ी कानूनी कार्रवाई करनी पड़ेगी।
सभी पावर प्लांट्स और भारी उद्योगों को आदेश दिया गया है कि वे
पर्यावरणीय नियमों का पालन करें
प्रदूषण फैलाने वाले स्त्रोतों की निगरानी करें
नियमित रिपोर्टिंग और निगरानी तंत्र लागू करें

अगली सुनवाई 29 अक्टूबर को

कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 29 अक्टूबर 2025 को निर्धारित की है। सभी पक्षों को तब तक आवश्यक सुधारात्मक कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं। जनस्वास्थ्य को प्राथमिकता: हाईकोर्ट का सख्त संदेश-विशेषज्ञों का मानना है कि अगर कोरबा जैसे औद्योगिक जिलों में समय रहते प्रदूषण नियंत्रित नहीं किया गया, तो इसका असर स्वास्थ्य, पर्यावरण और नगरीय जीवन स्तर पर बेहद गंभीर हो सकता है। हाईकोर्ट का यह हस्तक्षेप एक महत्वपूर्ण संदेश है कि अब प्रदूषण नियंत्रण कोई विकल्प नहीं, बल्कि प्राथमिकता है — और इसमें किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button